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Mayalok of Madkudweep: बुधवार को कीजिए मदकूद्वीप के अष्टभुजी भगवान गणेश के दर्शन , हर मनोकामनाएं होंगी पूरी !

छत्तीसगढ़ के मुंगेली में मदकूद्वीप है. यहां 11 सौ साल पुरानी गणेश प्रतिमा की पूजा के लिए दूर दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. 8वीं शताब्दी की गणेश प्रतिमा साल 2011 की पुरातात्विक खुदाई के दौरान मिली है. इस प्रतिमा की खास बात ये है कि यह नृत्य मुद्रा में अष्टभुजी है. इस तरह की प्रतिमा भोरमदेव में भी मिली है जो मदकूद्वीप की गणेश प्रतिमा के बाद निर्मित हुई है. यही कारण है कि मदकूद्वीप की प्रतिमा अपने आप में काफी अनोखी है. mungeli latest news

Mayalok of Madkudweep
मदकूद्वीप की अनोखी अष्टभुजी गणेश प्रतिमा
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Published : Feb 15, 2023, 6:07 AM IST

Updated : Feb 15, 2023, 9:51 AM IST

बुधवार को कीजिए मदकूद्वीप के अष्टभुजी भगवान गणेश के दर्शन

मुंगेली: छत्तीसगढ़ में धार्मिक मान्यताओं को काफी महत्व दिया जाता है. यहां कई देवी देवताओं की सदियों पुरानी प्रतिमाएं है. मल्हार, रतनपुर समेत कई गांव हैं जो बिलासपुर जिले में है. जहां देवी देवताओं की सदियों पुरानी प्रतिमाएं मिली है. बिलासपुर रायपुर हाईवे में मुंगेली जिले के मदकूद्वीप में भी खुदाई में ऐसी प्रतिमाएं मिली हैं जो 7वीं-8वीं शताब्दी की हैं. 8वी शताब्दी में निर्मित गणेश प्रतिमा खुदाई में मिली हैं. इस प्रतिमा की विशेषता ये है कि यह अष्टभुजी नृत्य मुद्रा में है. इसकी ख्याति इतनी है कि लोग इसे दूर दूर से देखने और पूजा करने के लिये आते हैं.

क्या है मदकूद्वीप की खासियत : मांडूक्य ऋषि की तपोभूमि में 11 स्पार्कलिंग मंदिर भी मिला है. इसलिए मदकूद्वीप तीर्थस्थल के रूप में भी जाना जाता है. मंदिर के पुजारी रामरूप दास ने बताया कि '' खुदाई के दौरान प्रतिमा में बन्दन और अन्य चीजें लगे होने से शुरुआत में प्रतिमा का चतुर्भुज ही नजर आई थी. लेकिन बाद में प्राण प्रतिष्ठा में प्रतिमा की सफाई के दौरान पता चला कि अष्टभुजी प्रतिमा है. यहां खुदाई में 11 स्पार्कलिंग भी मिला है. भारत के दक्षिण में 11 स्पार्कलिंग हैं, लेकिन उससे भी पुराना स्पार्कलिंग मदकूद्वीप में है. यहां का स्पार्कलिंग 11 सौ साल पुराना है. जिसमे देवी देवताओं की अलग-अलग मुद्रा और अलग-अलग दिशाओं में मुख है. इसलिए इनका अलग ही महत्व है.

ये भी पढ़ें-सैलानियों के लिए स्वर्ग है अचानकमार टाइगर रिजर्व

मनोकामनाओं की पूर्ति करता है प्रतिमा : अष्टभुजी गणेश प्रतिमा की ख्याति इतनी ज्यादा है कि लोग उनके चमत्कार और इनके दिव्य दर्शन की गाथा सुनकर परिवार सहित यहां दर्शन और पूजा करने आते हैं. भाटापारा के रहने वाले शिक्षक संतोष सिंह चौहान यहां परिवार सहित पहुंचे. उन्होंने बताया कि ''मदकूद्वीप में बने धार्मिक स्थल और यहां की प्रतिमा की मान्यता इतनी अधिक है.इसलिए पूरे परिवार सहित यहां दर्शन करने पहुंचे.''

Mayalok of Madku Island
मदकूद्वीप में पुरातन मूर्तियां

कॉलेज में पढ़ाई कर रही छात्रा प्रिया पांडेय भी ने बताया कि '' वह मेले के विषय में सुनकर यहां आई थी. लेकिन जब उसे मंदिर के विषय में जानकारी लगी तो वे दर्शन करने पहुंची है. अष्टभुजी गणेश प्रतिमा पहली बार देखी है और यहां आने के बाद उसे एक अलग ही सुकून और अनुभव की प्राप्ति हुई.''

