मुंगेली: पूरे प्रदेश में रविवार को हलषष्ठी का पर्व मनाया गया. माताओं ने अपने बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए व्रत रखा. माना जाता है कि आज के दिन किसान खेती का काम बंद रखते हुए अपने हलों की पूजा-अर्चना करते हैं.
हर साल भाद्रपद (भादो) महीने के कृष्ण पक्ष की छठ को कमरछठ (हलषष्ठी) मनाया जाता है. माताएं इस दिन भैंस के गोबर से हलषष्ठी देवी की स्थापना कर उनकी पूजा करती हैं. इस दिन देवी को मिट्टी से बने विशेष तरह के पात्र जिसे 'चुकिया' कहते हैं, उसमें लाई और महुआ के प्रसाद का भोग लगाया जाता है. महिलाएं पूजा के बाद बच्चों को नए कपड़े से बनाई गई पोथी से सात बार मारकर आशीर्वाद देती हैं.
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आज के दिन भैंस का महत्व
कमरछठ के इस त्योहार में भैंस का विशेष महत्व है. आज के दिन भैंस के दूध, दही और घी का सेवन किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि साल में एक दिन ऐसा होता है जिस दिन गौ माता को किसी तरह का कष्ट ना देते हुए इस दिन भैंस के ही दूध, दही और घी का उपयोग किया जाता है. महिलाएं पूजा के बाद पसहर चावल का सेवन करती हैं.
खुशहाली और दीर्घायु के लिए रखते हैं व्रत
कमरछठ पर्व मां अपने बच्चों की खुशहाली और दीर्घायु के लिए रखती हैं. विद्वानों के मुताबिक हलषष्ठी पर्व के दिन हरेली में बनाए गए बच्चों के गेड़ी के अलावा किसानों के उपयोग में लाए जाने वाले हल और खेती के सामानों की पूजा भी की जाती है. किसान इस दिन अपने खेती के काम बंद रखते हैं.