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SPECIAL: कला छोड़ मजदूरी के लिए मजबूर हुए मूर्तिकार, दाने-दाने को मोहताज हुआ परिवार

मूर्तिकारों पर कोरोना महामारी का बड़ा असर पड़ा है. कोरोना महामारी के कारण मूर्तिकारों के सामने रोजी-रोटी की समस्या आ गई है. रायगढ़ के मूर्तिकार पिछले 40 साल से यहां मूर्ति निर्माण का काम कर रहे हैं, लेकिन कोरोना काल ने उनके आजीविका पर ऐसा कहर बरपाया है कि वे अब मूर्ति बनाना छोड़ मजदूरी की ओर बढ़ रहे हैं.

corona effect on sculptor
कोरोना ने छीना मूर्तिकारों का रोजगार
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Published : Aug 13, 2020, 9:59 PM IST

रायगढ़: देशभर में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण ने कई इंडस्ट्रीज की कमर तोड़कर रख दी है. कोरोना वायरस के संक्रमण ने हर वर्ग को खासा नुकसान पहुंचाया है. अलग-अलग सेक्टर्स पर इसके बहुत बुरे परिणाम देखने को मिले हैं. कोरोना काल ने त्योहारों का रंग भी फीका कर दिया है. एक के बाद एक सभी त्योहार खत्म होते जा रहा है, लेकिन कोरोना महामरी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. अब इसका असर मूर्तिकारों पर पड़ रहा है. जो हाथ कभी लंबोदर और मां दुर्गा की सुंदर-सुंदर मूर्तियां बनाते थे, वो आज रोजी-रोटी को तरस रहे हैं.

कोरोना संकट में मूर्तिकारों का बुरा हाल

त्योहारों के सीजन में जहां मूर्तिकार मूर्तियों की सजावट में व्यस्त हो जाते थे वे आज खाली बैठे हैं. दुर्गोत्सव को लेकर अबतक किसी मूर्तिकार को भव्य और विशाल प्रतिमा निर्माण के लिए कोई ऑर्डर भी नहीं मिला है. मूर्तिकारों का कहना है दुर्गाउत्सव और गणेश उत्सव में उनकी अच्छी खासी कमाई हो जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है ऐसे में उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है.

पढ़ें: कोरबा : कुम्हारों का आरोप, प्रशासन और खनिज विभाग के अफसर कर रहे परेशान

दरअसल, महामारी से बचने के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठा करने से रोका जा रहा है, लिहाजा प्रशासन ने गणेश मूर्ति स्थापना और पूजा को लेकर गाइडलाइन जारी किया है. जारी गाइडलाइन के मुताबिक इस साल बड़ी मूर्तियों की स्थापना पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके साथ ही बड़े पंडाल लगाने पर भी रोक लगा दिया गया है. इसका सीधा असर उन मूर्तिकारों के आजीविका पर पड़ा है जो मूर्ति बनाकर अपने और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं.

छोटे मूर्तियों में मेहनत ज्यादा

रायगढ़ के मूर्तिकार बताते हैं, बड़ी मूर्तियां बन नहीं रही है और लोग छोटी मूर्तियों में अपने पैसे खर्च नहीं करना चाहते हैं. जबकि छोटी मूर्तियों में लागत और मेहनत ज्यादा लगता है और मुनाफा कम मिलता है. खरीददार और मूर्ति स्थापना करने वाले समिति के सदस्य बताते हैं कि शासन के गाइडलाइन को देखते हुए छोटी मूर्तियां स्थापित कर रहे हैं.
उधार लेकर शुरू किया था मूर्ति निर्माण का काम

मूर्तिकारों बताते हैं, गणेश स्थापना के सीजन में 150 से 200 मूर्तियां बिक जाती थी और कई दर्जन बड़े मूर्तियों के आर्डर भी रहते थे, लेकिन इस बार छोटी मूर्तियां बनाई है जिसकी बिक्री से सजावट का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है. एडवांस में कोई मूर्ति खरीद नहीं रहा है, इसके साथ ही जो साहूकार से रुपए लेकर मूर्ति बनाने और उसकी सजावट में खर्च किए हैं, वह भी कहीं से निकलता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है, इस तरह से उनके ऊपर दोहरे मार हो रहा है.

