नारायणपुर: ओरछा विकासखंड के ग्राम हतलानार में आज भी आवागमन के लिए सड़क नहीं है. इसका खामियाजा अबूझमाड़ के आदिवासी ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है. ग्राम हतलानार में गर्भवती महिला का सुरक्षित प्रसव कराने के लिए उसे कांवड़ के सहारे जिला अस्पताल तक लाया गया. ग्रामीणों को गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए नदी-नालों को पैदल पार करना पड़ा, तब जाकर वे झारावाही पहुंचे. वहां से वे गाड़ी से जिला अस्पताल पहुंचे.
आजादी के सात दशक बाद भी सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से हतलानार के ग्रामीण वंचित हैं. जिला मुख्यालय सोनपुर मुख्य मार्ग पर लगभग 14 किलोमीटर दूर कोडोली ग्राम स्थित है. कोडोली से लगभग 10 किलोमीटर पर ग्राम पंचायत झारावाही का आश्रित ग्राम हतलानार है, जो आज भी प्रशासन की पहुंच से दूर है. इस क्षेत्र के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं की बाट जोह रहे हैं. बता दें कि पहुंचविहीन मार्ग के चलते शासन-प्रशासन की योजनाओं से यह गांव आज भी वंचित है. बारिश के समय में यहां तक पहुंचने के लिए नदी और कई छोटे-बड़े नालों को पार करना पड़ता है.
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कांवड़ के सहारे अस्पताल पहुंची महिला
बताया जा रहा है कि ग्राम हतलानार में एक गर्भवती महिला सुबह 8 बजे से ही प्रसव पीड़ा और दर्द से तड़प रही थी, लेकिन सड़क नहीं होने के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं आ सकती थी. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पहुंचने के बाद गर्भवती महिला का प्रसव कराने ग्रामीणों की मदद से कांवड़ के सहारे उसे कोडोली तक लाया गया. पैदल चलते हुए नदी-नालों और जर्जर सड़क को पार करते हुए वे करीब 2:30 बजे कोडोली पहुंचे. गर्भवती महिला की हालत बेहद खराब थी. कोडोली से स्वास्थ्य विभाग की गाड़ी की मदद से महिला को जिला अस्पताल ले जाया गया.