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इस एप ने आसान की बाघों की गणना, ऐसा करता है काम

देशभर में कुल 2967 बाघ हैं, जिनमें से मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 526 जबकि कर्नाटक में 524 बाघ पाए गए हैं, वहीं तीसरे नंबर पर उत्तराखंड है जहां पर 442 बाघ देखे गए हैं. बात अगर छत्तीसगढ़ प्रदेश की करें, तो यहां के आंकड़े निराश करने वाले हैं.

अचानकमार टाइगर रिजर्व.
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Published : Aug 2, 2019, 11:25 AM IST

Updated : Aug 3, 2019, 7:34 AM IST

मुंगेली : जंगल का राजा यानी कि बाघ, जिसकी एक हुंकार से पूरा जंगल थर्रा उठता है. पूरे जंगल में जिसकी अपनी हुकूमत चलती है. ऐसे बाघों की जंगल में वास्तविक उपस्थिति को लेकर साल 2018 का गणना एक नई टेक्नोलॉजी के साथ किया गया. देश के अंदर हर 4 साल में होने वाले बाघों की गणना इस बार न सिर्फ बेहद खास थी बल्कि रोचक भी थी. जी हां डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया के इस दौर में बाघों की गणना अब नई टेक्नालॉजी के साथ की जा रही है.

न्यूज स्टोरी.

डब्ल्यूएलआई यानी की वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ने एक ऐसा मोबाइल एप्लीकेशन बनाया है, जिसके जरिए पूरे देश के 18 राज्यों के लगभग 4 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बाघों की गणना की गई. मुंगेली जिले के लोरमी स्थित अचानकमार टाइगर रिजर्व में इस बार नई टेक्नोलॉजी के साथ बाघों की गणना की गई. कैसा है ये मोबाइल एप और किस तरह इससे की जाती है बाघों की गणना देखिए इस खास रिपोर्ट में.

ऐसे हुई हाईटेक गणना
हर 4 साल में होने वाली बाघों की गणना इस साल बेहद खास थी. बाघों की गणना स्मार्ट फोन पर एप के जरिए भी की गई. वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ने इसके लिए 'एम स्ट्राइप्स' नाम का एक एप बनाया है. इसका पूरा नाम 'मॉनिटरिंग सिस्टम फॉर टाइगर इंटेंसिव प्रोटेक्शन एंड इकोलॉजिकल स्टेटस' है. अपनी तरह के अनोखे इस एप का इस्तेमाल ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से किया जा सकता है. अचानकमार टाइगर रिजर्व में लगभग 25 वन रक्षकों को स्मार्टफोन और इसे ऑपरेट करने का प्रशिक्षण दिया गया था. 15 जनवरी से शुरू हुए बाघों की गणना में इस मोबाइल एप्लीकेशन का इस्तेमाल भी किया गया.

क्या है फायदे
एटीआर के डिप्टी डायरेक्टर की मानें तो इस एप सिस्टम का काफी फायदा है. डिप्टी डायरेक्टर के मुताबिक पहले की गणना में जानकारी प्रपत्र में भरे जाते थे, जिन्हें फिर महीनों काउंटिंग कर सही संख्या का पता लगाया जाता था. कई बार संख्या को लेकर अलग-अलग स्थिति भी बन जाती थी, लेकिन इस नए टेक्नोलॉजी से कम वक्त में पूरे देश में बाघों की संख्या को एक बार में कंपाइल कर निकाला जा सकता है. बाघों की स्थिति को लेकर साल 2014 में हुई घटना के आंकड़ों पर नजर डाली जाए, तो पूरे देश में वर्ष 2014 में 2226 बाघ थे, जिनमें 4 साल के भीतर 351 बाघों की मौत हो गई. इनमें से सबसे ज्यादा वर्ष 2017 में देश में कुल 115 बाघों की मौत हुई.

छत्तीसगढ़ में बाघों की आबादी
प्रदेश के आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 में प्रदेश के जंगलों में बाघों की संख्या 46 थी, जिनमें सबसे ज्यादा लोरमी के अचानकमार टाइगर रिजर्व में 28, भोरमदेव टाइगर रिजर्व में 4, उदंती-सीतानदी में 5, गुरु घासीदास रिजर्व फॉरेस्ट में 2 और इंद्रावती रिजर्व फॉरेस्ट में 7 बाघ देखे गए थे. 4 साल बाद जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक अब प्रदेश में कुल 19 बाघ हैं.

देशभर में बाघ
29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस के मौके पर केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए. आंकड़ों के मुताबिक पूरे देशभर में कुल 2967 बाघ हैं, जिनमें से मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 526 जबकि कर्नाटक में 524 बाघ पाए गए हैं, वहीं तीसरे नंबर पर उत्तराखंड है जहां पर 442 बाघ देखे गए हैं. बात अगर छत्तीसगढ़ प्रदेश की करें तो यहां के आंकड़े निराश करने वाले हैं. 2014 में जहां प्रदेश में 46 बाघ थे. वहीं अब घटकर इनकी संख्या महज 19 रह गई है.