पढ़ें: SPECIAL: ड्यूरेबल व्यवसाय पर कोरोना इफेक्ट, लाखों के घाटे से कारोबारी परेशान

शासन के द्वारा गणेश मूर्ति स्थापना और पंडाल निर्माण को लेकर आदेश जारी किया गया है कि गणेश समिति के सदस्य 4 फीट या उससे छोटी मूर्ति की स्थापना करें. इसके साथ ही सामूहिक आरती पर भी पूरी तरह से रोक लगा दिया गया है. रायगढ़ के मूर्तिकार पिछले 40 साल से यहां मूर्ति निर्माण का काम कर रहे हैं, लेकिन कोरोना काल ने उनका आजीविका पर ऐसा कहर बरपाया है कि वे अब मूर्ति बनाना छोड़ मजदूरी की ओर बढ़ रहे हैं.

रायगढ़: देशभर में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण ने कई इंडस्ट्रीज की कमर तोड़कर रख दी है. कोरोना वायरस के संक्रमण ने हर वर्ग को खासा नुकसान पहुंचाया है. अलग-अलग सेक्टर्स पर इसके बहुत बुरे परिणाम देखने को मिले हैं. कोरोना काल ने त्योहारों का रंग भी फीका कर दिया है. एक के बाद एक सभी त्योहार खत्म होते जा रहा है, लेकिन कोरोना महामरी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. अब इसका असर मूर्तिकारों पर पड़ रहा है. जो हाथ कभी लंबोदर और मां दुर्गा की सुंदर-सुंदर मूर्तियां बनाते थे, वो आज रोजी-रोटी को तरस रहे हैं.

कोरोना संकट में मूर्तिकारों का बुरा हाल

त्योहारों के सीजन में जहां मूर्तिकार मूर्तियों की सजावट में व्यस्त हो जाते थे वे आज खाली बैठे हैं. दुर्गोत्सव को लेकर अबतक किसी मूर्तिकार को भव्य और विशाल प्रतिमा निर्माण के लिए कोई ऑर्डर भी नहीं मिला है. मूर्तिकारों का कहना है दुर्गाउत्सव और गणेश उत्सव में उनकी अच्छी खासी कमाई हो जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है ऐसे में उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है.

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दरअसल, महामारी से बचने के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठा करने से रोका जा रहा है, लिहाजा प्रशासन ने गणेश मूर्ति स्थापना और पूजा को लेकर गाइडलाइन जारी किया है. जारी गाइडलाइन के मुताबिक इस साल बड़ी मूर्तियों की स्थापना पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके साथ ही बड़े पंडाल लगाने पर भी रोक लगा दिया गया है. इसका सीधा असर उन मूर्तिकारों के आजीविका पर पड़ा है जो मूर्ति बनाकर अपने और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं.

छोटे मूर्तियों में मेहनत ज्यादा

रायगढ़ के मूर्तिकार बताते हैं, बड़ी मूर्तियां बन नहीं रही है और लोग छोटी मूर्तियों में अपने पैसे खर्च नहीं करना चाहते हैं. जबकि छोटी मूर्तियों में लागत और मेहनत ज्यादा लगता है और मुनाफा कम मिलता है. खरीददार और मूर्ति स्थापना करने वाले समिति के सदस्य बताते हैं कि शासन के गाइडलाइन को देखते हुए छोटी मूर्तियां स्थापित कर रहे हैं.
उधार लेकर शुरू किया था मूर्ति निर्माण का काम

मूर्तिकारों बताते हैं, गणेश स्थापना के सीजन में 150 से 200 मूर्तियां बिक जाती थी और कई दर्जन बड़े मूर्तियों के आर्डर भी रहते थे, लेकिन इस बार छोटी मूर्तियां बनाई है जिसकी बिक्री से सजावट का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है. एडवांस में कोई मूर्ति खरीद नहीं रहा है, इसके साथ ही जो साहूकार से रुपए लेकर मूर्ति बनाने और उसकी सजावट में खर्च किए हैं, वह भी कहीं से निकलता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है, इस तरह से उनके ऊपर दोहरे मार हो रहा है.

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शासन के द्वारा गणेश मूर्ति स्थापना और पंडाल निर्माण को लेकर आदेश जारी किया गया है कि गणेश समिति के सदस्य 4 फीट या उससे छोटी मूर्ति की स्थापना करें. इसके साथ ही सामूहिक आरती पर भी पूरी तरह से रोक लगा दिया गया है. रायगढ़ के मूर्तिकार पिछले 40 साल से यहां मूर्ति निर्माण का काम कर रहे हैं, लेकिन कोरोना काल ने उनका आजीविका पर ऐसा कहर बरपाया है कि वे अब मूर्ति बनाना छोड़ मजदूरी की ओर बढ़ रहे हैं.

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