मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: कहा जाता है कि जेल वो जगह होती है जहां जाकर अपराधी को न सिर्फ अपने किए गुनाह का पछतावा होता है बल्कि जेल में उसे सुधरने का भी मौका मिलता है. लेकिन कुछ अपराधी ऐसे होते हैं जिनका पेशा और धर्म दोनों ही सिर्फ और सिर्फ अपराध करना होता है. बैकुंठपुर पुलिस ने ऐसे ही एक पेशेवर अपराधी को गिरफ्तार किया है जो पुलिस की एफआईआर में न सिर्फ आदतन अपराधी है बल्कि गवाह को कट्टे की नोक पर धमकाने का जुर्म भी माथे पर लिए घूम रहा था.
गिरफ्त में आया गुंडा: बैकुंठपुर पुलिस ने एक ऐसे आदतन अपराधी को मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ से गिरफ्तार किया है, जो पुलिस की रिपोर्ट में लंबे वक्त से न सिर्फ जिला बदर था बल्कि कई संगीन अपराधों का मास्टरमाइंड भी था. पकड़े गए अपराधी संजय अग्रवाल के गुनाहों की फेहरिश्त इतनी लंबी है कि पुलिस भी एक बार चक्कर खा जाए, क्योंकि संजय ने अपराध सिर्फ एक थाना क्षेत्र के भीतर नहीं किया बल्कि शहर के कई थाना इलाकों में उसने वारदातों को अंजाम दिया था. गवाह को धमकाने से लेकर मारपीट करने और लोगों को डराने तक का मामला उसपर दर्ज है. अपराधी के संगीन चरित्र को देखते हुए ही कोरिया जिला दंडाधिकारी ने उसे जिला बदर किए जाने का आदेश भी जारी किया था. थाने में दर्ज रिपोर्ट की मानें तो संजय अग्रवाल ने एट्रोसिटी एक्ट के आरोपी को कानून के चंगुल से छुड़ाने के लिए गवाह तक को पिस्टल की नोक पर पहले तो धमकाया, फिर उसका अपहरण कर उससे जबरन बिलासपुर हाईकोर्ट में ये शपथ पत्र दिलवाया, जिसमें लिखा था एट्रोसिटी एक्ट में बंद सीमा अग्रवाल की जमानत से उसे कोई आपत्ति नहीं है.
हवालात जाते ही निकली हेकड़ी: कट्टे की नोट पर धमकी दिए जाने और अपहरण की खबर मिलने के बाद पुलिस ने अपराधी का पूरा बैकग्राउंड खंगाला तो पता चला कि अरोपी ने अपहरण की वारदात को अकेले अंजाम नहीं दिया है बल्कि उसके गुनाह में उसका एक साथी भी साथ रहा है. पुलिस ने पहले तो संजय अग्रवाल के साथी को गिरफ्तार किया फिर मुखबिर की सूचना पर मास्टरमाइंड संजय अग्रवाल को मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ से गिरफ्तार किया. पकड़े गए आरोपी को पुलिस ने न्यायिक रिमांड पर कोर्ट में पेश कर दिया है.
सलाखों में पहुंचा शातिर: कहते हैं अपराधी चाहे कितना भी शातिर क्यों न हो अपने गुनाह के निशान वो कहीं न कहीं जरूर छोड़ जाता है. कुछ ऐसा ही जिला बदर अपराधी संजय अग्रवाल के साथ भी हुआ. अपराधी संजय ने टीकमगढ़ को अपने छिपने का ठिकाना इस उम्मीद में बनाया था कि वो कभी भी कोरिया पुलिस की नजरों में नहीं आएगा. लेकिन मोबाइल और मुखबिर ने उसका लोकेशन ढूंढ निकाला और अब वो सलाखों के पीछे है.