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नारायणपुर में शामिल करने की मांग के साथ जारी रहा ग्रामीणों का धरना, मौके पर मनाया 'नवाखाई का पर्व'

अपनी मांगों को लेकर नारायणपुर जिले की सरहद (outskirts) पर कांकेर जिले के 58 गांव के ग्रामीणों (villagers) ने मोर्चा (front) खोल दिया है. वह अनिश्चित कालीन धरने (indefinite strike) पर बैठ गए हैं. प्रदर्शनकारियों ने अनिश्चित कालीन धरना-प्रदर्शन के आठवें दिन सामूहिक रूप (collectively) से धरनास्थल (picket) पर ही नवाखाई का पर्व (festival of new) मनाया.

Villagers' strike on the eighth day continued with the demand
मांग के साथ जारी रहा ग्रामीणों का आठवें दिन धरना
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Published : Sep 15, 2021, 9:02 PM IST

Updated : Sep 15, 2021, 11:37 PM IST

नारायणपुरः जिले की सरहद पर कांकेर जिले के 58 गांव के ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर अनिश्चित कालीन धरने पर बैठ गए हैं. ग्रामीणों की मानें तो इस बार ये लड़ाई आर-पार (cross fight) की होगी. बुधवार 15 सितम्बर को अनिश्चित कालीन धरना (indefinite strike) का आठवां दिन रहा. क्षेत्र में नवाखाई पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है और ग्रामीणों (villagers) द्वारा सामूहिक रूप से धरना स्थल पर ही नवाखाई का पर्व मनाया गया.

मांग के साथ जारी रहा ग्रामीणों का आठवें दिन धरना

2007 में नारायणपुर जिले का गठन हुआ था तब से कांकेर और नारायणपुर जिले के सरहद पर बसे ग्राम के ग्रामीणों ने नारायणपुर जिले में शामिल होने की मांग की थी. शासन-प्रशासन (Government administration) ने ग्रामीणों की मांग को नजर अंदाज़ (ignore) कर दिया. क्षेत्र के लोगों को उम्मीद थी कि यदि नारायणपुर जिला बनेगा तो हम सभी उसी जिले का हिस्सा होंगे. परंतु इस क्षेत्र को नारायणपुर जिले में शामिल नहीं किया गया.

भले ही यह लोग कांकेर जिले के अंतर्गत आते हैं, परंतु अपनी सभी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नारायणपुर पर आश्रित रहते हैं. फिर चाहे वह शिक्षा, स्वास्थ्य (education, health) की बात हो या फिर अन्य सामानों के आपूर्ति की. धरने पर बैठे ग्रामीणों का कहना है कि नारायणपुर जिले के अस्तित्व में आने के बाद से ही हम क्षेत्रों के लोग नारायणपुर जिला में शामिल होने की मांग को लेकर शासन- प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं. इसके बाद भी हमारी मांगों को लेकर प्रशासन गंभीर नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में हमारे पास आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है अब जब तक शासन हमारी मांगों को पूरा नहीं करता तब तक हम धरने पर बैठे रहेंगे.

सामूहिक मुंडन होकर भी जताया गया है विरोध
अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन (indefinite strike) में कुछ अलग-अलग तरह के तरीके अपना कर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. धरना-प्रदर्शन के पांचवें दिन अर्द्ध नग्न अवस्था (semi nude) में ग्रामीण मैदान में उतरे हुए थे. छठवें दिन सैकड़ों लोगों ने अपना सिर मुड़वा कर प्रदर्शन (head turn show) किया. 58 गांव के ग्रामीण कोलर चौक के पास अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठे हुए हैं. इससे कोलर चौक धरना-प्रदर्शन स्थल के रूप में तब्दील हो गया है.

कांकेर में किसने कहा, 'कांग्रेस को वोट दोगे तो ऐसी रोड पाओगे'

लंबे समय से कर रहे हैं मांग
नारायणपुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में बसे कांकेर जिले के 13 ग्राम पंचायत में निवासरत ग्रामीण नारायणपुर जिला गठन होने के बाद 2007 से प्रदर्शन करते आ रहे हैं. इनमें कोलर क्षेत्र से भैसगांव, कोलर, तालाबेड़ा, बैंहासालेभाट, फूलपाड़ एवं बण्डापाल क्षेत्र के ग्रामीण शामिल हैं.

शासकीय काम के लिए लंबा सफर करते हैं ग्रामीण
इन पंचायतों में निवासरत ग्रामीणों को शासकीय कार्य के लिए 150 किलोमीटर का सफर तय कर कांकेर जिला मुख्यालय पहुंचना पड़ता है. जबकि इन ग्राम पंचायतों से नारायणपुर जिला मुख्यालय की दूरी मात्र 20 किमी तय करनी पड़ती है. इसके साथ ही कांकेर जिले के 13 ग्राम पंचायत में निवासरत ग्रामीणों का रहन-सहन (standard of living), रिश्तेदारी (kinship), बाजार (Market), शिक्षा (Education), स्वास्थ्य (Health) जैसी बुनियादी सुविधाएं (infrastructure) नारायणपुर जिला मुख्यालय से पूरी होती है. इन सभी बातों को संज्ञान में लेकर कांकेर जिले के 13 ग्राम पंचायतों के 58 गांव के ग्रामीण लगातार नारायणपुर जिले में शामिल करने की मांग करते आ रहे हैं.

