नारायणपुर: पिछले 200 दिन यानी कि लगभग 6 माह से अबूझमाड़ के हजारों आदिवासी ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. शुक्रवार को हजारों आदिवासी प्रदर्शनकारी जिला मुख्यालय पहुंचे. देर रात सभी आंदोलनकारियों ने बखरूपारा बाजार में आराम किया.
आज कलेक्टर को सौंपेंगे ज्ञापन: आांदोलन के दौरान जगह जगह पुलिस बैरिकेट्स लगाकर ग्रामीणों को रोकती रही. लेकिन ये हार नहीं माने. आखिरकार ये जिला मुख्यालय पहुंच ही गए. देर रात पुलिस और ग्रामीणों के बीच बातचीत के बाद ग्रामीणों को लेकर बखरूपारा बाजार में रात को आराम करने को दिया गया. शनिवार को सभी आंदोलनकारी अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेंगे.
आक्रोशित ग्रामीण राशन-पानी और लकड़ी लेकर पहुंचे: शुक्रवार रात इन आंदोलनकारियों की पुलिस के साथ झूमाझटकी हो गई. ये आदिवासी अपने साथ तीन 3 ट्रैक्टर लेकर साथ चल रहे हैं. इन ट्रैक्टरों में पानी टेंकर, राशन, लकड़ी और खाने पीने की चीजें हैं. इन सामानों को देख कर ऐसा माना जा रहा है कि आंदोलनकारी अब अबूझमाड़ से जिला मुख्यालय में डेरा डालेंगे और अपनी मांगों को लेकर अड़े रहेंगे.
ये है आंदोलनकारियों की मांग: पिछले 200 दिनों से आंदोलन में बैठे इन आंदोलनकारियों की तीन सूत्रीय मांगे हैं. इन मांगों में नए पुलिस कैंप ना खोलने, पेसा कानून और वन संरक्षण अधिनियम 2022 में बदलाव की मांग शामिल है.ये आंदोलनकारी लगातार 6 माह से सरकार तक अपनी बातें पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. इसके अलावा ईरकभट्ठी, माडोनार और होड़नार के जंगल में ओरछा के नदी पारा सहित अलग अलग स्थानों पर आदिवासी ग्रामीण जल जंगल को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं.
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ग्रामीणों को नक्सली बताकर भेजा जाता है जेल: ग्रामीणों का आरोप है कि जब भी वे अबूझमाड़ से ज्ञापन या आवेदन देने जिला कलेक्ट्रेट पहुंचते हैं, तो पुलिस उन्हें रास्ते में पकड़ लेती है और नक्सली बताकर जेल भेज देती है. अबूझमाड़ के कई निर्दोष आदिवासियों को नक्सली बताकर जेल भेज दिया गया है. इसके विरोध में ग्रामीण जिला मुख्यालय में हजारों संख्या में उग्र होकर अपने साथ पारंपरिक हथियार लेकर पहुंचे हैं.