मुंगेली: छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार वनग्रामों के अंदर रहने वाले वनवासियों के धनुष-बाण और गुलेल को सरेंडर कराया गया है. लोरमी के अचानकमार टाइगर रिजर्व के सुरही में धनुष-बाण और गुलेल के समर्पण का आयोजन किया गया. प्रदेश में बढ़ते शिकार की घटनाओं की रोकथाम के लिए अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबंधन की ओर से एक नई पहल की गई. पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में अपनी तरह के इस नए पहल में एटीआर के जंगल के अंदर रह रहे वनवासियों नें भी बढ़चढ़कर हिस्सा लिया. अचानकमार टाइगर रिजर्व वन्यप्राणी संरक्षित क्षेत्र में हथियार नहीं रखने, वन एवं वन्यप्राणियों की सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरुक करने की यह पहल की गई.
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वनवासियों ने ली वन्यप्राणियों की सुरक्षी की शपथ: अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबंधन की ओर से शुरू की गई इस पहल में भारी संख्या में वनवासियों ने हिस्सा लिया. इस कार्यक्रम में रिजर्व क्षेत्र में जानवरों के शिकार के लिए लगाए जाने वाले तार और फंदा का पता लगाने वालों को पुरस्कार देने का भी ऐलान किया गया है. इस मौके पर एटीआर प्रबंधन के द्वारा तीरंदाजी प्रतियोगिता का आयोजन भी कराया गया. जिसमें विजेताओं को पुरस्कार दिया गया. वहीं कार्यक्रम के बाद जंगल के अंदर रहने वाले 47 प्रतिभागियों नें अपनी इच्छा से धनुष-बाण का समर्पण किया. जिन्हे दो-दो हजार की नगद राशि और श्रीफल देकर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने शिकार करने की मनोवृत्ति को त्यागकर वन्यप्राणियों की सुरक्षा की शपथ भी ली
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विधायक धरमजीत सिंह भी कार्यक्रम में हुए शामिल :कार्यक्रम में विधायक धरमजीत सिंह, एटीआर के डिप्टी डायरेक्टर सत्यदेव शर्मा और वन प्रबंधन समिति के लोग शामिल रहे. गौरतलब है कि लोरमी के अचानकमार टाइगर रिजर्व में बीते कुछ माह के भीतर जंगली जानवरों के शिकार के कई मामले में सामने आ चुके हैं. बीते साल एक बाघिन भी एटीआर के छपरवा इलाके मेें गंभीर रुप से घायल हालत में मिली थी. जिसकी कुछ दिन पहले ही कानन पेंडारी में इलाज के दौरान मौत हो गई थी. ऐसे में तेजी से बढ़ते शिकार के मामलों के रोकथाम के लिए एटीआर प्रबंधन का ये प्रयास काबिले तारीफ है.