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SPECIAL: जुड़वा मासूमों को नई जिंदगी देने 70 किमी पैदल चले स्वास्थ्यकर्मी - पोषण पुनर्वास केन्द्र

नारायणपुर में स्वास्थ्यकर्मियों ने 70 किलोमीटर का सफर पैदल तयकर कुपोषित जुड़वा मासूमों को NRC पहुंचाया. जहां अब उनकी बच्चों और मां की अच्छे से देखभाल की जा रही है.

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जुड़वा मासूमों को जिंदगी देने 70 किलोमीटर का पैदल सफर
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Published : May 5, 2020, 3:22 PM IST

Updated : May 5, 2020, 4:01 PM IST

नारायणपुर: अबूझमाड़ स्वास्थ्य विभाग का अमला कोरोना को लेकर मुस्तैद तो है ही साथ ही कुपोषण और मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी से भी लोगों को बचाने का काम कर रहा है. नारायणपुर जिले के ओरछा ब्लॉक के स्वास्थ्य विभाग ने ऐसी ही मिसाल पेश की है, क्योंकि सवाल 3 महीने के जुड़वा मासूमों की जिंदगी का है.

जुड़वा मासूमों को जिंदगी देने 70 किलोमीटर का पैदल सफर

पोषण पुनर्वास केंद्र में मिल रहा नया जीवन

कच्चापाल के स्वास्थ्य साथी दोनों मासूमों और बच्चों की मां को पोषण पुनर्वास केंद्र लेकर आए जहां अब इनकी बेहतर देखभाल हो रही है. लेकिन यहां तक पहुंचने की राह आसान नहीं थी. दरअसल पूरा मामला जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर दुर्गम और चारों ओर घने जंगलों-पहाड़ों के बीच घिरे नक्सल प्रभावति गांव मुसेर का है. जहां सोनाय और सन्नूराम को फरवरी महीने में जुड़वा बच्चे पैदा हुए. जिनमें एक लड़का और एक लड़की है. एक साथ घर में लक्ष्मी और कन्हैया के आने पर परिवार के सभी लोग काफी खुश थे, लेकिन धीरे-धीरे ये खुशी किसी चिंता में बदलती जा रही थी, क्योंकि जन्म के 3 महीने बाद भी बच्चों का वजन नहीं बढ़ रहा था, उसमें भी नन्हीं बच्ची का वजन काफी कम था और दोनों काफी गंभीर कुपोषण के शिकार थे.

70 घंटे में 70 किलोमीटर का सफर

बच्चों के गंभीर कुपोषण होने की खबर जब स्वास्थ्य साथियों को हुई तो वे उन बच्चों को नई जिंदगी देने के लिए निकल पड़े. कच्चापाल से मुसेर की दूरी करीब 40 किलोमीटर है, लेकिन यहां जाने के लिए काफी हौसले और हिम्मत की जरूरत है क्योंकि नक्सली एरिया होने के साथ ही जंगल, पहाड़ी और नालों को पार करते हुए इस गांव तक पहुंचा जा सकता था. फिर क्या था स्वास्थ्य साथी निकल पड़े और 40 किलोमीटर का सफर पैदल चल गांव पहुंचे, लेकिन अब भी इनकी मुश्किल खत्म नहीं हुई थी. क्योंकि परिवार वाले दोनों मासूमों को घर से बाहर कहीं भेजने के लिए रजामंद नहीं थे, इसके बाद पोषण पुनर्वास केंद्र की महिला स्वास्थ्यकर्मी और स्वास्थ्य साथियों ने परिवार की काउंसलिंग की और फिर 70 घंटे का सफर पैदल चलकर 3 दिन में पूरा किया और मां और दोनों बच्चों को कुंदला पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया, जहां बच्चों की पूरी देखभाल की जा रही है.

