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अविश्वास प्रस्ताव पर लोरमी नगर पंचायत अध्यक्ष को हाईकोर्ट से बड़ी राहत

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Published : Aug 23, 2022, 11:14 PM IST

मुंगेली में लोरमी नगर पंचायत अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला के खिलाफ भाजपा पार्षदों के द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर हाईकोर्ट ने 4 हफ्तों के लिए रोक लगा दी है. इससे अंकिता रवि शुक्ला को काफी राहत मिली है.

Big relief to Lormi Nagar Panchayat President
लोरमी नगर पंचायत अध्यक्ष को राहत

मुंगेली: मुंगेली जिले के लोरमी नगर पंचायत अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. मुंगेली कलेक्टर की ओर से जारी अविश्वास प्रस्ताव की (Big relief to Lormi Nagar Panchayat President) कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने 4 सप्ताह तक की रोक लगा दी है.

भाजपा पार्षदों ने लाया था प्रस्ताव: लोरमी नगर पंचायत की वर्तमान अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला के खिलाफ पांच भाजपा पार्षदों ने मुंगेली कलेक्टर के समक्ष अविश्वास प्रस्ताव की मांग रखी थी. जिस पर 24 अगस्त को फैसला होना था. फैसले के ठीक 1 दिन पहले बिलासपुर हाईकोर्ट ने वर्तमान अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला को बड़ी राहत देते हुए आगामी 4 हफ्तों तक रोक लगा दी है.

ऐसी है स्थिति: लोरमी नगर पंचायत के 15 वार्डों में से 6 में कांग्रेस, 5 में बीजेपी, तो वहीं 4 में जेसीसीजे का कब्जा है. वर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला जेसीसीजे से चुनकर आईं हैं. कम सीट संख्या होने के बावजूद ढाई साल पहले हुए नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस और भाजपा की क्रास वोटिंग के चलते जेसीसीजे की अध्यक्ष ने यहां पर चुनाव जीता था.


यह भी पढ़ें: खतरे में लोरमी नगर पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी !


ऐसे मिली राहत: मुंगेली कलेक्टर राहुल देव ने भाजपा पार्षदों की शिकायत पर बिना जांच और नगर पंचायत अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला को सुनवाई का अवसर दिए बगैर ही 24 अगस्त को अविश्वास प्रस्ताव के लिए बैठक बुलाने का आदेश जारी कर दिया था. कलेक्टर के इस आदेश को चुनौती देते हुए वर्तमान अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला ने अपने वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी. इसमें बताया गया कि अगर याचिकाकर्ता के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत है, तो उसकी जांच होनी चाहिए. किसी भी तरह से दोषी पाए जाने पर वैधानिक कार्रवाई की जानी चाहिए. लेकिन इस मामले में राजनीतिक षडयंत्र के तहत अविश्वास प्रस्ताव बुलाने के लिए बिना तथ्यों के आरोप लगने पर कलेक्टर को तथ्यों की जांच करनी चाहिए थी. लेकिन कलेक्टर द्वारा भाजपा पार्षदों की शिकायतों पर सीधे अविश्वास प्रस्ताव की बैठक बुलाना गलत है.



हाई कोर्ट ने 4 सप्ताह की दी अंतरिम राहत: नगर पंचायत अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला के वकील ने इस पूरे मामले को राजनीतिक षडयंत्र बताते हुए अंतरिम राहत की मांग की थी. वही मुंगेली कलेक्टर के आदेश पर रोक लगाने का भी आग्रह किया था. सभी पक्षों को सुनने के बाद बिलासपुर हाई कोर्ट के जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल ने अंतरिम राहत देते हुए कलेक्टर के आदेश पर रोक लगा दिया है. साथ ही कलेक्टर सहित अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.

मुंगेली: मुंगेली जिले के लोरमी नगर पंचायत अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. मुंगेली कलेक्टर की ओर से जारी अविश्वास प्रस्ताव की (Big relief to Lormi Nagar Panchayat President) कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने 4 सप्ताह तक की रोक लगा दी है.

भाजपा पार्षदों ने लाया था प्रस्ताव: लोरमी नगर पंचायत की वर्तमान अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला के खिलाफ पांच भाजपा पार्षदों ने मुंगेली कलेक्टर के समक्ष अविश्वास प्रस्ताव की मांग रखी थी. जिस पर 24 अगस्त को फैसला होना था. फैसले के ठीक 1 दिन पहले बिलासपुर हाईकोर्ट ने वर्तमान अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला को बड़ी राहत देते हुए आगामी 4 हफ्तों तक रोक लगा दी है.

ऐसी है स्थिति: लोरमी नगर पंचायत के 15 वार्डों में से 6 में कांग्रेस, 5 में बीजेपी, तो वहीं 4 में जेसीसीजे का कब्जा है. वर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला जेसीसीजे से चुनकर आईं हैं. कम सीट संख्या होने के बावजूद ढाई साल पहले हुए नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस और भाजपा की क्रास वोटिंग के चलते जेसीसीजे की अध्यक्ष ने यहां पर चुनाव जीता था.


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ऐसे मिली राहत: मुंगेली कलेक्टर राहुल देव ने भाजपा पार्षदों की शिकायत पर बिना जांच और नगर पंचायत अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला को सुनवाई का अवसर दिए बगैर ही 24 अगस्त को अविश्वास प्रस्ताव के लिए बैठक बुलाने का आदेश जारी कर दिया था. कलेक्टर के इस आदेश को चुनौती देते हुए वर्तमान अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला ने अपने वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी. इसमें बताया गया कि अगर याचिकाकर्ता के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत है, तो उसकी जांच होनी चाहिए. किसी भी तरह से दोषी पाए जाने पर वैधानिक कार्रवाई की जानी चाहिए. लेकिन इस मामले में राजनीतिक षडयंत्र के तहत अविश्वास प्रस्ताव बुलाने के लिए बिना तथ्यों के आरोप लगने पर कलेक्टर को तथ्यों की जांच करनी चाहिए थी. लेकिन कलेक्टर द्वारा भाजपा पार्षदों की शिकायतों पर सीधे अविश्वास प्रस्ताव की बैठक बुलाना गलत है.



हाई कोर्ट ने 4 सप्ताह की दी अंतरिम राहत: नगर पंचायत अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला के वकील ने इस पूरे मामले को राजनीतिक षडयंत्र बताते हुए अंतरिम राहत की मांग की थी. वही मुंगेली कलेक्टर के आदेश पर रोक लगाने का भी आग्रह किया था. सभी पक्षों को सुनने के बाद बिलासपुर हाई कोर्ट के जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल ने अंतरिम राहत देते हुए कलेक्टर के आदेश पर रोक लगा दिया है. साथ ही कलेक्टर सहित अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.

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