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'सरोवर धरोहर' को बचा पाने में नाकाम रहा प्रशासन, बुझाता था गांव वालों की प्यास

नारायणपुर में जंगल क्षेत्र होने के कारण तालाब बनाने के लिए जमीन ढूंढना मुश्किल था. उसी वक्त एक बकरू नामक के व्यक्ति की 55 एकड़ जमीन को लोगों ने तहसीलदार के साथ राय मश्वरा कर तालाब बनवाने का निर्णय लिया.

सरोवर धरोहर नारायणपुर.
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Published : Mar 24, 2019, 3:43 PM IST

नारायणपुरः जिले के बंधवा तालाब का अस्तित्व खतरे में है. यहां सरोवर धरोहर के नाम से करोड़ों रुपये खर्च किये गये हैं लेकिन आज की स्थिति में इसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है.

वीडियो.


नारायणपुर 1938 में तहसील बना. तहसील बनने के बाद नारायणपुर की जनता ने पानी की कमी से परेशान होकर तहसीलदार बाला प्रसाद के पास गुहार लगाई. तहसीलदार ने नारायणपुर की जनता को एक समझाइश दी थी कि जिले की जनता अगर चाहे तो पानी की कमी की परेशानी को कम कर सकता है. इसके लिए सभी लोगों को अपने घरों से निकलकर श्रमदान करना पड़ेगा और तब जाकर तालाब बनेगा. ये तालाब पीने के लिए पानी देने, नहाने और सिंचाई में काम आएगा.


जंगलों के कारण तालाब बनाने के लिए जमीन ढूंढना था मुश्किल
नारायणपुर में जंगल क्षेत्र होने के कारण तालाब बनाने के लिए जमीन ढूंढना मुश्किल था. उसी वक्त एक बकरू नामक के व्यक्ति की 55 एकड़ जमीन को लोगों ने तहसीलदार के साथ राय मश्वरा कर तालाब बनवाने का निर्णय लिया.


बकरू का कोई वारिस नहीं था, बुजुर्ग होने के बाद उनकी मौत हो गई. तहसीलदार ने तालाब बनाने की अनुमति दी. तालाब बनाना बहुत ही मुश्किल काम था, जिसके लिए कोई फंड नहीं था. नारायणपुर की जनता ने फिर निर्णय लिया कि हम इस तालाब को बेगारी करके बिना पैसे के बनाएंगे और लोगों ने कई महीनों तक तालाब में खून, पसीना एक करके तालाब का निर्माण किया.


मछली पालन का काम किया गया था शुरू
उस वक्त लोगों के पास न पीने को पानी था, न नहाने, खेती करने के लिए कोई साधन था. तालाब को बनाने के बाद नारायणपुर में पानी की समस्या कुछ कम हुई. इसके बाद 1990 में निस्तार तालाब से सिंचाई तालाब बनाया गया. लोगों के खेतों तक पानीं सही तरीके से नहीं पहुंचने के कारण लोग गर्मी में खेती करना बंद कर दिए, उसके बाद मत्स्य विभाग ने इस तलाब को अपने अंडर में लिया और मछली पालन करना शुरू किया.


आज की स्थिति में तालाब में मछली पालना एक चुनौती हो गई है, पूरे तालाब में जलकुंभी से पूरा तालाब ढंक चुका है, जहां मछली पालन करना भी आसान नहीं है.


तालाब के सौंदर्यीकरण खर्च हुए 2 करोड़
कुछ साल पहले नारायणपुर नगर पालिका द्वारा सरोवर धरोहर के नाम से लगभग 2 करोड़ रुपए की राशि तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए खर्च की गई. जहां अधिकारी और ठेकेदारों द्वारा मिलीभगत करके खाना पूर्ति के लिए काम किया गया.
तालाब के मेड़ पर बनाया गया सीसी सड़क जर्जर स्थिति में है. चारों ओर बनाई गई लोहे के बाउंड्री अधूरी है, जिसका पूरा पैसा हरण किया गया है.

नारायणपुरः जिले के बंधवा तालाब का अस्तित्व खतरे में है. यहां सरोवर धरोहर के नाम से करोड़ों रुपये खर्च किये गये हैं लेकिन आज की स्थिति में इसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है.

