नारायणपुर: कोविड-19 महामारी ने पूरे विश्व को संकट में डाल दिया है. एक तरफ जहां व्यापार ठप है तो वहीं दूसरी तरफ रोज कमा कर खाने वालों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. स्कूल-कॉलेज बंद होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. ये लॉक डाउन छात्र-छात्राओं के भविष्य के लिए खतरा बन गया है.
लॉक डाउइन में बच्चों की पढ़ाई बर्बाद न हो इसके लिए छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग ने 20 अप्रैल से ऑनलाइन क्लास शुरू करने के निर्देश जारी किया है, लेकिन असुविधाओं की मार से ऑनलाइन क्लासेस का सपना ऑफलाइन होता दिख रहा है. नेटवर्क न होने की वजह से स्टूडेंट्स को पढ़ाई करने में परेशानी हो रही है.
24 अप्रैल से बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई शुरू
शिक्षकों से बातचीत की गई, तो उनका कहना है कि विद्यालय के रिकॉर्ड में जो नंबर हैं, उसमें कई छात्रों के पास खुद का फोन ही नहीं है. जिन बच्चों के पास है भी तो वह एंड्राएड फोन का उपयोग नहीं करते. अगर किसी के पास है, तो वहां नेटवर्क ही नहीं है. ऐसे में बच्चों को किस तरह ऑनलाइन पढ़ाया जाए. यह शिक्षकों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है.
'पढ़ई तुंहर दुआर' का लाभ लेंगे छात्र
डीईओ का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग रायपुर से जिले के 1401 शिक्षकों के पंजीयन में से 1350 शिक्षक को ऑनलाइन पोर्टल से जोडा़ गया है. इसके साथ ही जिले के 4500 स्कूली छात्र-छात्राएं भी जोड़े गए हैं. साथ ही 24 अप्रैल से बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई भी शुरू हो गई है, जिसके लिए स्कूल के प्रधान पाठक, प्राचार्य और संकुल समन्वयकों को नोडल अधिकारी बनाया गया है, जिसमें ओरछा ब्लॉक के पहली से 12 वीं कक्षा तक के छात्र-छात्राएं 'पढ़ई तुंहर दुआर' का लाभ लेंगे.
लॉकडाउन के बीच बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई
एक तरफ जहां गांव के बच्चों को स्कूल लाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है, बच्चों को शिक्षक खेत-खलिहानों में तलाशते घूमते हैं, इतना ही नहीं कई मर्तबा तो मां-बाप को भी बोलना पड़ता है, तब जाकर बच्चों को स्कूल भेजते हैं. ऐसे में अब लॉकडाउन के बीच बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई कराना, बिना किसी तैयारियों के सेना मैदान में उतार देने जैसी बात है.