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निक्को कंपनी की खदान के विरोध में आदिवासियों का धरना जारी

रविवार को सैकड़ों की संख्या में आदिवासियों ने ओरछा मार्ग में चक्का जाम कर विरोध प्रदर्शन किया है. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती है वे धरने पर डटे रहेंगे.

tribals protest
आमदई खदान के खिलाफ प्रदर्शन
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Published : Jan 3, 2021, 4:54 PM IST

नारायणपुर: छत्तीसगढ़ में सैकड़ों आदिवासी अपने जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए आमदई में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. पिछले 4 दिनों से 84 परगना के हजारों ग्रामीण पारंपरिक हथियार के साथ कड़कती ठंड में डटे हुए हैं. शनिवार को एसडीएम अपनी टीम के साथ ग्रामीणों को समझाने के लिए पहुंचे थे. ग्रमीणों ने उनकी बात सुनने से मना कर दिया. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती है वे धरने पर डटे रहेंगे.

आदिवासियों का धरना-प्रदर्शन

रविवार को ग्रामीणों ने नारायणपुर ओरछा मार्ग पर चक्काजाम करने के साथ ही पहाड़ी के ऊपर तैनात फोर्स के जवानों के राशन पानी भी नहीं ले जाने दिया. ग्रामीणों के कहना है कि हम राजपुर के झारा से रैली निकालकर पैदल नारायणपुर आए थे. 3 दिनों तक पैदल चलकर फरसगांव पहुंचने के बाद 28 दिसंबर को प्रशासन ने हमे बातचीत के लिए नारायणपुर बुलाया था. घंटों बातचीत के बाद आमदई खदान के दस्तावेज देने और उसके अध्ययन के लिए एक महीने की मोहलत मांगी थी. इस दौरान आमदई में कार्य बंद रहने की बात कही गई थी. 29 दिसंबर को जब दोबारा आ के देखा गया तो पुलिस कैंप पहाड़ी पर तैनात थी. निको कंपनी के लोग भी वहां मौजूद थे. ग्रामीणों का कहान है कि जब तक पुलिस पहाड़ी से नही उतरेंगे तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा.

villagers chakka jam
ग्रामीणों का चक्काजाम

पढ़ें: निक्को कंपनी की खदान के विरोध में आदिवासियों का जिला मुख्यालय कूच

15 दिनों का दिया था अल्टीमेटम

आमदई खदान की लीज को रद्द करने की मांग को लेकर बस्तर संभाग के 7 जिलों के हजारों ग्रामीणों ने धौड़ाई गांव में 4 दिनों तक आंदोलन किया था. इस आंदोलन के चौथे दिन हजारों ग्रामीणों की उपस्थिति में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया. इसके लिए 15 दिनों का अल्टीमेटम जिला प्रशासन को दिया गया. इस आंदोलन के बाद जिला प्रशासन को दिए गए अल्टीमेटम की अवधि आज खत्म होने के बाद भी इस ओर कोई कार्रवाई नहीं की गई है जिससे ग्रामीण नाराज है.

tribals protest
आमदई खदान के खिलाफ प्रदर्शन

ग्रामीणों की मांग

  • नए थाना और कैंपों का विरोध.
  • अंदरूनी इलाकों में पुलिस के सर्च अभियान को बंद करने की मांग.
  • जेल भेजे गए ग्रामीणों की रिहाई की मांग.
  • आमदई खदान को बंद करने की मांग

पढ़ें: नारायणपुर: किसान आंदोलन से सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने 'हक' के लिए डटे आदिवासी

पुलिस कैंप को हटाने की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि जिला मुख्यालय से करीब 48 किलोमीटर दूर आमदई घाटी में शुरू निको जायसवाल कंपनी के कार्य सहित उपर में स्थित पुलिस कैंप को हटाने की मांग को लेकर हम सभी ग्रामीण पिछले तीन दिनों से आमदई घाटी में विरोध प्रदर्शन कर रहे है. एसडीएम ने हमरी मांगों को कलेक्टर, एसपी सहित राज्य सरकार तक पहुंचाने की बात कही है. बार बार आश्वासन देने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जाती है. इससे पहले भी कलेक्टर ने 15 दिनों के अंदर मामले में संज्ञान लेने का आश्वासन दिया था.

tribals protest
आदिवासियों का प्रदर्शन

पर्यावरण को होगा नुकसान

आमदई खदान को लेकर ग्रामीणों ने जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि निको कंपनी के साथ जिला प्रशासन ने फर्जी जनसुनवाई कर दलाली की है. खदान की शुरुआत होने पर पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचेगा. साथ ही 84 परगना के जो देवी-देवता इस आमदई खदान में हैं, जिनकी पूजा-अर्चना वे हजारों सालों से करते आ रहे हैं, वो भी नहीं कर पाएंगे. उनका कहना है कि जल, जंगल, जमीन, पहाड़ी हमे जड़ी बूटी देते हैं. इनसे हमारा जीवन चल रहा है. हम खदान शुरू होने नहीं देंगे.

