नारायणपुर: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से बदलाव की खुशबू आने लगी है. क्या आपने कभी सोचा था कि बस्तर संभाग के युवा रैंप वॉक करेंगे. जिला प्रशासन ने अबूझमाड़ संस्कृति को देश-दुनिया तक पहुंचाने के लिए अबूझमाड़ परिधान रैंप वॉक प्रतियोगिता का ऑडिशन जब लिया, तो लोगों की आंखें खुली रह गईं. प्रतिभागी युवा पारंपरिक अबूझमाड़िया वेशभूषा, परिधान और गहनों से सजे-धजे नजर आए.
छत्तीसगढ़ का बस्तर प्राचीन आदिवासी पंरपराओं को समेटे हुए है. यहां की सांस्कृतिक विरासत इतना ज्यादा विस्तार लिए हुए है कि हर थोड़ी दूर पर बोली और भाषा के साथ परिधान और वेशभूषा भी बदल जाती है. इसी का नजारा ऑडिशन में देखने को मिला. नारायणपुर के अबूझमाड़ की संस्कृति को मंच प्रदान करने की पहल जिला प्रशासन ने की है.
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बस देखते रह गए लोग
अबूझमाड़ के पारंपरिक परिधानों के साथ रैंप पर उतरे स्थानीय युवक-युवतियां आदिवासी संस्कृति को मंच पर अबूझमाड़िया वेशभूषा, परिधान में लेकर आए. वहां के पारंपरिक परिधान पहनकर स्थानीय युवक-युवतियों ने रैंप पर वॉक किया. मंच पर मॉडलों की तरह स्थानीय लोगों को मंच पर वॉक करते देखना किसी अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम से कम नहीं लग रहा था.
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13 मार्च को है कॉम्पीटिशन
दो दिनों तक हुए इस ऑडिशन में 35 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. यह प्रतियोगिता जूनियर वर्ग में 18 वर्ष से कम उम्र और सीनियर वर्ग में होगी. मुख्य कार्यक्रम 13 मार्च को माता मावली मेले में होगा. विजेता प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र और मेडल प्रदान किया जाएगा.
दुनिया देखेगी अबूझमाड़ की संस्कृति
संयुक्त कलेक्टर निधि साहू ने बताया कि इस दौरान पारंपरिक वेशभूषा, परिधान और आभूषणों से सुसज्जित युवक-युवतियों ने रैंप पर वॉक कर हर किसी को मोहित किया. इससे निश्चित ही आने वाले समय में अबूझमाड़ के प्रतिभागियों को रैंप के क्षेत्र में सफलता मिलेगी और अबूझमाड़ की संस्कृति को देश-दुनिया तक पहुंचा पाएंगे.