वीडियो.


नारायणपुर 1938 में तहसील बना. तहसील बनने के बाद नारायणपुर की जनता ने पानी की कमी से परेशान होकर तहसीलदार बाला प्रसाद के पास गुहार लगाई. तहसीलदार ने नारायणपुर की जनता को एक समझाइश दी थी कि जिले की जनता अगर चाहे तो पानी की कमी की परेशानी को कम कर सकता है. इसके लिए सभी लोगों को अपने घरों से निकलकर श्रमदान करना पड़ेगा और तब जाकर तालाब बनेगा. ये तालाब पीने के लिए पानी देने, नहाने और सिंचाई में काम आएगा.


जंगलों के कारण तालाब बनाने के लिए जमीन ढूंढना था मुश्किल
नारायणपुर में जंगल क्षेत्र होने के कारण तालाब बनाने के लिए जमीन ढूंढना मुश्किल था. उसी वक्त एक बकरू नामक के व्यक्ति की 55 एकड़ जमीन को लोगों ने तहसीलदार के साथ राय मश्वरा कर तालाब बनवाने का निर्णय लिया.


बकरू का कोई वारिस नहीं था, बुजुर्ग होने के बाद उनकी मौत हो गई. तहसीलदार ने तालाब बनाने की अनुमति दी. तालाब बनाना बहुत ही मुश्किल काम था, जिसके लिए कोई फंड नहीं था. नारायणपुर की जनता ने फिर निर्णय लिया कि हम इस तालाब को बेगारी करके बिना पैसे के बनाएंगे और लोगों ने कई महीनों तक तालाब में खून, पसीना एक करके तालाब का निर्माण किया.


मछली पालन का काम किया गया था शुरू
उस वक्त लोगों के पास न पीने को पानी था, न नहाने, खेती करने के लिए कोई साधन था. तालाब को बनाने के बाद नारायणपुर में पानी की समस्या कुछ कम हुई. इसके बाद 1990 में निस्तार तालाब से सिंचाई तालाब बनाया गया. लोगों के खेतों तक पानीं सही तरीके से नहीं पहुंचने के कारण लोग गर्मी में खेती करना बंद कर दिए, उसके बाद मत्स्य विभाग ने इस तलाब को अपने अंडर में लिया और मछली पालन करना शुरू किया.


आज की स्थिति में तालाब में मछली पालना एक चुनौती हो गई है, पूरे तालाब में जलकुंभी से पूरा तालाब ढंक चुका है, जहां मछली पालन करना भी आसान नहीं है.


तालाब के सौंदर्यीकरण खर्च हुए 2 करोड़
कुछ साल पहले नारायणपुर नगर पालिका द्वारा सरोवर धरोहर के नाम से लगभग 2 करोड़ रुपए की राशि तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए खर्च की गई. जहां अधिकारी और ठेकेदारों द्वारा मिलीभगत करके खाना पूर्ति के लिए काम किया गया.
तालाब के मेड़ पर बनाया गया सीसी सड़क जर्जर स्थिति में है. चारों ओर बनाई गई लोहे के बाउंड्री अधूरी है, जिसका पूरा पैसा हरण किया गया है.

Intro:1703_CG_NYP_BINDESH_SAROHAR DHAROHAR KHATARE ME HAI_SHBT

एंकर नारायणपुर का बंधवा तालाब जिसके अस्तित्व खतरे में नजर आता दिख रहा है जहां पर सरोवर धरोहर के नाम से करोड़ों रुपया खर्च किया गया है और आज की स्थिति में यह ऐतिहासिक तालाब अपनी बचाव के लिए पुकार रहा है जिसका कोई माई बाप नहीं है