बिलासपुर की नीतू निर्मलकर ने बताया कि ''मदकूद्वीप के मंदिरों के दिव्य दर्शन के लिए वहां आती है. गणेश प्रतिमा के विषय में कहा कि वे यहां पहुंच कर पूजा करती है, और अपनी मनोकामना करती हैं. इस प्रतिमा के सामने मनोकामना करने से पूरी होती है, इसलिए वह यहां आई है. अपनी मनोकामना पूरी करने पूजा की है.''

बुधवार को कीजिए मदकूद्वीप के अष्टभुजी भगवान गणेश के दर्शन

मुंगेली: छत्तीसगढ़ में धार्मिक मान्यताओं को काफी महत्व दिया जाता है. यहां कई देवी देवताओं की सदियों पुरानी प्रतिमाएं है. मल्हार, रतनपुर समेत कई गांव हैं जो बिलासपुर जिले में है. जहां देवी देवताओं की सदियों पुरानी प्रतिमाएं मिली है. बिलासपुर रायपुर हाईवे में मुंगेली जिले के मदकूद्वीप में भी खुदाई में ऐसी प्रतिमाएं मिली हैं जो 7वीं-8वीं शताब्दी की हैं. 8वी शताब्दी में निर्मित गणेश प्रतिमा खुदाई में मिली हैं. इस प्रतिमा की विशेषता ये है कि यह अष्टभुजी नृत्य मुद्रा में है. इसकी ख्याति इतनी है कि लोग इसे दूर दूर से देखने और पूजा करने के लिये आते हैं.

क्या है मदकूद्वीप की खासियत : मांडूक्य ऋषि की तपोभूमि में 11 स्पार्कलिंग मंदिर भी मिला है. इसलिए मदकूद्वीप तीर्थस्थल के रूप में भी जाना जाता है. मंदिर के पुजारी रामरूप दास ने बताया कि '' खुदाई के दौरान प्रतिमा में बन्दन और अन्य चीजें लगे होने से शुरुआत में प्रतिमा का चतुर्भुज ही नजर आई थी. लेकिन बाद में प्राण प्रतिष्ठा में प्रतिमा की सफाई के दौरान पता चला कि अष्टभुजी प्रतिमा है. यहां खुदाई में 11 स्पार्कलिंग भी मिला है. भारत के दक्षिण में 11 स्पार्कलिंग हैं, लेकिन उससे भी पुराना स्पार्कलिंग मदकूद्वीप में है. यहां का स्पार्कलिंग 11 सौ साल पुराना है. जिसमे देवी देवताओं की अलग-अलग मुद्रा और अलग-अलग दिशाओं में मुख है. इसलिए इनका अलग ही महत्व है.

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मनोकामनाओं की पूर्ति करता है प्रतिमा : अष्टभुजी गणेश प्रतिमा की ख्याति इतनी ज्यादा है कि लोग उनके चमत्कार और इनके दिव्य दर्शन की गाथा सुनकर परिवार सहित यहां दर्शन और पूजा करने आते हैं. भाटापारा के रहने वाले शिक्षक संतोष सिंह चौहान यहां परिवार सहित पहुंचे. उन्होंने बताया कि ''मदकूद्वीप में बने धार्मिक स्थल और यहां की प्रतिमा की मान्यता इतनी अधिक है.इसलिए पूरे परिवार सहित यहां दर्शन करने पहुंचे.''

Mayalok of Madku Island
मदकूद्वीप में पुरातन मूर्तियां

कॉलेज में पढ़ाई कर रही छात्रा प्रिया पांडेय भी ने बताया कि '' वह मेले के विषय में सुनकर यहां आई थी. लेकिन जब उसे मंदिर के विषय में जानकारी लगी तो वे दर्शन करने पहुंची है. अष्टभुजी गणेश प्रतिमा पहली बार देखी है और यहां आने के बाद उसे एक अलग ही सुकून और अनुभव की प्राप्ति हुई.''

बिलासपुर की नीतू निर्मलकर ने बताया कि ''मदकूद्वीप के मंदिरों के दिव्य दर्शन के लिए वहां आती है. गणेश प्रतिमा के विषय में कहा कि वे यहां पहुंच कर पूजा करती है, और अपनी मनोकामना करती हैं. इस प्रतिमा के सामने मनोकामना करने से पूरी होती है, इसलिए वह यहां आई है. अपनी मनोकामना पूरी करने पूजा की है.''

Last Updated : Feb 15, 2023, 9:51 AM IST
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