नारायणपुरः जिले की सरहद पर कांकेर जिले के 58 गांव के ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर अनिश्चित कालीन धरने पर बैठ गए हैं. ग्रामीणों की मानें तो इस बार ये लड़ाई आर-पार (cross fight) की होगी. बुधवार 15 सितम्बर को अनिश्चित कालीन धरना (indefinite strike) का आठवां दिन रहा. क्षेत्र में नवाखाई पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है और ग्रामीणों (villagers) द्वारा सामूहिक रूप से धरना स्थल पर ही नवाखाई का पर्व मनाया गया.

मांग के साथ जारी रहा ग्रामीणों का आठवें दिन धरना

2007 में नारायणपुर जिले का गठन हुआ था तब से कांकेर और नारायणपुर जिले के सरहद पर बसे ग्राम के ग्रामीणों ने नारायणपुर जिले में शामिल होने की मांग की थी. शासन-प्रशासन (Government administration) ने ग्रामीणों की मांग को नजर अंदाज़ (ignore) कर दिया. क्षेत्र के लोगों को उम्मीद थी कि यदि नारायणपुर जिला बनेगा तो हम सभी उसी जिले का हिस्सा होंगे. परंतु इस क्षेत्र को नारायणपुर जिले में शामिल नहीं किया गया.

भले ही यह लोग कांकेर जिले के अंतर्गत आते हैं, परंतु अपनी सभी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नारायणपुर पर आश्रित रहते हैं. फिर चाहे वह शिक्षा, स्वास्थ्य (education, health) की बात हो या फिर अन्य सामानों के आपूर्ति की. धरने पर बैठे ग्रामीणों का कहना है कि नारायणपुर जिले के अस्तित्व में आने के बाद से ही हम क्षेत्रों के लोग नारायणपुर जिला में शामिल होने की मांग को लेकर शासन- प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं. इसके बाद भी हमारी मांगों को लेकर प्रशासन गंभीर नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में हमारे पास आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है अब जब तक शासन हमारी मांगों को पूरा नहीं करता तब तक हम धरने पर बैठे रहेंगे.

सामूहिक मुंडन होकर भी जताया गया है विरोध
अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन (indefinite strike) में कुछ अलग-अलग तरह के तरीके अपना कर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. धरना-प्रदर्शन के पांचवें दिन अर्द्ध नग्न अवस्था (semi nude) में ग्रामीण मैदान में उतरे हुए थे. छठवें दिन सैकड़ों लोगों ने अपना सिर मुड़वा कर प्रदर्शन (head turn show) किया. 58 गांव के ग्रामीण कोलर चौक के पास अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठे हुए हैं. इससे कोलर चौक धरना-प्रदर्शन स्थल के रूप में तब्दील हो गया है.

कांकेर में किसने कहा, 'कांग्रेस को वोट दोगे तो ऐसी रोड पाओगे'

लंबे समय से कर रहे हैं मांग
नारायणपुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में बसे कांकेर जिले के 13 ग्राम पंचायत में निवासरत ग्रामीण नारायणपुर जिला गठन होने के बाद 2007 से प्रदर्शन करते आ रहे हैं. इनमें कोलर क्षेत्र से भैसगांव, कोलर, तालाबेड़ा, बैंहासालेभाट, फूलपाड़ एवं बण्डापाल क्षेत्र के ग्रामीण शामिल हैं.

शासकीय काम के लिए लंबा सफर करते हैं ग्रामीण
इन पंचायतों में निवासरत ग्रामीणों को शासकीय कार्य के लिए 150 किलोमीटर का सफर तय कर कांकेर जिला मुख्यालय पहुंचना पड़ता है. जबकि इन ग्राम पंचायतों से नारायणपुर जिला मुख्यालय की दूरी मात्र 20 किमी तय करनी पड़ती है. इसके साथ ही कांकेर जिले के 13 ग्राम पंचायत में निवासरत ग्रामीणों का रहन-सहन (standard of living), रिश्तेदारी (kinship), बाजार (Market), शिक्षा (Education), स्वास्थ्य (Health) जैसी बुनियादी सुविधाएं (infrastructure) नारायणपुर जिला मुख्यालय से पूरी होती है. इन सभी बातों को संज्ञान में लेकर कांकेर जिले के 13 ग्राम पंचायतों के 58 गांव के ग्रामीण लगातार नारायणपुर जिले में शामिल करने की मांग करते आ रहे हैं.

Last Updated : Sep 15, 2021, 11:37 PM IST
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