नारायणपुर: Constitution Day in Abujhmad देश में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है. आज ही के दिन भारतीय संविधान को संविधान सभा द्वारा औपचारिक रूप से अपनाया गया था. अबूझमाड़ के तोयमेटा में 4 नवंबर से तीन सूत्रीय मांगों को लेकर ग्रामीण अनिश्चितकालीन आंदोलन कर रहे हैं. गोटाल परगना घोटूल में आंदोलनरत ग्रामीणों ने आज संविधान दिवस मनाया.
नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ में पहली बार संविधान दिवस: नारायणपुर जिले के नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ के गोटाल परगना के 8 ग्राम पंचायत के सैकड़ों ग्रामीणों ने पहली बार संविधान दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया. सबसे पहले संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के छाया चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित कर आदिवासी क्रांतिकारी शहीद गुंडाधुर, शहीद गेंदसिंह, शहीद बिरसा मुंडा और रानी लक्ष्मीबाई के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर शुभारंभ किया. आंगा देव की भी पूजा अर्चना की गई. देव डांग और देवताओं की परिक्रमा के साथ सैकड़ों ग्रामीणों को संविधान और उनके अधिकार के बारे में बताया गया.
संविधान दिवस पर गोंडी में दिलाई शपथ: भारतीय नागरिकों को संविधान ने जो अधिकार दिया है, उसके अनुसार ही हमारी रक्षा और सुरक्षा के लिए कार्य किया जाएगा. यह शपथ गोंडी (भाषा) में ग्रामीणों को दिलाई गई.आजादी के इतिहास में आज पहली बार अबूझमाड़ में संविधान के बारे में लोगों को बताया गया.
देव परिक्रमा के साथ संविधान दिवस पर निकाली रैली: तोयमेटा गोटाल परगना के घोटूल से लेकर आकाबेड़ा तक देवी देवताओं की परिक्रमा की गई. जिसमें अंगा देव, देव डांग और सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण पारंपरिक हथियार लेकर नजर आए. उन्होंने भारतीय संविधान को छेड़छाड़ करना बंद करो, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जिंदाबाद, जय भीम जय संविधान, 1996 पेसा काननू को लागू करो, पांचवी छठवीं अनुसूची को लागू करो जैसे नारों के साथ रैली भी निकाली.
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तीन सूत्रीय मांगों को लेकर 4 नवंबर से ग्रामीण आंदोलन पर: अबूझमाड़ इलाके की 8 ग्राम पंचायत से भी ज्यादा गांव के ग्रामीण 4 नवंबर से अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन आंदोलन पर हैं. इनमें पहली मांग पेसा कानून 1996 के नियमों को छत्तीसगढ़ शासन अति शीघ्र लागू करने की है. दूसरी मांग माड़ क्षेत्र में प्रस्तावित नए पुलिस कैंप को बंद करने की है. वहीं तीसरी मांग वन संरक्षण अधिनियम 2022 को रद्द करने की है. ग्रामीणों ने बताया कि ''अबतक प्रशासन के अधिकारी हमारी सुध लेने नहीं पहुंचे हैं. ना ही हमारी मांगों पर कोई विचार किया जा रहा है. जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा.''