नारायणपुर: नक्सल विरोधी अभियान के तहत पुलिस अधीक्षक गिरिजा शंकर जायसवाल की सूचना पर कार्रवाई की गई. शनिवार को डीआरजी ने मिलिशिया कमांडर सोमारू पोड़ियाम ऊर्फ बली पोड़ियाम को गिरफ्तार किया. पुलिस ने इस पर एक लाख रुपये का ईनाम घोषित किया था. यह 10 साल से भठबेड़ा मिलिशिया कमांडर था. साथ ही कई नक्सल हिंसा घटनाओं में शामिल रह चुका है.
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नारायणपुर एसपी को मुखबिर से सूचना मिली कि भठबेडा मिलिशिया कमांडर सोमारू पोड़ियाम ऊर्फ बली पोड़ियाम अपने घर भठबेडा आया है. सूचना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए शुक्रवार देर शाम डीआरजी टीम को ओरछा से रवाना किया था. आज डीआरजी टीम सोमारू पोड़ियाम के घर की घेराबंदी करने जा रही थी. इसी दौरान एक आदमी घने जंगल की ओर भागने का प्रयास कर रहा था. संदेह के आधार पर डीआरजी जवानों ने पकड़कर नाम पूछा तो ग्रामीण होने की बात कहकर टालमटोल कर रहा था. जिससे पूर्व में नक्सली संगठन में काम कर चुके जवानों द्वारा उसकी पहचान की गई और उसे उसके नाम से पुकारने पर उसने अपना नाम सोमारू पोड़ियाम कबूल किया. फिर विस्तृत पूछताछ करने पर सोमारू पोड़ियाम ने खुद को मिलिशिया कमांडर बताते हुए कई नक्सल अपराध में शामिल होना बताया.
कई नक्सल हिंसा घटनाओं में था शामिल
2016 में इकुल, बीजापुर में डीआरजी, एसटीएफ और कोबरा की संयुक्त पार्टी के साथ मुठभेड़ में शामिल होना.
2019 में भठबेडा के जंगल मे डीआरजी और एसटीएफ की संयुक्त टीम के साथ मुठभेड़ में शामिल होना, जिसमें एसटीएफ के एक जवान घायल हुआ था.
2020 में गोदाड़ी के पास पुलिस पार्टी से मुठभेड़ में शामिल होना, जिसमें जवान संतु राम वड्डे शहीद हुआ. इस घटनाओं में डीआरजी नारायणपुर द्वारा मिलिशिया कमांडर सोमारू पोड़ियाम ऊर्फ बली पोड़ियाम को गिरफ्तार किया गया.
गौरतलब है कि मिलिशिया कमांडर सोमारू पोड़ियाम ऊर्फ बली पोड़ियाम नक्सली कमांडर पाली के कहने पर साल 2006 लगभग (13 साल की उम्र) में लखमु वेट्टी और कोपा कोयाम के साथ नक्सलियों की बाल संघ में शामिल हुआ था, जिसके बाद में कृषि शाखा आलबेड़ा में काम किया. उसके बाद साल 2009 में नक्सली कमांडर दीपक पल्लो ने इसे भठबेडा मिलिशिया में शामिल किया. इसके कार्य से प्रभावित होकर लगभग छह महीने के भीतर 2009 में ही मोटू कोर्राम को हटाकर इसे भठबेडा मिलिशिया कमांडर बना दिया. सोमारू पोयाम नक्सली संगठन में 12 बोर बंदूक रखता था.