नारायणपुर: पूरी दुनिया में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इसके लिए आदिवासी समाज कुछ दिनों पूर्व से ही तैयारियां शुरू करते हैं, हालांकि इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण बड़े सामाजिक आयोजन और कार्यक्रम नहीं हुए. जिला मुख्यालय स्थित गोंडवाना समाज भवन में आदिवासी समाज के प्रमुखों ने लगभग 40-50 व्यक्तियों की मौजूदगी में महापुरुषों को याद किया. सर्व प्रथम वीर सेनानी गेदसिंह नायक, वीर सेनानी गुण्डाधुर की फोटो पर तिलक लगाकर कार्यक्रम शुरू किया गया.
दरअसल, 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर आदिवासी माड़िया और अन्य समुदाय के लोग धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. आदिवासी समाज के लोग इस दिन अपनी परंपराओं और रीति-रिवाज से अपने देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं. साथ ही उत्सव मनाते हैं, हालांकि इस साल कोरोना वायरस के कारण कम लोगों ने विश्व आदिवासी दिवस को मनाया.
ये हैं भारत के प्रमुख आदिवासी
जानकारी के मुताबिक भारतीय संविधान में आदिवासियों के लिए अनुसूचित जनजाति का प्रयोग किया गया है. देश के प्रमुख आदिवासी समुदायों में बोडो, भील, उरांव, परधान, खासी, सहरिया, बैगा, संथाल, मीणा, जाट, गोंड, मुंडा, खड़िया, हो, बिरहोर, पारधी, आंध, मल्हार कोला, टाकणकार, टोकरे कोला शामिल हैं.
प्राकृतिक चीजों की पूजा करते हैं आदिवासी
एक ओर जहां हिंदू अपनी पहचान के लिए लाल या फिर ऑरेंज रंग का राम लिखा झंडा घर पर लगाते हैं. वहीं आदिवासी लोग अपने घरों और खेतों में खास तरह का झंडा लगाते हैं, जो अन्य धर्मों के झंडे से एकदम अलग होता है. आदिवासी किसी मूर्ति के बजाय जीव-जंतुओं, नदियों, खेत, पर्वत और प्राकृतिक चीजों की पूजा करते हैं.
गोंडवाना भवन में किया गया कार्यक्रम का आयोजन
बता दें कि नारायणपुर के बखरुपारा में स्थित गोंडवाना भवन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जहां कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया, जिसमें नारायणपुर जिले के सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष बिसेल नाग, जिला पंचायत अध्यक्ष श्यामबती नेताम, नगर पालिका अध्यक्ष सुनीता मांझी, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष वेदबत्ती पात्र के साथ-साथ अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद रहे. इन्होंने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया.