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सरकार और नक्सलियों के बीच समाधान के लिए निकाली गई दांडी यात्रा-2

दांडी यात्रा के तर्ज पर दांडी पदयात्रा-2 की निकाली गई. पदयात्रा में 100 से ज्यादा लोग शामिल हुए. इस दौरान पदयात्रियों ने सरकार और नक्सलियों से बातचीत कर समस्या का समाधान निकालने की अपील की है.

Dandi yatra 2
दांडी यात्रा
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Published : Mar 13, 2021, 12:46 PM IST

Updated : Mar 13, 2021, 2:43 PM IST

नारायणपुर: बस्तर में लगातार हो रही नक्सली हिंसा को खत्म करने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है. शुक्रवार को नक्सली हेडक्वार्टर अबूझमाड़ से राजधानी रायपुर तक दांडी यात्रा-2 की निकाली गई. पदयात्रियों ने सरकार और नक्सलियों से बातचीत कर समस्या के समाधान का आग्रह किया है.

दांडी यात्रा-2

छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की समस्या को खत्म करने के लिए जनमत संग्रह किया गया था. इस दौरान 92 प्रतिशत लोगों ने यह कहा था कि नक्सल समस्या से निपटने का एक मात्र तरीका सरकार और नक्सलियों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है. इसी कड़ी में दांडी पदयात्रा के तर्ज पर दांडी यात्रा-2 की शुरुआत की गई है. यात्रा में 100 से ज्यादा लोग शामिल हुए हैं.

Dandi yatra 2
नाच-गाने के साथ पदयात्रा की शुरुआत

23 और 24 मार्च को नक्सल हिंसा से प्रभावितों का सम्मेलन
पदयात्रा निकालने से पहले बस्तर संभाग के अन्य जिलों से आए लोग एक जगह इकट्ठा हुए थे. जहां एक छोटी सी सभा का आयोजन किया गया. आयोजन के बाद अरविंद नेताम ने इस पद यात्रा को हरी झंडी दिखाई. यात्रा की शुरुआत शांतिनगर से की गई. पदयात्रियों ने नाच-गाने और बैनर-पोस्टर के माध्यम से सरकार और नक्सलियों से बातचीत करने का आग्रह किया. 12 मार्च को इस पदयात्रा की शुरुआत हुई थी. पदयात्रियों ने इसका नाम दांडी मार्च 2 रखा है. पदयात्रियों के रायपुर पहुंचने के बाद 23 और 24 मार्च को नक्सल पीड़ितों का सम्मेलन आयोजत किया जाएगा.

Dandi yatra 2
दांडी यात्रा 2 की शुरुआत

सेंट्रल-स्टेट फोर्स में बेहतर को-ऑर्डिनेशन, मिलकर कर रहे हैं ऑपरेशन: सीएम

40 साल से जारी है हिंसा की वारदातें

पूरी दुनिया में लगभग 7 से ज्यादा देश नक्सल हिंसा से परेशान था. भारत और फिलीपींस को छोड़कर बाकी सभी देशों को इस समस्या से निजात मिल गया है. फिलीपींस में समाधान के लिए सरकार और नक्सलियों के बीच बातचीत चल रही है. बस्तर में पिछले 40 साल से लोग नक्सली हिंसा से परेशान हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 20 साल में 12 हजार से ज्याद लोग नक्सली वारदातों मारे गए हैं. इसमें नौ हजार से ज्यादा आम नागरिक थे. हजारों परिवार बेघर भी हुए हैं.

शांति स्थापित करना यात्रा का मुख्य उद्देशय
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने बताया कि दांडी यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र राज्य में शांति स्थापित करना है. उन्होंने कहा कि उनके राजनीतिक जीवन के 50 साल पूरे होने वाले हैं. इंदिरा गांधी को छोड़कर किसी भी प्रधानमंत्री ने इस विषय को लेकर अब तक कोई गंभीरता नहीं दिखाई है. जो सबसे बड़ा दुर्भाग्य है. उन्होंने कहा कि जब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेंगे तब तक इससे निपटारा नहीं पाया जा सकेगा.

SPECIAL: बीजेपी-कांग्रेस के बीच नक्सल समस्या को लेकर चल रहा आरोप-प्रत्यारोप का दौर

सरकार और नक्सलियों के बीच पीस रही जनता: शुभ्रांशु चौधरी

पद यात्रा प्रभारी शुभ्रांशु चौधरी ने कहा कि नक्सल हिंसा पर अब तक सरकार कुछ नहीं कर पाई है. नक्सली और सरकार के बीच चल रहे इस द्वंद के बीच मासूम जनता पीस रही है. जनता चाहती है कि एक टेबल पर आकर दोनों पक्ष कोशिश करे. समस्या का समाधान हो. इस मिशन के लिए 10 सदस्य दल की टीम बनी है. इसमें पत्रकार, वकील, राजनीतिक दल के लोग समेत अन्य सदस्य शामिल हैं.

