ETV Bharat / state

नारायणपुर भूमि आवंटन मामला : आक्रोशित ग्रामीण बोले-ये भूमि ग्रामवासियों की देव स्थली, आवंटन उचित नहीं

नारायणपुर में भूमि आवंटन मामले में सैंकड़ों ग्रामीणों ने आपत्ति दर्ज की है. सैकड़ों ग्रामीण तहसील कार्यालय पहुंचे. प्रशासन पर बिना किसी पूर्व सूचना के गुमराह कर जमीन अधिग्रहण करने का आरोप लगाया है.

Narayanpur land allotment case
नारायणपुर भूमि आवंटन का मामला
author img

By

Published : Mar 29, 2022, 7:42 PM IST

Updated : Mar 29, 2022, 10:46 PM IST

नारायणपुर : जिले की ग्राम पंचायत खड़कागांव ग्राम आश्रित ग्राम खैराभाट की 7.70 हेक्टेयर भूमि के आवंटन में आपत्ति दर्ज करने आज सैकड़ों ग्रामीण तहसील कार्यालय पहुंचे. नारायणपुर तहसीलदार सुनील सोनपीपरे को आवेदन दिया.

ग्राम खैराभाट के ग्रामीणों ने बताया कि हम ग्राम खैराभाट, तहसील एवं जिला नारायणपुर के स्थायी निवासी हैं. ग्राम सभा ने सहायक संचालक उद्यान जिला नारायणपुर का प्रसंस्करण इकाइयों के लिए आवेदन को सहमति नहीं दी है. पंचायती राज के प्रावधान अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार 1996 की धारा 2(घ) के अंतर्गत प्रत्येक ग्राम सभा लोगों की परंपराओं और रूढ़ियों, उनकी सांस्कृतिक पहचान और समुदाय के संसाधनों का संरक्षण और परिरक्षण करने के लिए सक्षम है. इसी अधिनियम की धारा 2(ड)(iii) के अन्तर्गत ग्राम सभा की सहमति से ही भूमि का व्यपवर्तन हो सकता है.

भूमि ग्रामवासियों की देव स्थल

भूमि ग्रामवासियों के लिए देव स्थल, आवंटन उचित नहीं : इस विषय में ग्रामीण जैतराम दुग्गा ने बताया कि 15.03.2022 को आम उद्घोषणा जारी हुई थी. इसी से हम लोगों को पता चला है कि हमारे गांव के खसरा क्र.77 रकबा 7.70 के लिये सहायक संचालक उद्यान जिला नारायणपुर का प्रसंस्करण इकाइयों के लिए आवेदन आया है. हम उक्त भूमि के आवंटन पर सहमत नहीं हैं. इस आवेदन के माध्यम से आपत्ति दर्ज कर रहे हैं. क्योंकि कुमेटी परिवार ने खैराभाट गांव को बसाया है. इस गांव में कुमेटी परिवार के ही अधिकांश लोग निवासरत हैं. कुमेटी परिवार के लिये सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से इस खसरे का प्रत्येक अंश महत्त्वपूर्ण है. इसके आवंटन पर हमें गम्भीर आपत्ति है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत इस भूमि को देव कार्य के लिए सुरक्षित रखना हमारा मौलिक अधिकार है. भूमि पर कुछ वर्षों के अंतराल में कुमेटी परिवार का “दाता पखना” कार्यक्रम होता है. उसमें सभी कुमेटी परिवार के लोग एकत्रित होकर अपने पूर्वजों को याद और सम्मान करते हैं. प्रत्येक परिवार एक पत्थर गाढ़ता है. यह हमरे लिये एक अमूल्य परंपरा है और इसीलिये हम इस भूमि को पवित्र मानते हैं.

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में गर्मी का प्रकोप : 3 दिन बाद प्रदेश की कुछ जगहों पर चल सकती है लू


ग्रामीण रामप्रसाद कुमेटी ने बताया कि (भुडाल कोटूम) पुराना जंगल को प्रशासन नष्ट करने में तुली हुई है. इस भूमि पर महुआ,सराई, हर्रा के पेड़ भी है. और इस भूमि से हमें गौण वनोपज भी मिलता है. गांव के लोग अपने पशु भी यहां चराते हैं. इसलिये भी इस गांव के लोगों के लिये जरूरी है. भूमि पर जंगल है, जिस पर ग्रामीण संसाधनों के लिये निर्भर हैं और अभी तक हमें सामुदायिक वन अधिकार पत्र प्राप्त नहीं हुए हैं. सामुदायिक वन अधिकार के दावा की तैयारी की प्रक्रिया अभी चल रही है. इस स्थिति में इस भूमि को आवंटित करना वन संरक्षण अधिनियम 1980 की धारा 2 और वन अधिकार मान्यता कानून 2006 की धारा 4(5) का उल्लंघन है और गैर कानूनी है.

