रायगढ़: तमनार विकासखंड के वन विभाग द्वारा वन भूमि पर काबिज आदिवासियों के साथ की गई दावा आवेदन पर फर्जी कार्रवाई को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता आगे आ गए है. कार्यकर्ताओं का आरोप है कि मामला संज्ञान में लाने के 10 दिनों बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
सामाजिक कार्यकर्ता राजेश सिंह मरकाम, हरि गुप्ता, सुरेंद्र पटनायक, निरंजन गुप्ता, अमरदीप चौहान और सरोज श्रीवास्तव ने इसे बड़ा फर्जीवाड़ा बताया. उनका आरोप है कि ग्राम पंचायत मिलुपारा अंतर्गत वन भूमि पर कई वर्षों से काबिज आदिवासियों के साथ वन विभाग ने छल करते हुए वन अधिकार पट्टे से वंचित किया है.कार्यकर्ताओं ने मामले की जांच की मांग की.
SDM के आदेश के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
दरअसल ग्राम पंचायत मिलुपारा के सरपंच, सचिव, वन अधिकार समिति एवं ग्रामीणों ने घरघोड़ा एसडीएम को एक पत्र लिख कर वन विभाग तमनार के द्वारा ग्रामीणों के साथ वन अधिकार पट्टा के लिए दिए गए दावा आवेदनों को फर्जी बताते हुए खारिज कर दिया था. पीड़ितों ने पूरी कार्रवाई को गलत बताते हुए दोबारा जांच के लिए निवेदन करते हुए घरघोडा एसडीएम को पत्र लिखा, लेकिन 10 दिन बीतने के बाद भी मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिससे ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है.
ग्रामीण वन अधिकार समिति एवं पंचायत प्रतिनिधियों का आरोप है कि वन विभाग के द्वारा वनभूमि पर काबिज ग्रामीणों के द्वारा वन मान्यता कानून के तहत किए गए दावा आवेदनों का ग्रामीणों, सरपंच, वन अधिकार समिति के सदस्यों की उपस्थिति में मौका मुआयना कर रिपोर्ट प्रस्तुत किया जाना था लेकिन वन अफसरों ने ऐसा नहीं किया. बल्कि बिना ग्रामीणों के वन अधिकार समिति एवं सरपंच की जानकारी के मौका मुआयना के ही रिपोर्ट बना ली. बाद में आवश्यक जनप्रतिनिधियों के पंचनामा में हस्ताक्षर भी करवा लिए और हस्ताक्षर के ऊपर गलत टिप्पणी लिख दी गई.
वन अफसरों ने उक्त वनभूमि पर अडानी का लीज क्षेत्र होने की फर्जी टिप्पणी क्यों लिखी ?
सामाजिक कार्यकर्ता राजेश सिंह मरकाम का कहना है कि वन विभाग तमनार के द्वारा गरीब ग्रामीणों के साथ की गयी इस तरह की फर्जी कार्रवाई से ये साफ हो गया है कि गरीबों के साथ अन्नाय हुआ है. सामाजिक कार्यकर्ता राजेश सिंह मरकाम ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि तमनार वन विभाग के द्वारा गरीब ग्रामीणों के साथ की गई फर्जी कार्रवाई से ये साफ हो गया है कि वन मान्यता कानून के तहत गरीबों को वंचित करने के उद्देश्य से अधिकारियों ने गलत कार्रवाई की है.