लॉकडाउन में फंसी गर्भवती की ETV भारत ने की मदद, स्वस्थ हैं मां और बच्चा

400 कुपोषित बच्चे हुए सुपोषित

प्रदेश सरकार बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने पोषण आहार से लेकर उपचार तक की सेवाएं मुहैया करा रही है. जिले में संचालित NRC (पोषण पुनर्वास केन्द्र) कुपोषित बच्चों के चिकित्सकीय देखभाल के साथ समुचित पोषण आहार देकर तंदुरुस्त कर रही है,पिछले साल भर के अंदर जिले के 400 कुपोषित बच्चे पोषण पुर्नवास केंद्र में भर्ती होने के बाद सुपोषित हुए हैं.

नारायणपुर: अबूझमाड़ स्वास्थ्य विभाग का अमला कोरोना को लेकर मुस्तैद तो है ही साथ ही कुपोषण और मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी से भी लोगों को बचाने का काम कर रहा है. नारायणपुर जिले के ओरछा ब्लॉक के स्वास्थ्य विभाग ने ऐसी ही मिसाल पेश की है, क्योंकि सवाल 3 महीने के जुड़वा मासूमों की जिंदगी का है.

जुड़वा मासूमों को जिंदगी देने 70 किलोमीटर का पैदल सफर

पोषण पुनर्वास केंद्र में मिल रहा नया जीवन

कच्चापाल के स्वास्थ्य साथी दोनों मासूमों और बच्चों की मां को पोषण पुनर्वास केंद्र लेकर आए जहां अब इनकी बेहतर देखभाल हो रही है. लेकिन यहां तक पहुंचने की राह आसान नहीं थी. दरअसल पूरा मामला जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर दुर्गम और चारों ओर घने जंगलों-पहाड़ों के बीच घिरे नक्सल प्रभावति गांव मुसेर का है. जहां सोनाय और सन्नूराम को फरवरी महीने में जुड़वा बच्चे पैदा हुए. जिनमें एक लड़का और एक लड़की है. एक साथ घर में लक्ष्मी और कन्हैया के आने पर परिवार के सभी लोग काफी खुश थे, लेकिन धीरे-धीरे ये खुशी किसी चिंता में बदलती जा रही थी, क्योंकि जन्म के 3 महीने बाद भी बच्चों का वजन नहीं बढ़ रहा था, उसमें भी नन्हीं बच्ची का वजन काफी कम था और दोनों काफी गंभीर कुपोषण के शिकार थे.

70 घंटे में 70 किलोमीटर का सफर

बच्चों के गंभीर कुपोषण होने की खबर जब स्वास्थ्य साथियों को हुई तो वे उन बच्चों को नई जिंदगी देने के लिए निकल पड़े. कच्चापाल से मुसेर की दूरी करीब 40 किलोमीटर है, लेकिन यहां जाने के लिए काफी हौसले और हिम्मत की जरूरत है क्योंकि नक्सली एरिया होने के साथ ही जंगल, पहाड़ी और नालों को पार करते हुए इस गांव तक पहुंचा जा सकता था. फिर क्या था स्वास्थ्य साथी निकल पड़े और 40 किलोमीटर का सफर पैदल चल गांव पहुंचे, लेकिन अब भी इनकी मुश्किल खत्म नहीं हुई थी. क्योंकि परिवार वाले दोनों मासूमों को घर से बाहर कहीं भेजने के लिए रजामंद नहीं थे, इसके बाद पोषण पुनर्वास केंद्र की महिला स्वास्थ्यकर्मी और स्वास्थ्य साथियों ने परिवार की काउंसलिंग की और फिर 70 घंटे का सफर पैदल चलकर 3 दिन में पूरा किया और मां और दोनों बच्चों को कुंदला पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया, जहां बच्चों की पूरी देखभाल की जा रही है.

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400 कुपोषित बच्चे हुए सुपोषित

प्रदेश सरकार बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने पोषण आहार से लेकर उपचार तक की सेवाएं मुहैया करा रही है. जिले में संचालित NRC (पोषण पुनर्वास केन्द्र) कुपोषित बच्चों के चिकित्सकीय देखभाल के साथ समुचित पोषण आहार देकर तंदुरुस्त कर रही है,पिछले साल भर के अंदर जिले के 400 कुपोषित बच्चे पोषण पुर्नवास केंद्र में भर्ती होने के बाद सुपोषित हुए हैं.

Last Updated : May 5, 2020, 4:01 PM IST
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