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Special: नारायणपुर में वनोपज के नकद भुगतान से खिले ग्रामीणों के चेहरे - Lockdown effect

नारायणपुर जिला वनोपज संग्रहण में पहले नंबर पर है. लॉकडाउन में स्वसहायता समूहों के जरिए सोशल डिस्टेसिंग के साथ वनोपज खरीदी हो रही है. जिसका नकद भुगतान किया जा रहा है. पौने 3 करोड़ का भुगतान आदिवासियों को किया जा चुका है.

Narayanpur number one in forest produce collection
वनोपज संग्रहण में नंबर वन नारायणपुर
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Published : Apr 22, 2020, 3:02 PM IST

Updated : Apr 22, 2020, 4:06 PM IST

नारायणपुर: छत्तीसगढ़ में आज भी वनांचल में रहने वाले आदिवासियों की आय का मुख्य जरिया वनोपज है. तकनीक की दुनिया की चकाचौंध से दूर ये आदिवासी अपने सबसे पुराने साथी जंगल के साथ ही रहते हैं. लॉकडाउन में भी उनके पुराने साथी ने ही साथ दिया और आर्थिक तंगी को दूर किया. वनांचलों में स्वसहायता समूहों के जरिए वनोपज खरीदी हो रही है. ग्रामीणों को इसके एवज में नकद पैसे मिल रहे हैं. अबतक जिले में पौने 3 करोड़ का भुगतान हो चुका है. जिला वनोपज संग्रहण में पहले नंबर पर है.

वनोपज का भुगतान मिलने से खुशी

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन

लॉकडाउन में खरीदी के दौरान सोशल डिस्टेसिंग का भी ध्यान रखा जा रहा है. जिले में लघु वनोपज समितियों के अन्तर्गत स्वसहायता समूह के जरिए वनोपज खरीदी हो रही है. वनोपज की खरीदी का कार्य 68 महिला स्व सहायता समूह कर रहीं हैं. सर्दियों के खत्म होते ही ग्रामीणों के लिए वनोपज संग्रहण का मौसम चालू हो जाता है.

पढ़ें: जज्बे को सलाम : 10 हजार मास्क सिलकर प्रशासन को देंगी "मास्क दीदी"

7 समितियां कर रही खरीदी

नारायणपुर, एड़का, सोनपुर, बेनूर के साथ ही गढ़बेंगाल, फरसगांव और धौड़ाई समेत 7 लघु वनोपज समितियां खरीदी कर रही हैं. 13 लघु वनोपजों में चिरौंजी, आंवला, महुआ बीज, महुआ फूल, इमली , बहेड़ा , हर्रा , साल बीज, बायविडिंग, शहद ,लाख कुसुमी, फूलबाहरी और चरोटा की खरीदी की जा रही है

सरकार ने बढ़ाया समर्थन मूल्य

छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासियों को ज्यादा फायदा पहुंचाने के लिए महुआ के समर्थन मूल्य को 17 रुपए से बढ़ाकर 30 रुपए कर दिया है. वन एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर ने इसकी घोषणा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए की है . लघु वनोपज वनों में रहने वाले वनवासियों के लिए गुजर-बसर का महत्वपूर्ण साधन रहा है. लॉकडाउन के दौरान भी वनोपज छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के लिए संजीवनी से कम नहीं.

नारायणपुर: छत्तीसगढ़ में आज भी वनांचल में रहने वाले आदिवासियों की आय का मुख्य जरिया वनोपज है. तकनीक की दुनिया की चकाचौंध से दूर ये आदिवासी अपने सबसे पुराने साथी जंगल के साथ ही रहते हैं. लॉकडाउन में भी उनके पुराने साथी ने ही साथ दिया और आर्थिक तंगी को दूर किया. वनांचलों में स्वसहायता समूहों के जरिए वनोपज खरीदी हो रही है. ग्रामीणों को इसके एवज में नकद पैसे मिल रहे हैं. अबतक जिले में पौने 3 करोड़ का भुगतान हो चुका है. जिला वनोपज संग्रहण में पहले नंबर पर है.

वनोपज का भुगतान मिलने से खुशी

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन

लॉकडाउन में खरीदी के दौरान सोशल डिस्टेसिंग का भी ध्यान रखा जा रहा है. जिले में लघु वनोपज समितियों के अन्तर्गत स्वसहायता समूह के जरिए वनोपज खरीदी हो रही है. वनोपज की खरीदी का कार्य 68 महिला स्व सहायता समूह कर रहीं हैं. सर्दियों के खत्म होते ही ग्रामीणों के लिए वनोपज संग्रहण का मौसम चालू हो जाता है.

पढ़ें: जज्बे को सलाम : 10 हजार मास्क सिलकर प्रशासन को देंगी "मास्क दीदी"

7 समितियां कर रही खरीदी

नारायणपुर, एड़का, सोनपुर, बेनूर के साथ ही गढ़बेंगाल, फरसगांव और धौड़ाई समेत 7 लघु वनोपज समितियां खरीदी कर रही हैं. 13 लघु वनोपजों में चिरौंजी, आंवला, महुआ बीज, महुआ फूल, इमली , बहेड़ा , हर्रा , साल बीज, बायविडिंग, शहद ,लाख कुसुमी, फूलबाहरी और चरोटा की खरीदी की जा रही है

सरकार ने बढ़ाया समर्थन मूल्य

छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासियों को ज्यादा फायदा पहुंचाने के लिए महुआ के समर्थन मूल्य को 17 रुपए से बढ़ाकर 30 रुपए कर दिया है. वन एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर ने इसकी घोषणा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए की है . लघु वनोपज वनों में रहने वाले वनवासियों के लिए गुजर-बसर का महत्वपूर्ण साधन रहा है. लॉकडाउन के दौरान भी वनोपज छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के लिए संजीवनी से कम नहीं.

Last Updated : Apr 22, 2020, 4:06 PM IST
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