नारायणपुर: शनिवार को अबूझमाड़ के जंगल में मुठभेड़ के दौरान सुरक्षाबलों ने पांच नक्सलियों को मौत के घाट उतार दिया था. हालांकि फायरिंग में सुरक्षाबल के दो जवान भी घायल हुए, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
जवानों के पास जंगल में नक्सलियों की मौजूदगी का ठोस इनपुट था, लेकिन बारिश के मौसम में अबूझमाड़ के घने जंगलों में ऑपरेशन को अंजाम देना आसान नहीं था. चारों ओर घना जंगल और कीचड़ से भरे रास्ते हर कदम पर जवानों का इम्तिहान ले रहे थे. सुरक्षाबलों के पास एक विश्वसनीय जानकारी थी कि, 'लाल आतंक' ने जंगल में ट्रेनिंग कैंप खोल रखा है, जहां नक्सलियों को ट्रेनिंग दी जाती है.
पास था महज दो दिन का खाना
सुरक्षाबलों ने सर्चिंग शुरू की. पहाड़ और उफनती नदियों से होते हुए जवान आगे बढ़े इस दौरान उनके पास महज दो दिन का ही खाना था. जवान लगातार मुश्किलों के बावजूद बड़े धर्य के साथ नक्सलियों का पीछा कर रहे थे. शनिवार को आखिर वो वक्त आ गया जब जवान नक्सलियों के ट्रेनिंग कैंप के बेहद करीब थे. आसमान में कोहरा छाया था, विजिविलटी महज 10 मीटर की थी. जवान दबे पांव नक्सलियों के कैंप में दाखिल हुए, नक्सलियों ने जैसे ही जवानों को देखा उनपर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी.
नक्सलियों ने अत्याधुनिक हथियार से की फायरिंग
जवानों ने मोर्चा संभाला और नक्सलियों की ओर से की जा रही गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दिया. करीब डेढ़ घंटे तक दोनों ओर गोलियां बरसती रहीं. नक्सली AK-47 और इंसास जैसे अत्याधुनिक हथियार से जवानों पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर रहे थे, तो दूसरी ओर से सुरक्षाबल लाल आतंक की हर एक गोली का जवाब दे रहे थे. गोलियों की गड़गड़ाहट करीब डेढ़ घंटे बाद शांत हुई, जिसके बाद सुरक्षाबलों ने इलाके की सर्चिंग शुरू की.
सर्चिंग के दौरान मिले पांच नक्सलियों के शव
सर्चिंग के दौरान सुरक्षाबलों को एक किलोमीटर के इलाके में पांच नक्सलियों के शव मिले. फायरिंग के दौरान सुरक्षाबल के दो जवानों को भी गोली लगी थी और उन्हें सुरक्षित कैंप तक पहुंचाना एक बड़ी चुनौती थी.
भाग खड़े हुए नक्सली
आसमान से हो रही बारिश और जंगली इलाका होने की वजह से हेलीकॉप्टर का उस इलाके में जाना मुश्किल था. ऐसे में जवानों ने अपने घायल साथियों को प्राथमिक उपचार देने के बाद घायल जवान और मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों के शवों को कंधों पर रखा और चल दिए कैंप की ओर. इस दौरान रास्ते में नक्सलियों ने उन्हें रोकने के लिए जगह-जगह पर फायरिंग की लेकिन जवानों की ओर से की गई जवाबी फायरिंग से नक्सली भाग खड़े हुए.
गले लगकर साथियों को दी बधाई
घायल साथियों को कंधे पर उठाए जवानों ने कई मील का सफर किया और आखिर में वो उन्हें लेकर ओरछा कैंप पहुंच गए. कैंप पहुंचने पर जवान एक दूसरे के गले लगे, उन्हें बधाई दी. वाकयी जवानों ने नक्सलियों के गढ़ में घुसकर जिस तरह से विपरीत परीस्थियों में इस एनकाउंटर को अंजाम दिया वो वाकयी काबिल-ए-तारीफ है.