रायगढ़: एनआर स्टील एंड फेरो प्राइवेट लिमिटेड की ओर से होने वाली जनसुनवाई का जमकर विरोध किया गाया. जनसुनवाई बंजारी मंदिर में होने वाली थी. जिसका लोगों ने जमकर विरोध किया. लोगों ने कई विंदुओं पर जनसुनवाई पर विरोध किया है.
इन मुद्दों पर जनसुनवाई का विरोध
कंपनी ने जो आवेदन जमा किया गया है, वो करीब 1 साल पहले का है. आवेदन जमा किए 365 दिन से ज्यादा हो चुका है. जबकि नियम के तहत एक साल के भीतर ही किसी भी हाल में सुनवाई होनी होती है. ऐसे में इसे नियम विरोधी बताते हुए जनसुनवाई का विरोध किया गया है.
केंद्रीय जलवायु परिवर्तन विभाग नई दिल्ली के आदेश के मुताबिक किसी भी कंपनी की जनसुनवाई में 3 वर्ष से पुराने डेटा का उपयोग नहीं किया जा सकता है. इस ईआईए में जो भी जानकारी दी गई है वह 2011 के जनगणना के मुताबिक है, इसलिए यह जनसुनवाई अवैध है.
पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन
क्षेत्र हाथी प्रभावित क्षेत्र है. हाथी आसपास के ग्रामीणों के खेतों में फसल को साथ इंसानों को भी क्षति पहुंचाते हैं. इसकी क्षतिपूर्ति रायगढ़ वन विभाग करता है. इसके बारे में ईआईए के तहत इसका विवरण नहीं दिया गया है. जो केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय के नियमों का सीधा-सीधा उल्लंघन है.
दुर्घटना रोकने को लेकर कोई रोडमैप नहीं
कोयला खदान पावर प्लांट और स्थानीय उद्योगों के लिए चलने वाले ट्रकों से व्यापक पैमाने पर दुर्घटनाएं होती है. जिसका विवरण इन दस्तावेजों में नहीं दिया गया है. आने वाले समय में जब कंपनी का विस्तार होगा और नई कंपनियों की स्थापना होगी. इससे सड़कों पर दबाव बढ़ेगा, जिससे दुर्घटनाएं भी बढ़ सकती है. इनका विवरण भी दस्तावेजों में उपलब्ध नहीं कराया गया है. ये भी नहीं बताया गया है कि प्रशासन दुर्घटनाओं को कैसे रोकेगा.
रायगढ़: एक तरफ कर्फ्यू तो दूसरी तरफ जन सुनवाई का आयोजन
स्कूली बच्चों पर प्रभाव
10 किलोमीटर के क्षेत्र में प्राइमरी मिडिल हायर सेकेंडरी 40 से ज्यादा स्कूल है. कभी भी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण नहीं कराया गया है. रायगढ़ जिले के तमनार विकासखंड के अंदर औद्योगिकरण की वजह से आम लोगों में सिलिकोसिस जैसी गंभीर बीमारियां पाई गई है. इसका विवरण इस अध्ययन रिपोर्ट में नहीं दिया गया है.
बीमारी की चपेट में आ रहे हैं बच्चे
10 किलोमीटर के क्षेत्र में 70 से ज्यादा आंगनबाड़ी हैं. 1 वर्ष से 3 वर्ष तक के बच्चे आंगनबाड़ी में पढ़ते हैं. जिनका अबतक किसी भी प्रकार का स्वास्थ्य परीक्षण नहीं कराया गया है. आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों के स्वास्थ्य कैसे प्रभावित हुआ है. इसकी रिपोर्ट नहीं है. जबकि देखा गया है कि इस क्षेत्र में इस्नोफीलिया, दमा, टीवी, कैंसर, शरीर में चर्म रोग जैसे बीमारी पाई गई है. इसके लिए न तो किसी कंपनी द्वारा और न ही सरकार द्वारा किसी भी प्रकार का कैंप का आयोजन अबतक किया गया है.
छात्रों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है असर
जिंदल औद्योगिक पार्क पूंजीपथरा में जहां एक तरफ 30 से ज्यादा छोटे उद्योग स्थापित हैं, वहीं जिंदल इंजीनियरिंग कॉलेज भी स्थापित है. जहां सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. जिनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है. आंखों में जलन, चर्म रोग, इस्नोफीलिया, दमा जैसे गंभीर लक्षण पाए गए हैं. जांच रिपोर्ट के बाद भी कॉलेज को स्थानांतरित नहीं किया गया है. इन सबके अलावा कुल 13 विंदुओं को लेकर लोगों ने जनसुनवाई का विरोध किया है.