रायगढ़: फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में दवा खिलाने के बावजूद भी जिले में मरीजों की संख्या बढ़ रही है. वर्तमान में लगभग 13 सौ फाइलेरिया और हाइड्रोसिल के मरीज हैं. वहीं प्रशासनिक अधिकारी सालभर में फाइलेरिया को जड़ से खत्म करने के दावे कर रहे हैं.
बता दें कि जिले को फाइलेरिया से मुक्त करना स्वास्थ्य विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती है. इसी के तहत स्वास्थ्य विभाग पीड़ितों को मुफ्त की दवाई दे रहा है. वहीं इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम चल रहा है, जिसमें स्कूली बच्चे और प्रत्येक घर के सदस्यों को मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और अस्पताल के माध्यम से निशुल्क दवा दी जा रही है, लेकिन फिर भी पीड़ितों की संख्या कम होने के बजाए बढ़ती ही जा रही है.
सरकारी आंकड़ों की बात करें तो वर्तमान में 1 हजार 283 फाइलेरिया के शिकार हैं, जिसमें से 56 हाथी पाव हाथ के शिकार हैं, जबकि 521 पैर वाले हैं. वहीं 706 हाइड्रोसिल के मरीज हैं.
मच्छर के काटने से होता फाइलेरिया
इस संबंध में जिला स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होता है. फाइलेरिया के मरीज को मच्छर काटता है और फिर वहीं मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है, तो उसको फाइलेरिया होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में लोगों को स्वच्छता के लिए जागरूक किया जा रहा है. साथ ही बीमारी से बचने के लिए स्वास्थ्य कर्मचारी और मितानिनों की ओर से घर-घर जाकर दवा भी दी जा रही है.
गर्भवती महिला और अधिक बीमार वाले लोगों को न खिलाएं दवा
अधिकारी ने यह भी कहा कि इन दवाओं को गर्भवती महिला और अत्यधिक बीमार वाले लोगों को न खिलाए. साथ ही उन्होंने कहा कि हम कोशिश कर रहे हैं कि जल्द ही फाइलेरियामुक्त भारत में अपना योगदान दे सकें.