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विकास की आस में कई साल से नाव के सहारे चल रही है 'जिंदगी'

दिन बदले समय बदला, सरकारें बदली पर नहीं बदली तो इस गांव की तस्वीर, लोग आज भी जान की बाज़ी लगाकर नाव से नदी पार करने को मजबूर हैं.

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Published : Oct 20, 2019, 9:05 PM IST

Updated : Oct 20, 2019, 9:42 PM IST

नाव के सहारे कटती है जिंदगियां

रायगढ़: जिले के धरमजयगढ़ के नरकालो गांव के लोग पिछले कई पीढ़ियों से रोजाना अपनी जान दांव पर लगाते आ रहे हैं. बता दें कि गांव के पास से बहने वाली नदी पर अभी तक पुल नहीं बना है, जिसकी वजह से बूढ़े, जवान, बच्चे ही नहीं छात्र-छात्राएं सभी अपनी जरुरत की चीजों के लिए नरकालो नदी को नाव से पार करने के लिए मजबूर हैं.

नाव के सहारे

ग्रामीणों का कहना है कि 'इस समस्या से निजात पाने के लिए शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से कई बार निवेदन किया गया, लेकिन प्रशासन से उन्हें महज आश्वासन ही मिला है, जिसकी वजह से वो नेताओं के आश्वासन के बीच रोज अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर गुजर बसर करने को मजबूर हैं'.

नाव में करते हैं नदी पार
नदी में पुल नहीं होने से इलाके के कई गांव लोगों को रोजाना नाव में सवार होकर आवागमन करना पड़ता है. बता दें कि ग्रामीण जिस नाव के सहारे नदी पार करते हैं, उसकी हालत इतनी जर्जर है कि, कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. फिलहाल ग्रामीणों को प्रशासन से एक बार फिर आश्वासन ही मिला है, जिसके सहारे ग्रामीणों में उम्मीद जगी है.

रायगढ़: जिले के धरमजयगढ़ के नरकालो गांव के लोग पिछले कई पीढ़ियों से रोजाना अपनी जान दांव पर लगाते आ रहे हैं. बता दें कि गांव के पास से बहने वाली नदी पर अभी तक पुल नहीं बना है, जिसकी वजह से बूढ़े, जवान, बच्चे ही नहीं छात्र-छात्राएं सभी अपनी जरुरत की चीजों के लिए नरकालो नदी को नाव से पार करने के लिए मजबूर हैं.

नाव के सहारे

ग्रामीणों का कहना है कि 'इस समस्या से निजात पाने के लिए शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से कई बार निवेदन किया गया, लेकिन प्रशासन से उन्हें महज आश्वासन ही मिला है, जिसकी वजह से वो नेताओं के आश्वासन के बीच रोज अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर गुजर बसर करने को मजबूर हैं'.

नाव में करते हैं नदी पार
नदी में पुल नहीं होने से इलाके के कई गांव लोगों को रोजाना नाव में सवार होकर आवागमन करना पड़ता है. बता दें कि ग्रामीण जिस नाव के सहारे नदी पार करते हैं, उसकी हालत इतनी जर्जर है कि, कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. फिलहाल ग्रामीणों को प्रशासन से एक बार फिर आश्वासन ही मिला है, जिसके सहारे ग्रामीणों में उम्मीद जगी है.

Intro:Body: शेख आलम/धरमजयगढ़/रायगढ़/छत्तीसगढ़।
स्लग - रोज लगती है जिंदगी दांव पर,

पूर्वजों के जमाने से चलती आ रही है नदी में नाव,दिन बदले समय बदला सरकारें बदली पर नहीं बदली तो इस गाँव की तस्वीर,लोग आज भी जान की बाज़ी लगाकर नाव      से नदी पारकर धरमजयगढ़ आने जाने को मजबूर हैं। 

एंकर - हम बात कर रहे हैं धरमजयगढ़ विकासखंड के नरकालो गाँव की जहाँ के भोले भाले ग्रामीण पूर्वजो के जमाने से रोजाना अपनी जान दांव पे लगाते आ रहे हैं बूढ़े, जवान ,बच्चे ही नहीं छात्र,छात्राएं सभी अपनी जरुरत की चीजों के लिए नरकालों नदी को नाव से पारकर नगर आते हैं और फिर शाम को वापस उसी नाव से अपने गाँव जाते है इस आने जाने में रोजाना उनकी जिंदगी दांव पे रहती है।

ऐसी बात नहीं की गाँववासी इस भयावह समस्या से निजाद पाने शासन, प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों से निवेदन नहीं किए है. एक अदद पुल के लिए कइयो बार गुहार लगा चुके है लेकिन  गुहार के बदले उन्हें केवल आश्वासन ही मिला है, नदी में पुल नहीं, यहाँ यह कहना शायद अतिश्योक्ति न होगी की मजबूर ग्रामीण नेताओं के आश्वासन के बीच रोज अपनी जिंदगी दांव पे लगाकर गुजर बसर करने को मजबूर हैं।
ऐसे में बड़ा सवाल है की कब नदी के उस पार बसने वाले वाले नरकालों,फतेहपुर सहिंत कई गाँववासियों को  मौतनुमा नाव व् नदी से राहत मिल पायेगा ।

आपको बता दें भाजपा शासन में ग्रामीणों को 15 साल का आश्वासन ही मिला वहीँ अब कांग्रेस सरकार से भी फिलहाल आश्वासन ही मिल रहा है ।
बाईट (1) ग्रामीण लगन साय।
बाईट (2) बीडीसी रामानंद ।Conclusion:
Last Updated : Oct 20, 2019, 9:42 PM IST
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