खैराभाट भूमि ख.क्र 77 को अन्य कार्य के लिये आवंटित करने का विरोध करते हैं और प्रशासन से आग्रह कर भूमि को जंगल के लिये ही सुरक्षित रखने कहा और अगर प्रशासन निरस्त नहीं करेगा तो आगामी समय में उग्र आंदोलन को ग्रामीण बाध्य होंगे.

नारायणपुर : जिले की ग्राम पंचायत खड़कागांव ग्राम आश्रित ग्राम खैराभाट की 7.70 हेक्टेयर भूमि के आवंटन में आपत्ति दर्ज करने आज सैकड़ों ग्रामीण तहसील कार्यालय पहुंचे. नारायणपुर तहसीलदार सुनील सोनपीपरे को आवेदन दिया.

ग्राम खैराभाट के ग्रामीणों ने बताया कि हम ग्राम खैराभाट, तहसील एवं जिला नारायणपुर के स्थायी निवासी हैं. ग्राम सभा ने सहायक संचालक उद्यान जिला नारायणपुर का प्रसंस्करण इकाइयों के लिए आवेदन को सहमति नहीं दी है. पंचायती राज के प्रावधान अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार 1996 की धारा 2(घ) के अंतर्गत प्रत्येक ग्राम सभा लोगों की परंपराओं और रूढ़ियों, उनकी सांस्कृतिक पहचान और समुदाय के संसाधनों का संरक्षण और परिरक्षण करने के लिए सक्षम है. इसी अधिनियम की धारा 2(ड)(iii) के अन्तर्गत ग्राम सभा की सहमति से ही भूमि का व्यपवर्तन हो सकता है.

भूमि ग्रामवासियों की देव स्थल

भूमि ग्रामवासियों के लिए देव स्थल, आवंटन उचित नहीं : इस विषय में ग्रामीण जैतराम दुग्गा ने बताया कि 15.03.2022 को आम उद्घोषणा जारी हुई थी. इसी से हम लोगों को पता चला है कि हमारे गांव के खसरा क्र.77 रकबा 7.70 के लिये सहायक संचालक उद्यान जिला नारायणपुर का प्रसंस्करण इकाइयों के लिए आवेदन आया है. हम उक्त भूमि के आवंटन पर सहमत नहीं हैं. इस आवेदन के माध्यम से आपत्ति दर्ज कर रहे हैं. क्योंकि कुमेटी परिवार ने खैराभाट गांव को बसाया है. इस गांव में कुमेटी परिवार के ही अधिकांश लोग निवासरत हैं. कुमेटी परिवार के लिये सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से इस खसरे का प्रत्येक अंश महत्त्वपूर्ण है. इसके आवंटन पर हमें गम्भीर आपत्ति है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत इस भूमि को देव कार्य के लिए सुरक्षित रखना हमारा मौलिक अधिकार है. भूमि पर कुछ वर्षों के अंतराल में कुमेटी परिवार का “दाता पखना” कार्यक्रम होता है. उसमें सभी कुमेटी परिवार के लोग एकत्रित होकर अपने पूर्वजों को याद और सम्मान करते हैं. प्रत्येक परिवार एक पत्थर गाढ़ता है. यह हमरे लिये एक अमूल्य परंपरा है और इसीलिये हम इस भूमि को पवित्र मानते हैं.

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में गर्मी का प्रकोप : 3 दिन बाद प्रदेश की कुछ जगहों पर चल सकती है लू


ग्रामीण रामप्रसाद कुमेटी ने बताया कि (भुडाल कोटूम) पुराना जंगल को प्रशासन नष्ट करने में तुली हुई है. इस भूमि पर महुआ,सराई, हर्रा के पेड़ भी है. और इस भूमि से हमें गौण वनोपज भी मिलता है. गांव के लोग अपने पशु भी यहां चराते हैं. इसलिये भी इस गांव के लोगों के लिये जरूरी है. भूमि पर जंगल है, जिस पर ग्रामीण संसाधनों के लिये निर्भर हैं और अभी तक हमें सामुदायिक वन अधिकार पत्र प्राप्त नहीं हुए हैं. सामुदायिक वन अधिकार के दावा की तैयारी की प्रक्रिया अभी चल रही है. इस स्थिति में इस भूमि को आवंटित करना वन संरक्षण अधिनियम 1980 की धारा 2 और वन अधिकार मान्यता कानून 2006 की धारा 4(5) का उल्लंघन है और गैर कानूनी है.

खैराभाट भूमि ख.क्र 77 को अन्य कार्य के लिये आवंटित करने का विरोध करते हैं और प्रशासन से आग्रह कर भूमि को जंगल के लिये ही सुरक्षित रखने कहा और अगर प्रशासन निरस्त नहीं करेगा तो आगामी समय में उग्र आंदोलन को ग्रामीण बाध्य होंगे.

Last Updated : Mar 29, 2022, 10:46 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.