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40 लाख की लागत से बना था बंदर नसबंदी सेंटर, ढाई साल में एक ऑपेरशन

बंदरों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए उसकी रोकथाम के लिए इंदिरा विहार में एक खंडहर हो चुके भवन की मरम्मत कराकर उसे बंदर नसबंदी सेंटर बना दिया गया है, लेकिन ढाई साल में यहां महज एक बंदर का ऑपरेशन किया गया है.

40 लाख की लागत से बना था बंदर नसबंदी सेंटर, ढाई साल में एक ऑपेरशन
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Published : Aug 16, 2019, 5:27 PM IST

रायगढ़: वन मंडल के इंदिरा विहार में करीब 40 लाख रुपये की लागत से बंदर नसबंदी सेंटर बनाया गया है. ढाई साल बीत जाने के बाद भी यहां अब तक एक भी बंदर का नसबंदी नहीं हो पायी है. वहीं वन विभाग के अधिकारी अभी भी राशि की कमी बताकर मशीन उपलब्ध नहीं होने की बात कह रहे हैं.

40 लाख की लागत से बना था बंदर नसबंदी सेंटर, ढाई साल में एक ऑपेरशन

बंदरों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए उसकी रोकथाम के लिए इंदिरा विहार में एक खंडहर हो चुके भवन की मरम्मत कराकर उसे बंदर नसबंदी सेंटर बना दिया गया है. जहां कई आधुनिक मशीनों के होने का दावा भी किया जा रहा है, लेकिन ढाई साल में यहां महज एक बंदर का ऑपरेशन किया गया है. जबकि यहां अत्याधुनिक मशीनें लगाने से साथ इससे जुड़े कर्मचारियों को शिमला में ट्रेनिंग भी दिलाई गई है.

मामले में डीएफओ का कहना है कि नर बंदर के ऑपरेशन के लिए पर्याप्त उपकरण है, जबकि मादा बंदरों की नसबंदी के लिए कोई उपकरण यहां उपलब्ध नहीं है. जिसके कारण मादा बंदरों की नसबंदी नहीं हो रही है. वहीं ढाई साल में मशीन होने के बावजूद महज एक ही बंदर का ऑपरेशन किया गया है. डीएफओ ने बताया कि मादा बंदर की नसबंदी के लिए मशीन खरीदने के लिए राशि जमा कर दी गई है और जल्द ही मशीन के मिलने के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा.

रायगढ़: वन मंडल के इंदिरा विहार में करीब 40 लाख रुपये की लागत से बंदर नसबंदी सेंटर बनाया गया है. ढाई साल बीत जाने के बाद भी यहां अब तक एक भी बंदर का नसबंदी नहीं हो पायी है. वहीं वन विभाग के अधिकारी अभी भी राशि की कमी बताकर मशीन उपलब्ध नहीं होने की बात कह रहे हैं.

40 लाख की लागत से बना था बंदर नसबंदी सेंटर, ढाई साल में एक ऑपेरशन

बंदरों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए उसकी रोकथाम के लिए इंदिरा विहार में एक खंडहर हो चुके भवन की मरम्मत कराकर उसे बंदर नसबंदी सेंटर बना दिया गया है. जहां कई आधुनिक मशीनों के होने का दावा भी किया जा रहा है, लेकिन ढाई साल में यहां महज एक बंदर का ऑपरेशन किया गया है. जबकि यहां अत्याधुनिक मशीनें लगाने से साथ इससे जुड़े कर्मचारियों को शिमला में ट्रेनिंग भी दिलाई गई है.

मामले में डीएफओ का कहना है कि नर बंदर के ऑपरेशन के लिए पर्याप्त उपकरण है, जबकि मादा बंदरों की नसबंदी के लिए कोई उपकरण यहां उपलब्ध नहीं है. जिसके कारण मादा बंदरों की नसबंदी नहीं हो रही है. वहीं ढाई साल में मशीन होने के बावजूद महज एक ही बंदर का ऑपरेशन किया गया है. डीएफओ ने बताया कि मादा बंदर की नसबंदी के लिए मशीन खरीदने के लिए राशि जमा कर दी गई है और जल्द ही मशीन के मिलने के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा.

Intro:लगभग 3 साल पहले रायगढ़ वन मंडल के इंदिरा विहार में लगभग 40 लाख की लागत से मंकी रेस्क्यू सेंटर बनाया गया है ढाई साल बीत जाने के बाद भी यहां अब तक एक भी बंदर का नसबंदी नहीं हो पाया है वहीं वन विभाग अभी भी राशि की कमी बताकर मशीन उपलब्ध नहीं होने की बात कह रहे हैं.


byte01 मनोज पांडे डीएफओ रायगढ़.


Body:. ढाई साल पहले शहर में सर्वे करके बंदरों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए उनके रोकथाम के लिए नसबंदी कराने की लिए शहर में प्रदेश का पहला मंकी रेस्क्यू सेंटर बनाने की योजना बनी जिसे इंदिरा विहार में जर्जर पड़े भवन की मरम्मत कराकर मनकीरत के सेंटर में तब्दील किया गया यहां आधुनिक तकनीक के मशीनों के सहारे नर और मादा बंदरों की नसबंदी कराई जानी है लेकिन लगभग 3 साल बीत जाने के बाद भी एक भी बंदर का ऑपरेशन नहीं हो पाया ऐसे में शासन की योजना धरातल पर ही सिमट गई।
बता दे इसके लिए पशु चिकित्सक को प्रशिक्षण के लिए दूसरी जगह भेजा गया था जहां से बंदरों की धरपकड़ तथा उनकी सही इलाज की जानकारी उनको दी गई है।


Conclusion: पूरे मामले में मामले में डीएफओ का कहना है कि नर के लिए पर्याप्त उपकरण है जबकि मादा बंदरों की नसबंदी के लिए कोई उपकरण वर्तमान में उपलब्ध नहीं है इस वजह से मादा बंदरों की नसबंदी नहीं हो पा रही है वही 3 साल में अभी एक बंदर की नसबंदी की बात कह रहे हैं जबकि मादा बंदर के नसबंदी के लिए मशीन खरीदने की राशि जमा कर दी गई है जल्द ही मशीन के मिलने के बाद यह काम शुरू किया जाएगा।
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