नारायणपुर: छत्तीसगढ़ में सैकड़ों आदिवासी अपने जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए आमदई में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. पिछले 4 दिनों से 84 परगना के हजारों ग्रामीण पारंपरिक हथियार के साथ कड़कती ठंड में डटे हुए हैं. शनिवार को एसडीएम अपनी टीम के साथ ग्रामीणों को समझाने के लिए पहुंचे थे. ग्रमीणों ने उनकी बात सुनने से मना कर दिया. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती है वे धरने पर डटे रहेंगे.

आदिवासियों का धरना-प्रदर्शन

रविवार को ग्रामीणों ने नारायणपुर ओरछा मार्ग पर चक्काजाम करने के साथ ही पहाड़ी के ऊपर तैनात फोर्स के जवानों के राशन पानी भी नहीं ले जाने दिया. ग्रामीणों के कहना है कि हम राजपुर के झारा से रैली निकालकर पैदल नारायणपुर आए थे. 3 दिनों तक पैदल चलकर फरसगांव पहुंचने के बाद 28 दिसंबर को प्रशासन ने हमे बातचीत के लिए नारायणपुर बुलाया था. घंटों बातचीत के बाद आमदई खदान के दस्तावेज देने और उसके अध्ययन के लिए एक महीने की मोहलत मांगी थी. इस दौरान आमदई में कार्य बंद रहने की बात कही गई थी. 29 दिसंबर को जब दोबारा आ के देखा गया तो पुलिस कैंप पहाड़ी पर तैनात थी. निको कंपनी के लोग भी वहां मौजूद थे. ग्रामीणों का कहान है कि जब तक पुलिस पहाड़ी से नही उतरेंगे तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा.

villagers chakka jam
ग्रामीणों का चक्काजाम

पढ़ें: निक्को कंपनी की खदान के विरोध में आदिवासियों का जिला मुख्यालय कूच

15 दिनों का दिया था अल्टीमेटम

आमदई खदान की लीज को रद्द करने की मांग को लेकर बस्तर संभाग के 7 जिलों के हजारों ग्रामीणों ने धौड़ाई गांव में 4 दिनों तक आंदोलन किया था. इस आंदोलन के चौथे दिन हजारों ग्रामीणों की उपस्थिति में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया. इसके लिए 15 दिनों का अल्टीमेटम जिला प्रशासन को दिया गया. इस आंदोलन के बाद जिला प्रशासन को दिए गए अल्टीमेटम की अवधि आज खत्म होने के बाद भी इस ओर कोई कार्रवाई नहीं की गई है जिससे ग्रामीण नाराज है.

tribals protest
आमदई खदान के खिलाफ प्रदर्शन

ग्रामीणों की मांग

  • नए थाना और कैंपों का विरोध.
  • अंदरूनी इलाकों में पुलिस के सर्च अभियान को बंद करने की मांग.
  • जेल भेजे गए ग्रामीणों की रिहाई की मांग.
  • आमदई खदान को बंद करने की मांग

पढ़ें: नारायणपुर: किसान आंदोलन से सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने 'हक' के लिए डटे आदिवासी

पुलिस कैंप को हटाने की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि जिला मुख्यालय से करीब 48 किलोमीटर दूर आमदई घाटी में शुरू निको जायसवाल कंपनी के कार्य सहित उपर में स्थित पुलिस कैंप को हटाने की मांग को लेकर हम सभी ग्रामीण पिछले तीन दिनों से आमदई घाटी में विरोध प्रदर्शन कर रहे है. एसडीएम ने हमरी मांगों को कलेक्टर, एसपी सहित राज्य सरकार तक पहुंचाने की बात कही है. बार बार आश्वासन देने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जाती है. इससे पहले भी कलेक्टर ने 15 दिनों के अंदर मामले में संज्ञान लेने का आश्वासन दिया था.

tribals protest
आदिवासियों का प्रदर्शन

पर्यावरण को होगा नुकसान

आमदई खदान को लेकर ग्रामीणों ने जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि निको कंपनी के साथ जिला प्रशासन ने फर्जी जनसुनवाई कर दलाली की है. खदान की शुरुआत होने पर पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचेगा. साथ ही 84 परगना के जो देवी-देवता इस आमदई खदान में हैं, जिनकी पूजा-अर्चना वे हजारों सालों से करते आ रहे हैं, वो भी नहीं कर पाएंगे. उनका कहना है कि जल, जंगल, जमीन, पहाड़ी हमे जड़ी बूटी देते हैं. इनसे हमारा जीवन चल रहा है. हम खदान शुरू होने नहीं देंगे.

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