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इस धान संग्रहण केंद्र में धान की बोरियों में मिलाया जा रहा रेत

नारायणपुर मुख्यालय (Narayanpur Headquarters) से आठ किलोमीटर दूर धान संग्रहण केन्द्र कोचवाही (Paddy Collection Center Kochwahi) में अधिकारियों की मिलीभगत (Collusion of officials) से धान की बोरियों (Paddy sacks) में रेत मिलाई जा रही है. बारिश से काफी धान खराब हो चुका है. जिसकी भरपाई रेत मिलाकर की जा रही है.

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Published : Oct 21, 2021, 11:20 AM IST

sand being mixed in sacks
बोरियों में मिलाया जा रहा है रेत

नारायणपुरः छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के जिला नारायणपुर मुख्यालय(Narayanpur Headquarters) से आठ किलोमीटर दूर धान संग्रहण केन्द्र कोचवाही (Paddy Collection Center Kochwahi) में भ्रष्टाचार का मामले सामने आया है. दरअसल, यहां अधिकारियों की मिलीभगत (Collusion of officials) से धान की बोरियों (Paddy sacks) में नदी से रेत (Sand from the river) लाकर संग्रहक केन्द्र (Collection center) में मजदूरों (Workers) से पहले धान की बोरियों की पलटी की जाती है, फिर रेत डालकर वजन बढ़ाकर लाखों रुपये के हुए खराब धान के मामले को दबाने की कोशिश की जा रही हैं.

नारायणपुर जिले के कोचवाही धान संग्रहण केंद्र में खुले आसमान के नीचे हजारों क्विंटल से अधिक धान भगवान भरोसे खुले आसमान के नीचे रखा गया है और ये धान बारिश में भींग भी चुका है. जिससे अब कई बोरो में धान अंकुरित होने लगा है. वहीं, प्रशासन द्वारा उचित व्यवस्था नहीं की गई है, जिसके कारण आज शासन की महत्वाकांक्षी योजना धान खरीदी की गई उपज खराब हो रही है.

खराब धान की भरपाई रेत मिलाकर

वहीं, बारिश में भीगने से हुए खराब धान की भरपाई यहां रेती भरकर किया जा रहा था. जब ईटीवी भारत संग्रहण केंद्र पहुंचा, तो मजदूर धान के बोरो में रेत भरते हुए पकड़ाये. कई बार विपणन अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की गई. हालांकि कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. इसका मुख्य कारण यह है कि आज तक जिला नारायणपुर में पूर्णकालिक डीएमओ का नहीं होना है.

अधिकारियों की मिलीभगत

बताया जा रहा है कि जब धान संग्रहण केंद्र में किसान अपना धान बेचने पहुंचता है, तो सोसाइटी उनके कर्मचारी और अधिकारी के द्वारा परेशान किये जाते हैं, धान से बुसा उड़ाओ धान में गिट्टी मिट्टी नहीं होना चाहिए. अगर धान में नमी रहती है तो खरीदी नही की जाती है. हालांकि अब अधिकारी लाखों रुपए कमाने के लिए नदी से रेत लाकर मजदूरों से बोरो में भरवा रहे हैं. वहीं, काम करने वाले मजदूरों के द्वारा प्रत्येक बोरे में 5 से 10 किलो रेत भरा जा रहा है.

प्रशासन की ओर से नहीं कोई उचित व्यवस्था

इधर, मनीष तिवारी सहायक प्रोग्रामर (Manish Tewari Assistant Programmer) ने बताया कि नीचे का गिरा हुआ धान है, जो सड़ गया था. उसे उठा कर गिट्टी-मिट्टी के साथ रखा जा रहा है. इधर, रईस मिलर ऊपर-ऊपर बोरो को लेकर चले गए हैं. नीचे का छोड़ दिया गया है, जो बोरे सड़ गए हैं, उसे पलटी कर रहे हैं.वहीं, यहां प्रशासन द्वारा उचित व्यवस्था नहीं की गई जिसके कारण आज शासन की महत्वाकांक्षी योजना धान खरीदी की उपज खराब हो रही है. बारिश में भीगने से हुए खराब धान की भरपाई रेती भरकर किया जा रहा था.

नारायणपुरः छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के जिला नारायणपुर मुख्यालय(Narayanpur Headquarters) से आठ किलोमीटर दूर धान संग्रहण केन्द्र कोचवाही (Paddy Collection Center Kochwahi) में भ्रष्टाचार का मामले सामने आया है. दरअसल, यहां अधिकारियों की मिलीभगत (Collusion of officials) से धान की बोरियों (Paddy sacks) में नदी से रेत (Sand from the river) लाकर संग्रहक केन्द्र (Collection center) में मजदूरों (Workers) से पहले धान की बोरियों की पलटी की जाती है, फिर रेत डालकर वजन बढ़ाकर लाखों रुपये के हुए खराब धान के मामले को दबाने की कोशिश की जा रही हैं.

नारायणपुर जिले के कोचवाही धान संग्रहण केंद्र में खुले आसमान के नीचे हजारों क्विंटल से अधिक धान भगवान भरोसे खुले आसमान के नीचे रखा गया है और ये धान बारिश में भींग भी चुका है. जिससे अब कई बोरो में धान अंकुरित होने लगा है. वहीं, प्रशासन द्वारा उचित व्यवस्था नहीं की गई है, जिसके कारण आज शासन की महत्वाकांक्षी योजना धान खरीदी की गई उपज खराब हो रही है.

खराब धान की भरपाई रेत मिलाकर

वहीं, बारिश में भीगने से हुए खराब धान की भरपाई यहां रेती भरकर किया जा रहा था. जब ईटीवी भारत संग्रहण केंद्र पहुंचा, तो मजदूर धान के बोरो में रेत भरते हुए पकड़ाये. कई बार विपणन अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की गई. हालांकि कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. इसका मुख्य कारण यह है कि आज तक जिला नारायणपुर में पूर्णकालिक डीएमओ का नहीं होना है.

अधिकारियों की मिलीभगत

बताया जा रहा है कि जब धान संग्रहण केंद्र में किसान अपना धान बेचने पहुंचता है, तो सोसाइटी उनके कर्मचारी और अधिकारी के द्वारा परेशान किये जाते हैं, धान से बुसा उड़ाओ धान में गिट्टी मिट्टी नहीं होना चाहिए. अगर धान में नमी रहती है तो खरीदी नही की जाती है. हालांकि अब अधिकारी लाखों रुपए कमाने के लिए नदी से रेत लाकर मजदूरों से बोरो में भरवा रहे हैं. वहीं, काम करने वाले मजदूरों के द्वारा प्रत्येक बोरे में 5 से 10 किलो रेत भरा जा रहा है.

प्रशासन की ओर से नहीं कोई उचित व्यवस्था

इधर, मनीष तिवारी सहायक प्रोग्रामर (Manish Tewari Assistant Programmer) ने बताया कि नीचे का गिरा हुआ धान है, जो सड़ गया था. उसे उठा कर गिट्टी-मिट्टी के साथ रखा जा रहा है. इधर, रईस मिलर ऊपर-ऊपर बोरो को लेकर चले गए हैं. नीचे का छोड़ दिया गया है, जो बोरे सड़ गए हैं, उसे पलटी कर रहे हैं.वहीं, यहां प्रशासन द्वारा उचित व्यवस्था नहीं की गई जिसके कारण आज शासन की महत्वाकांक्षी योजना धान खरीदी की उपज खराब हो रही है. बारिश में भीगने से हुए खराब धान की भरपाई रेती भरकर किया जा रहा था.

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