नारायणपुर: नक्सल प्रभावित जिला अबूझमाड़ सहित अन्य क्षेत्रों से आकर वर्तमान में नगरपालिका क्षेत्र के गुडरीपारा एवं शांतिनगर में हजारों परिवार रहते हैं. सभी पुनर्वास योजना का लाभ न मिलने से लामबंद (Naxal victims rallied in narayanpur) हैं. नक्सल पीड़ितों का कहना है कि नक्सल पीड़ित परिवार व आत्मसमर्पण किये नक्सलियों को पुनर्वास सहित अन्य शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है.
रायपुर में करेंगे अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन
नारायणपुर छत्तीसगढ़ शासन ने नक्सल पीड़ित पुनर्वास योजना लागू की है. इसका संपूर्ण लाभ नक्सल पीड़ित परिवार को जिला प्रशासन द्वारा नारायणपुर में नहीं दिया जा रहा. इसके लिए पीड़ित परिवारों ने 6 मार्च को रायपुर के टाटीबंध मेन हाईवे जाम करने का आह्वान किया था. नक्सल पीड़ित संगठन के प्रदेश नेतृत्व के आह्वान एवं विजय प्रकाश गुप्ता प्रदेश अध्यक्ष की द्वारा उच्च अधिकारियों से इसको लेकर बात हुई. इसके बाद चक्काजाम एवं धरना-प्रदर्शन फिलहाल स्थगित कर दिया गया है.
टेलीफोनिक बातचीत में दिया आश्वासन
टेलीफोनिक बातचीत में अधिकारियों ने कहा कि योजनाओं का लाभ तत्काल दिया जाएगा. कलेक्टर एवं एसपी द्वारा नक्सल पीड़ित प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, बस पास समेत अन्य सुविधाएं नक्सल पीड़ित प्रमाण पत्र शासन द्वारा आदेशित किया जाएगा. 15 दिन के भीतर पीड़ित परिवारों को लाभ देने कहा गया है. इस पर नक्सल पीड़ित परिवार ने धरना एवं चक्काजाम स्थगित कर दिया है.
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सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में मीटिंग आयोजित
गौरतलब है कि आज गुडरीपारा में नक्सल पीड़ित परिवार के सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में मीटिंग हुई. बताया गया कि योजनाओं का लाभ नक्सल पीड़ित परिवार को नहीं मिलने पर 18 मार्च को रायपुर के बूढ़ा तालाब के पास अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन किया जाएगा. जन सेवा संगठन नक्सल पीड़ित प्रदेश अध्यक्ष विजय प्रकाश गुप्ता ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा नक्सल पीड़ित परिवार को योजनाओं का लाभ दिलाने का दावा पूरी तरह से झूठा है. जिले में करीब 2000 से अधिक नक्सल पीड़ित परिवार हैं. प्रशासन अब तक 577 लोगों को नक्सल पीड़ित पुनर्वास योजना के तहत लाभ देने के आंकड़े बता रहा है, यह पूरी तरह गलत है. क्योंकि यहां पर किसी भी नक्सल पीड़ित परिवार को पुनर्वास योजना के लाभ नहीं मिला है.
समय-समय पर अधिकारी सुनते हैं समस्या
बता दें कि नक्सल पीड़ित परिवार एवं आत्मसमर्पित नक्सलियों की समस्याओं को सुनने के लिए जिला प्रशासन के आला अधिकारी समय-समय पर इनके बीच जाते हैं. समस्याओं का निराकरण करने के लिए शिविर का आयोजन भी किया जाता है.