नारायणपुर 1938 में तहसील बना उसी वर्ष तहसील बनने के बाद नारायणपुर की जनता ने नारायणपुर में पानी की कमी से परेशान होकर तहसीलदार बाला प्रसाद के पास गुहार लगाई थी तहसीलदार ने नारायणपुर की जनता को एक समझाइश दी थी नारायणपुर की जनता अगर चाहे तो पानी की कमी की परेशानी को कम कर सकता है सभी अपने अपने घर से निकल कर श्रमदान करना पड़ेगा जोकि कई महीना साल लग सकता है जिसके लिए एक तालाब बनाना पड़ेगा जिसके बाद पीने के पानी नहाना और सिंचाई में या तालाब काम आएगा नारायणपुर में जंगल क्षेत्र होने के कारण तालाब बनाने के लिए जमीन ढूंढना मुश्किल था उसी वक्त एक बकरू नामक व्यक्ति जिनके परिवार में कोई नहीं था काफी बूढ़ा बुजुर्ग होने के बाद उनकी मौत हो गई थी जिसकी कोई वारिस नहीं थे जिनके पास लगभग 55 एकड़ जमीन नारायणपुर शहर के बीच बीच में थे लोगों ने आम सभा करके राय लिया और तहसीलदार को बताइए नारायणपुर में बीचोबीच एक जमीन है जिसका कोई वारिस नहीं है जहां पर हम बड़ा तालाब बना सकते हैं इस बात को ध्यान में रखते हुए तहसीलदार ने तालाब बनाने की अनुमति दी तालाब बनाना बहुत ही मुश्किल काम था जिसके लिए कोई फंड नहीं था नारायणपुर की जनता ने एक निर्णय लिया हम इस तालाब को बेगारी करके बिना पैसे के बनाएंगे और लोगों ने कई महीनों तक तालाब में खून पसीना से एक करके तालाब का निर्माण किया उस वक्त लोगों के पास ना पीने का पानी ना नहाने ना कृषि करने के लिए कोई साधन था तालाब को बनाने के बाद नारायणपुर में पानी की कुछ समस्या कम हुई इसी उद्देश्य तालाब का निर्माण किया गया था

जिसके बाद 1990 में निस्तार तालाब से सिंचाई तालाब बनाया गया लोगों के खेतों तक पानी सही तरीके से नहीं पहुंचने के कारण लोग गर्मी में खेती करना बंद कर दिए उसके बाद मत्स्य विभाग ने अपने अंडर में लिया और मछली पालन करना शुरू किया आज की स्थिति में तालाब में मछली पालना एक चुनौती हो गई है पूरे तालाब में जलकुंभी से पूरा तालाब ढक चुका है जहां मछली पालन करना भी आसान नहीं है

कुछ साल पहले नारायणपुर नगर पालिका द्वारा सरोवर धरोहर के नाम से लगभग 2 करोड़ रुपए की राशि तालाब के सुंदरीकरण के लिए खर्च किया गया जहां अधिकारी और ठेकेदारों द्वारा मिलीभगत करके खाना पूर्ति के लिए काम किया गया जहां गुणवत्ता विहीन काम किया गया है जो कुछ ही साल में धने की स्थिति में है तालाब के मेड में बनाया गया सीसी सड़क जर्जर स्थिति में है चारों ओर बनाए गए लोहे के बाउंड्री अधूरा है जिसका पूरा पैसा हरण किया गया है आज की स्थिति में इस तरह आपको कोई देखने वाला नहीं है जहां पर नारायणपुर के हजारों लोगों ने अपने खून पसीना एक करके इस तालाब को बनाया था जो एक इतिहास की तरह खत्म होता दिख रहा है अपने आप को बचाने के लिए तालाब मजबूर है न जाने कितने राहगीरों को पीने का पानी नहाने के पानी इस तालाब से मिलता था
नारायणपुर के कुछ निवासी यो से चर्चा करने पर कहते हैं कि यहां तालाब धार्मिक आस्थाओं से भी भरा है नारायणपुर के सभी चौक चौराहों में मूर्ति की स्थापना के बाद यहां तालाब में विसर्जन करने का एक नियम प्रथा बनाई गई है जो की इस तालाब की देवी के रूप में पूजा जाता है।

बाइक- बृज मोहन देवांगन वरिष्ठ नागरिक
बाइक- शिव कुमार पांडे अधिवक्ता


Body:1703_CG_NYP_BINDESH_SAROHAR DHAROHAR KHATARE ME HAI_SHBT


Conclusion:1703_CG_NYP_BINDESH_SAROHAR DHAROHAR KHATARE ME HAI_SHBT
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