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नारायणपुर में जुटे हजारों ग्रामीण, कलेक्ट्रेट घेराव की तैयारी

बीएसपी और देव माइनिंग के खिलाफ रावघाट प्रभावित क्षेत्र के हजारों ग्रामीणों की नारायणपुर में कलेक्ट्रेट घेरने की तैयारी है. नारायणपुर पुलिस भी अलर्ट है. जगह-जगह बैरिकेड लगाए हैं.

villagers protest in Narayanpur
नारायणपुर में जुटे हजारों ग्रामीण
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Published : Apr 1, 2022, 3:37 PM IST

Updated : Apr 1, 2022, 7:25 PM IST

नारायणपुर: रावघाट माइंस क्षेत्र में ग्रामीणों की अनदेखी और ग्रामीण क्षेत्रों में पांचवी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर हजारों ग्रामीण जुटे हैं. रावघाट माइनिंग एरिया स्थित बीएसपी गोद ग्राम के क्षेत्रवासियों की अनदेखी से ग्रामीणों में आक्रोश है. ग्रामीणों ने बीएसपी और देव माइनिंग पर वादाखिलाफी का आरोप भी लगाया है.

दर्जनों गांव के हजारों ग्रामीण साप्ताहिक बाजार स्थल पर जुटे हैं. ग्रामीण रैली निकालकर कलेक्ट्रेट पहुंचेंगे और अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन देंगे. रावघाट लौह अयस्क खदान बंद कराने के लिए ग्रामीण लामबंद हुए हैं. ग्रामीणों के कलेक्ट्रेट घेराव को लेकर पुलिस भी सतर्क है. बड़ी संख्या में पुलिस बल जगह-जगह तैनात है. कई जगह बैरिकेड्स भी लगाए गए हैं.

नारायणपुर भूमि आवंटन मामला : आक्रोशित ग्रामीण बोले-ये भूमि ग्रामवासियों की देव स्थली, आवंटन उचित नहीं

पांचवीं अनुसूची में क्या है: पांचवीं अनुसूची के तहत आदिवासी संस्कृति, भाषा, जीवनशैली और अधिकारों को राज्यपाल की निगरानी में संवैधानिक संरक्षण दिया गया है. आनुसूचित जनजाति बहुल इलाके में संविधान की पांचवीं अनुसूची को लागू किया गया है. पांचवीं अनुसूची से ही संबद्ध कर पीईएसए (पेसा कानून) 1996 का प्रावधान किया गया. इसमें रूढ़ि-प्रथा और ग्रामसभा को परिभाषित किया गया है.

क्या है पेसा कानून : पेसा कानून (पंचायत एक्सटेंशन ओवर शिड्यूल्ड एरियाज एक्ट,1996) अनुसूचित क्षेत्रों की ग्रामसभाओं को क्षेत्र के संसाधनों और गतिविधियों पर नियंत्रण करने का अधिकार देता है. पेसा कानून समुदाय की प्रथागत, धार्मिक और परंपरागत रीतियों के संरक्षण पर जोर देता है. इसमें विवादों को ग्राम पंचायत के प्रथागत ढंग से सुलझाना और सामुदायिक संसाधनों का प्रबंध करना भी शामिल है. कुल मिलाकर इस कानून के तहत ग्राम पंचायत क्षेत्रों में बिना ग्राम पंचायत (Gram Panchayat) की अनुमति के कोई भी काम नहीं किया जा सकता. किसी भी काम के लिए ग्राम पंचायत की अनुमति जरूरी है. इस कानून के तहत क्षेत्र पर ग्राम पंचायतों का अधिकार होता है.

नारायणपुर: रावघाट माइंस क्षेत्र में ग्रामीणों की अनदेखी और ग्रामीण क्षेत्रों में पांचवी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर हजारों ग्रामीण जुटे हैं. रावघाट माइनिंग एरिया स्थित बीएसपी गोद ग्राम के क्षेत्रवासियों की अनदेखी से ग्रामीणों में आक्रोश है. ग्रामीणों ने बीएसपी और देव माइनिंग पर वादाखिलाफी का आरोप भी लगाया है.

दर्जनों गांव के हजारों ग्रामीण साप्ताहिक बाजार स्थल पर जुटे हैं. ग्रामीण रैली निकालकर कलेक्ट्रेट पहुंचेंगे और अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन देंगे. रावघाट लौह अयस्क खदान बंद कराने के लिए ग्रामीण लामबंद हुए हैं. ग्रामीणों के कलेक्ट्रेट घेराव को लेकर पुलिस भी सतर्क है. बड़ी संख्या में पुलिस बल जगह-जगह तैनात है. कई जगह बैरिकेड्स भी लगाए गए हैं.

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पांचवीं अनुसूची में क्या है: पांचवीं अनुसूची के तहत आदिवासी संस्कृति, भाषा, जीवनशैली और अधिकारों को राज्यपाल की निगरानी में संवैधानिक संरक्षण दिया गया है. आनुसूचित जनजाति बहुल इलाके में संविधान की पांचवीं अनुसूची को लागू किया गया है. पांचवीं अनुसूची से ही संबद्ध कर पीईएसए (पेसा कानून) 1996 का प्रावधान किया गया. इसमें रूढ़ि-प्रथा और ग्रामसभा को परिभाषित किया गया है.

क्या है पेसा कानून : पेसा कानून (पंचायत एक्सटेंशन ओवर शिड्यूल्ड एरियाज एक्ट,1996) अनुसूचित क्षेत्रों की ग्रामसभाओं को क्षेत्र के संसाधनों और गतिविधियों पर नियंत्रण करने का अधिकार देता है. पेसा कानून समुदाय की प्रथागत, धार्मिक और परंपरागत रीतियों के संरक्षण पर जोर देता है. इसमें विवादों को ग्राम पंचायत के प्रथागत ढंग से सुलझाना और सामुदायिक संसाधनों का प्रबंध करना भी शामिल है. कुल मिलाकर इस कानून के तहत ग्राम पंचायत क्षेत्रों में बिना ग्राम पंचायत (Gram Panchayat) की अनुमति के कोई भी काम नहीं किया जा सकता. किसी भी काम के लिए ग्राम पंचायत की अनुमति जरूरी है. इस कानून के तहत क्षेत्र पर ग्राम पंचायतों का अधिकार होता है.

Last Updated : Apr 1, 2022, 7:25 PM IST
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