बातचीत से ढूंढे समाधान

शुभ्रांशु चौधरी ने कहा कि बस्तर के लोग शांति चाहते हैं. छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी सरकार ने अपने जन घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि यदि वे चुनाव जीतते हैं तो नक्सली समस्या के समाधान के लिए बातचीत के गंभीर प्रयास किए जाएंगे. आज ढाई साल बीत जाने के बाद भी अब तक इस ओर कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम दोनों पक्षों से अनुरोध करते हैं कि दोनों पक्ष हिंसा को समाप्त करने के लिए बातचीत की कोशिश की करे.

नारायणपुर: बस्तर में लगातार हो रही नक्सली हिंसा को खत्म करने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है. शुक्रवार को नक्सली हेडक्वार्टर अबूझमाड़ से राजधानी रायपुर तक दांडी यात्रा-2 की निकाली गई. पदयात्रियों ने सरकार और नक्सलियों से बातचीत कर समस्या के समाधान का आग्रह किया है.

दांडी यात्रा-2

छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की समस्या को खत्म करने के लिए जनमत संग्रह किया गया था. इस दौरान 92 प्रतिशत लोगों ने यह कहा था कि नक्सल समस्या से निपटने का एक मात्र तरीका सरकार और नक्सलियों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है. इसी कड़ी में दांडी पदयात्रा के तर्ज पर दांडी यात्रा-2 की शुरुआत की गई है. यात्रा में 100 से ज्यादा लोग शामिल हुए हैं.

Dandi yatra 2
नाच-गाने के साथ पदयात्रा की शुरुआत

23 और 24 मार्च को नक्सल हिंसा से प्रभावितों का सम्मेलन
पदयात्रा निकालने से पहले बस्तर संभाग के अन्य जिलों से आए लोग एक जगह इकट्ठा हुए थे. जहां एक छोटी सी सभा का आयोजन किया गया. आयोजन के बाद अरविंद नेताम ने इस पद यात्रा को हरी झंडी दिखाई. यात्रा की शुरुआत शांतिनगर से की गई. पदयात्रियों ने नाच-गाने और बैनर-पोस्टर के माध्यम से सरकार और नक्सलियों से बातचीत करने का आग्रह किया. 12 मार्च को इस पदयात्रा की शुरुआत हुई थी. पदयात्रियों ने इसका नाम दांडी मार्च 2 रखा है. पदयात्रियों के रायपुर पहुंचने के बाद 23 और 24 मार्च को नक्सल पीड़ितों का सम्मेलन आयोजत किया जाएगा.

Dandi yatra 2
दांडी यात्रा 2 की शुरुआत

सेंट्रल-स्टेट फोर्स में बेहतर को-ऑर्डिनेशन, मिलकर कर रहे हैं ऑपरेशन: सीएम

40 साल से जारी है हिंसा की वारदातें

पूरी दुनिया में लगभग 7 से ज्यादा देश नक्सल हिंसा से परेशान था. भारत और फिलीपींस को छोड़कर बाकी सभी देशों को इस समस्या से निजात मिल गया है. फिलीपींस में समाधान के लिए सरकार और नक्सलियों के बीच बातचीत चल रही है. बस्तर में पिछले 40 साल से लोग नक्सली हिंसा से परेशान हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 20 साल में 12 हजार से ज्याद लोग नक्सली वारदातों मारे गए हैं. इसमें नौ हजार से ज्यादा आम नागरिक थे. हजारों परिवार बेघर भी हुए हैं.

शांति स्थापित करना यात्रा का मुख्य उद्देशय
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने बताया कि दांडी यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र राज्य में शांति स्थापित करना है. उन्होंने कहा कि उनके राजनीतिक जीवन के 50 साल पूरे होने वाले हैं. इंदिरा गांधी को छोड़कर किसी भी प्रधानमंत्री ने इस विषय को लेकर अब तक कोई गंभीरता नहीं दिखाई है. जो सबसे बड़ा दुर्भाग्य है. उन्होंने कहा कि जब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेंगे तब तक इससे निपटारा नहीं पाया जा सकेगा.

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सरकार और नक्सलियों के बीच पीस रही जनता: शुभ्रांशु चौधरी

पद यात्रा प्रभारी शुभ्रांशु चौधरी ने कहा कि नक्सल हिंसा पर अब तक सरकार कुछ नहीं कर पाई है. नक्सली और सरकार के बीच चल रहे इस द्वंद के बीच मासूम जनता पीस रही है. जनता चाहती है कि एक टेबल पर आकर दोनों पक्ष कोशिश करे. समस्या का समाधान हो. इस मिशन के लिए 10 सदस्य दल की टीम बनी है. इसमें पत्रकार, वकील, राजनीतिक दल के लोग समेत अन्य सदस्य शामिल हैं.

बातचीत से ढूंढे समाधान

शुभ्रांशु चौधरी ने कहा कि बस्तर के लोग शांति चाहते हैं. छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी सरकार ने अपने जन घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि यदि वे चुनाव जीतते हैं तो नक्सली समस्या के समाधान के लिए बातचीत के गंभीर प्रयास किए जाएंगे. आज ढाई साल बीत जाने के बाद भी अब तक इस ओर कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम दोनों पक्षों से अनुरोध करते हैं कि दोनों पक्ष हिंसा को समाप्त करने के लिए बातचीत की कोशिश की करे.

Last Updated : Mar 13, 2021, 2:43 PM IST
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