नारायणपुर : 'गोतियाल पुलिस- निया पुलिस, निया नार' के तहत पुलिस अबूझमाड़ (Abujhamad) के घोर नक्सल प्रभावित गांव(naxal affected villages) इरकभट्ठी (irkabhatti) में पहुंची. कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग (SP Mohit Garg) बाइक से गांव पहुंचे. इरकभट्ठी को नक्सलियों की अघोषित राजधानी भी कहा जाता है. एसपी के साथ एएसपी नीरज चन्द्राकर(ASP Neeraj Chandrakar), अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनुज कुमार, उप पुलिस अधीक्षक अभिनव उपाध्याय, उप पुलिस अधीक्षक और दीपक कुमार साव रक्षित निरीक्षक भी पहुंचे थे.
जिला के पुलिस अधीक्षक और वरिष्ठ अधिकारियों को पाकर लोगों में पुलिस-प्रशासन के प्रति विश्वास की नींव बनी है. पुलिस कप्तान सहित पुलिस के आला अधिकारी ने ग्रामीणों को विश्वास दिलाया कि थाने में तैनात पुलिस और ITBP के जवान सबके सुविधा और सुरक्षा के लिए मुस्तैद है. एसपी ने डीएसपी लक्ष्मण पोटाई का जिक्र करते हुए कहा कि इस छोटे से गांव के युवा लक्ष्मण पोटाई को आपने देखा है कि वह अच्छी शिक्षा की बदौलत उप पुलिस अधीक्षक बनकर आपके गांव का नाम रौशन कर रहा है. सभी से अपील कि है कि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने में मदद करें.
हिड़मा समेत कई नक्सलियों के कोरोना की चपेट में होने की जानकारी: IG बस्तर
बच्चों को बांटी गई खेल सामग्री
अबूझमाड़ के इरकभट्ठी में आयोजित कार्यक्रम 'गोतियाल पुलिस,निया पुलिस, निया नार' में गांव और आसपास के गांव के सैकड़ों आम नागरिक, महिलाएं और बच्चे उपस्थित रहे. पुलिस ने युवकों और छात्रों को खेल सामग्री जैसे बैट-बाॅल, स्टम्प, फुटबाॅल, वाॅलीबाॅल, वालीबाॅल नेट और रिंग भेंट स्वरूप वितरित किया. महिलाओं को साड़ी और पुरूषों को लुंगी दिया. छोटे बच्चों को बिस्कुट और चाॅकलेट वितरित किए गए. कार्यक्रम खत्म होने पर पुलिस ने ग्रामीणों को भोजन भी कराया. सिविक एक्शन के दौरान 53 बटालियन ITBP के सहायक सेनानी और थाना प्रभारी मौजूद रहे.
लाल आतंक पर भारी पड़ी मां की ममता, गर्भवती महिला नक्सली के साथ 2 नक्सलियों का सरेंडर
सड़क, बिजली की मांग
एडिशनल एसपी नीरज चंद्राकर ने बताया कि सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत नक्सलियों की अघोषित राजधानी पहुंचकर यहां के ग्रामीणों से रूबरू हुए. यहां के ग्रामीणों ने शिक्षा, स्वास्थ्य सहित जन कल्याणकारी योजनाओं से लाभ लेते हुए सड़क, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं की मांग की है. अबूझमाड़ क्षेत्र में ग्रामीण पहले विकास के बदले गलत मार्ग को चुनने पर मजबूर थे, लेकिन अब जागरूक हो चुके हैं.