मुंगेली : जंगल का राजा यानी कि बाघ, जिसकी एक हुंकार से पूरा जंगल थर्रा उठता है. पूरे जंगल में जिसकी अपनी हुकूमत चलती है. ऐसे बाघों की जंगल में वास्तविक उपस्थिति को लेकर साल 2018 का गणना एक नई टेक्नोलॉजी के साथ किया गया. देश के अंदर हर 4 साल में होने वाले बाघों की गणना इस बार न सिर्फ बेहद खास थी बल्कि रोचक भी थी. जी हां डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया के इस दौर में बाघों की गणना अब नई टेक्नालॉजी के साथ की जा रही है.

न्यूज स्टोरी.

डब्ल्यूएलआई यानी की वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ने एक ऐसा मोबाइल एप्लीकेशन बनाया है, जिसके जरिए पूरे देश के 18 राज्यों के लगभग 4 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बाघों की गणना की गई. मुंगेली जिले के लोरमी स्थित अचानकमार टाइगर रिजर्व में इस बार नई टेक्नोलॉजी के साथ बाघों की गणना की गई. कैसा है ये मोबाइल एप और किस तरह इससे की जाती है बाघों की गणना देखिए इस खास रिपोर्ट में.

ऐसे हुई हाईटेक गणना
हर 4 साल में होने वाली बाघों की गणना इस साल बेहद खास थी. बाघों की गणना स्मार्ट फोन पर एप के जरिए भी की गई. वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ने इसके लिए 'एम स्ट्राइप्स' नाम का एक एप बनाया है. इसका पूरा नाम 'मॉनिटरिंग सिस्टम फॉर टाइगर इंटेंसिव प्रोटेक्शन एंड इकोलॉजिकल स्टेटस' है. अपनी तरह के अनोखे इस एप का इस्तेमाल ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से किया जा सकता है. अचानकमार टाइगर रिजर्व में लगभग 25 वन रक्षकों को स्मार्टफोन और इसे ऑपरेट करने का प्रशिक्षण दिया गया था. 15 जनवरी से शुरू हुए बाघों की गणना में इस मोबाइल एप्लीकेशन का इस्तेमाल भी किया गया.

क्या है फायदे
एटीआर के डिप्टी डायरेक्टर की मानें तो इस एप सिस्टम का काफी फायदा है. डिप्टी डायरेक्टर के मुताबिक पहले की गणना में जानकारी प्रपत्र में भरे जाते थे, जिन्हें फिर महीनों काउंटिंग कर सही संख्या का पता लगाया जाता था. कई बार संख्या को लेकर अलग-अलग स्थिति भी बन जाती थी, लेकिन इस नए टेक्नोलॉजी से कम वक्त में पूरे देश में बाघों की संख्या को एक बार में कंपाइल कर निकाला जा सकता है. बाघों की स्थिति को लेकर साल 2014 में हुई घटना के आंकड़ों पर नजर डाली जाए, तो पूरे देश में वर्ष 2014 में 2226 बाघ थे, जिनमें 4 साल के भीतर 351 बाघों की मौत हो गई. इनमें से सबसे ज्यादा वर्ष 2017 में देश में कुल 115 बाघों की मौत हुई.

छत्तीसगढ़ में बाघों की आबादी
प्रदेश के आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 में प्रदेश के जंगलों में बाघों की संख्या 46 थी, जिनमें सबसे ज्यादा लोरमी के अचानकमार टाइगर रिजर्व में 28, भोरमदेव टाइगर रिजर्व में 4, उदंती-सीतानदी में 5, गुरु घासीदास रिजर्व फॉरेस्ट में 2 और इंद्रावती रिजर्व फॉरेस्ट में 7 बाघ देखे गए थे. 4 साल बाद जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक अब प्रदेश में कुल 19 बाघ हैं.

देशभर में बाघ
29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस के मौके पर केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए. आंकड़ों के मुताबिक पूरे देशभर में कुल 2967 बाघ हैं, जिनमें से मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 526 जबकि कर्नाटक में 524 बाघ पाए गए हैं, वहीं तीसरे नंबर पर उत्तराखंड है जहां पर 442 बाघ देखे गए हैं. बात अगर छत्तीसगढ़ प्रदेश की करें तो यहां के आंकड़े निराश करने वाले हैं. 2014 में जहां प्रदेश में 46 बाघ थे. वहीं अब घटकर इनकी संख्या महज 19 रह गई है.

