नारायणपुर: संजीवनी एक्सप्रेस की शुरुआत जिले में घायल और गंभीर रुप से बीमार मरीजों को त्वरित मेडिकल सेवा देने के लिए की गई थी.लेकिन अब देखरेख के अभाव में संजीवनी सेवा खुद ही दम तोड़ते नजर आ रही है.जिले के ज्यादातर एंबुलेंस खराब पड़े हैं.उनका मेंटनेंस नहीं होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में आपात सेवा देने वाली ये एंबुलेंस कबाड़ में बदल रही है. जिसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में आपातकालीन स्थिति में समय पर इलाज नहीं मिलने के चलते कई मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही है.
छोटेडोंगर में एंबुलेंस सेवा बंद : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र छोटेडोंगर में एंबुलेंस 108 करीब हफ्ते भर से बांहकेर रोड के जंगल में खड़ी है. इस खराब हुई गाड़ी के ड्राइवर और एमटी को इस बात की कोई परवाह नहीं है.इस गाड़ी की हालत देखकर ऐसा लग रहा है कि कहीं जोरदार टक्कर हुई है और इसे छिपाने के लिए सामने के हिस्से को कपड़े से ढंककर उसे जंगल में लावारिस हालत में छोड़ दिया गया है. इस एंबुलेंस की मदद से आसपास के कई गांवों में ग्रामीण आसानी से अस्पताल तक पहुंच जाते थे.लेकिन लापरवाही ने मरीजों की सुविधा पर ग्रहण लगा दिया है.
जिले में कितनी संजीवनी एक्सप्रेस : नारायणपुर जिले में संजीवनी एक्सप्रेस की 9 गाड़ियां हैं. जिसमें अधिकतर की हालत खराब है. मुख्यालय में 3 गाड़ियां चलती हैं जिसमें दो की हालत खराब है. बताया जा रहा है एक गाड़ी में हीटिंग की प्रॉब्लम आ रही है और दूसरे में आईल चेंज करना है. इसी प्रकार बेनूर की एक गाड़ी तो पिछले 6 महीने से खराब है. इसके बैकअप में एक गाड़ी अतिरिक्त जयअंबे सर्विस ने उपलब्ध कराई है. इसी प्रकार ओरछा में दो गाड़ी में एक गाड़ी खराब है. जो की सर्विसिंग होने जगदलपुर गई है. छोटेडोंगर में चल रही एक गाड़ी कुछ दिन पहले भैंस से टकरा गई थी. तब से उसके रेडिएटर में प्रॉब्लम हैं, धनोरा की एक गाड़ी जिसे धौड़ाई से संचालित किया जाता है और कोहकामेटा की गाड़ी की हालत सही है.
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मरीज को छोड़कर आ रही संजीवनी हुई थी दुर्घटनाग्रस्त : सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार को एक केस में संजीवनी एक्सप्रेस की गाड़ी जगदलपुर गई हुई थी. संजीवनी एक्सप्रेस गाड़ी के टायर की हालत बहुत ही खराब थी. जिसने जगदलपुर जाते-जाते दम तोड़ दिया. जगदलपुर में इसे बदल कर नया टायर लगाया गया. इससे रखरखाव में गैर जिम्मेदारी का अंदाजा लगाया जा सकता है. इसके बावजूद गाड़ी के ब्रेक में लगातार समस्या आ रही थी. तभी वापसी के समय कोदागांव और कोकोड़ी के बीच में गाड़ी अनियंत्रित होकर पलट गई. गनीमत ये थी कि दुर्घटना के वक्त गाड़ी में मरीज नहीं था. मरीज को छोड़कर गाड़ी आ रही थी. दुर्घटना में कोई हताहत नहीं हुआ. लेकिन यह मैनेजमेंट के लिए एक सबक है कि गाड़ी को समय पर सर्विसिंग किया जाना अति आवश्यक है.