Intro:मुंगेली- जंगल का राजा याने कि बाघ जिसकी एक हूंकार से पूरा जंगल थर्रा उठता है. पूरे जंगल में जिसकी अपनी हुकूमत चलती है. ऐसे बाघों की जंगल में वास्तविक उपस्थिति को लेकर साल 2018 का गणना एक नई टेक्नोलॉजी के साथ किया गया. देश के अंदर हर 4 साल में होने वाले बाघों की गणना इस बार ना सिर्फ बेहद खास थी बल्कि रोचक भी थी.जी हां डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया के इस दौर में बाघों की गणना अब नई टेक्नालॉजी के साथ की जा रही है. डब्ल्यूएलआई याने की वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ने एक ऐसा मोबाइल एप्लीकेशन बनाया है, जिसके जरिए पूरे देश के 18 राज्यों के लगभग 4 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बाघों की गणना की गई. मुंगेली जिले के लोरमी में स्थित अचानकमार टाइगर रिज़र्व में इस बार नई टेक्नोलॉजी के साथ बाघों की गणना की गई। कैसा है ये मोबाइल एप और किस तरह इससे की जाती है बाघों की गणना देखिए इस ख़ास रिपोर्ट में।


Body:बाघों को लेकर अनूठा प्रयोग,,, मोबाइल एप के माध्यम से हो रही बाघों की गिनती,,, जंगल हो गया डिजिटल,,,बस एक क्लिक और बाघ हो गए कैद,,, जी हां यह वह प्रयोग है जिसे बाघ क्रांति कहा जा सकता है। 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस के मौके पर केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक पूरे देशभर में कुल 2967 बाघ हैं. जिनमें से मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 526 जबकि कर्नाटक में 524 बाघ पाए गए हैं, वहीं तीसरे नंबर पर उत्तराखंड है जहां पर 442 बाघ देखे गए हैं. बात अगर छत्तीसगढ़ प्रदेश की करें तो यहां के आंकड़े निराश करने वाले हैं। 2014 में जहां प्रदेश में 46 बाघ थे वहीं अब घटकर इनकी संख्या महज 19 रह गयी है।
ऐसे हुई हाईटेक गणना
हर 4 साल में होने वाली बाघों की गणना इस वर्ष बेहद खास थी खास इसलिए क्योंकि इस वर्ष बाघों की गणना स्मार्ट फोन पर एप के माध्यम से भी की गई. वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ने इसके लिए एम स्ट्राइप्स नाम का एक एप बनाया है जिसका पूरा नाम मॉनिटरिंग सिस्टम फॉर टाइगर इंटेंसिव प्रोटेक्शन एंड इकोलॉजिकल स्टेटस है. अपनी तरह के अनोखे इस एप का इस्तेमाल ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से किया जा सकता है.अचानकमार टाइगर रिजर्व में लगभग 25 वन रक्षकों को स्मार्टफोन भी दिए गए हैं. जिन्हें स्मार्ट फोन पर एप के उपयोग का प्रशिक्षण भी दिया गया था. 15 जनवरी से शुरू हुए बाघों की गणना में इस मोबाइल एप्लीकेशन का इस्तेमाल भी किया गया।
बाइट-1-संदीप बल्गा (प्रभारी डिप्टी डायरेक्टर,एटीआर)

क्या है फायदे
एटीआर के डिप्टी डायरेक्टर की माने तो इस एप सिस्टम का काफी फायदा है डिप्टी डायरेक्टर के मुताबिक पहले की गणना में जानकारी प्रपत्र में भरे जाते थे. जिन्हें फिर महीनों काउंटिंग कर सही संख्या का पता लगाया जाता था. कई बार संख्या को लेकर अलग-अलग स्थिति भी बन जाती थी. लेकिन इस नए एप टेक्नोलॉजी से कम वक्त में पूरे देश में बाघों की संख्या को एक बार में कंपाइल कर निकाला जा सकता है. बाघों की स्थिति को लेकर 2014 में हुए घटना के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो पूरे देश में वर्ष 2014 में 2226 बाघ थे. जिनमें 4 साल के भीतर 351 बाघों की मौत हो गई इनमें से सबसे ज्यादा वर्ष 2017 में देश में कुल 115 बाघों की मौत हुई. वहीं प्रदेश के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 में इस प्रदेश के जंगलों में बाघों की संख्या 46 थी. जिनमें सबसे ज्यादा लोरमी के अचानकमार टाइगर रिजर्व में 28, भोरमदेव टाइगर रिजर्व में 4, उदंती-सीतानदी में 5, गुरु घासीदास रिजर्व फॉरेस्ट में 2 और इंद्रावती रिजर्व फॉरेस्ट में 7 बाघ देखे गए थे। 4 साल बाद जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में कुल 19 बाघ है।
बाइट-2-संदीप बल्गा (प्रभारी डिप्टी डायरेक्टर एटीआर)


Conclusion:एम स्ट्राइप्स एप का आखिरकार बाघों की गणना में कितना फायदा होता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन जिस तरह से नई टेक्नोलॉजी के जरिए बाघों की गणना का काम किया जा रहा है. उससे यह तो साफ है कि आने वाले समय में बाघों की सही संख्या को लेकर कोई विवाद नहीं रहेगा. वैसे भी पूरे देश के आंकड़ों पर गौर फरमाया जाए विश्व के 70 फ़ीसदी से ज्यादा बाघ भारत में पाए जाते हैं। केंद्र सरकार के द्वारा जारी किए गए ताज़ा रिपोर्ट में भारत मे बाघों की उपस्थिति भी बेहतर है।

रिपोर्ट-शशांक दुबे,ईटीवी भारत मुंगेली
Last Updated : Aug 3, 2019, 7:34 AM IST
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