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Bharatpur Dilapidated Primary School : भरतपुर में कायाकल्प को तरस रहा है प्राथमिक स्कूल, किराए के भवन में हो रही बच्चों की पढ़ाई

Bharatpur Dilapidated Primary School मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले के सोनहत में प्राथमिक स्कूल किराए के भवन में संचालित हो रहा है,क्योंकि स्कूल की हालत जर्जर है. प्रदेश में आचार संहिता लगने के कारण स्कूल के रिपेयर का काम नहीं हो सकता,लेकिन हैरानी इस बात की है जिस जगह का ये स्कूल है वहां के जनप्रतिनिधि विकास के दावे करने में जरा भी नहीं चूकते.कई बार उनके पास स्कूल को लेकर जानकारी दी गई.लेकिन स्कूल को लेकर किसी ने भी दिलचस्पी नहीं दिखाई.Primary school yearning for rejuvenation

Bharatpur  Dilapidated Primary School
भरतपुर में कायाकल्प को तरस रहा है प्राथमिक स्कूल
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 12, 2023, 4:34 PM IST

Updated : Oct 12, 2023, 10:41 PM IST

भरतपुर में स्कूल की हालत जर्जर

मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : छत्तीसगढ़ में सरकार ने आत्मानंद स्कूलों के जरिए शिक्षा व्यवस्था को सुधारने का बीड़ा उठाया.जिसके तहत कई जिलों के अंदर आत्मानंद स्कूलों की स्थापना की गई. इन स्कूलों में अंग्रेजी शिक्षा के साथ-साथ हिंदी में भी शिक्षकों की व्यवस्था की गई.बच्चों को 12वीं तक नि:शुल्क उच्च स्तर की शिक्षा इन स्कूलों के जरिए दी जाती है.बावजूद इसके प्रदेश के कुछ जिलों में सरकारी स्कूलों की हालत बद से बदतर है.ताजा मामला मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले का है.जहां के भरतपुर सोनहत मुख्तियार पारा सरकारी स्कूल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है.

प्राथमिक स्कूल का बुरा हाल : चुनाव से पहले सरकार और जनप्रतिनिधि पूरे प्रदेश में विकास की गंगा बहाने की बात कह रही है. लेकिन भरतपुर सोनहत विधानसभा क्षेत्र के मुख्तियार पारा गांव की तस्वीरें कुछ और ही बयां कर रही है.इस गांव में ग्रामीण बच्चों को शिक्षित करने के लिए प्राथमिक शाला का संचालन होता है.लेकिन इसे बच्चों की बदनसीबी ही कहेंगे कि ये स्कूल एक निजी भवन में संचालित है.जहां बच्चों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.


खतरनाक स्कूल में कैसे हो पढ़ाई ? : मुख्तियार पारा में संचालित प्राथमिक विद्यालय में कक्षा एक से लेकर पांचवीं तक का क्लास संचालित है. जिसमें लगभग पैंतालीस छात्र छात्राएं पढ़ाई करते हैं.लेकिन स्कूल की हालत काफी खराब है. इस स्कूल में पढ़ने वाले छात्र ने बताया कि स्कूल की दीवारें और छत जर्जर हो चुके हैं.जिसकी वजह से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. इसलिए बच्चे किराए के स्कूल के बरामदे में पढ़ाई करते हैं.

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जनप्रतिनिधियों की उदासीनता आई सामने : मुख्तियार पारा की उप सरपंच मालती सिंह के मुताबिक चार साल से प्राथमिक शाला का भवन जर्जर और दयनीय स्थिति में है.जिसकी वजह से एक व्यक्ति के निजी भवन में स्कूल का संचालन किया जा रहा है.इसे लेकर जिले के अधिकारी से लेकर स्थानीय विधायक गुलाब कमरो को जानकारी दी गई.लेकिन प्राथमिक शाला के लिए नए भवन का निर्माण नहीं कराया जा सका है. लिहाजा बच्चे बरामदे में पढ़ रहे हैं.


स्कूल भवन की हालत है खस्ता : स्कूल के प्रभारी प्रधानपाठक नंदकुमार साय के मुताबिक स्कूल भवन की हालत इतनी खराब है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. इसलिए चार साल से एक निजी भवन के बरामदे में स्कूल का संचालन हो रहा है.

'' यहां पानी बिजली और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा का आभाव है. शासकीय भवन नहीं होनें की मजबूरी में हमें इस विद्यालय को संचालित करना पड़ रहा है.'' नंदकुमार साय, प्रभारी प्रधानपाठक

प्रधानपाठक नंदकुमार साय के मुताबिक नवीन भवन को लेकर कई बार उच्चाधिकारियों जनप्रतिनिधियों को आवेदन के माध्यम से मांग की गई. लेकिन आज तक शासन ने नए भवन को लेकर कोई कदम नहीं उठाया.

सरकार के दावों पर उठे सवाल : सरकार के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि गुलाब कमरों हर जगह विकास की दावे करते हैं.लेकिन उनके विधानसभा में ही प्राथमिक शाला का बुरा हाल है.बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा को लेकर किसी को भी चिंता नहीं है.उसी का परिणाम है कि आत्मानंद विद्यालय का दंब भरने वाली सरकार के पास इतने पैसे नहीं है कि एक छोटे से स्कूल का उन्नयन किया जा सके.

भरतपुर में स्कूल की हालत जर्जर

मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : छत्तीसगढ़ में सरकार ने आत्मानंद स्कूलों के जरिए शिक्षा व्यवस्था को सुधारने का बीड़ा उठाया.जिसके तहत कई जिलों के अंदर आत्मानंद स्कूलों की स्थापना की गई. इन स्कूलों में अंग्रेजी शिक्षा के साथ-साथ हिंदी में भी शिक्षकों की व्यवस्था की गई.बच्चों को 12वीं तक नि:शुल्क उच्च स्तर की शिक्षा इन स्कूलों के जरिए दी जाती है.बावजूद इसके प्रदेश के कुछ जिलों में सरकारी स्कूलों की हालत बद से बदतर है.ताजा मामला मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले का है.जहां के भरतपुर सोनहत मुख्तियार पारा सरकारी स्कूल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है.

प्राथमिक स्कूल का बुरा हाल : चुनाव से पहले सरकार और जनप्रतिनिधि पूरे प्रदेश में विकास की गंगा बहाने की बात कह रही है. लेकिन भरतपुर सोनहत विधानसभा क्षेत्र के मुख्तियार पारा गांव की तस्वीरें कुछ और ही बयां कर रही है.इस गांव में ग्रामीण बच्चों को शिक्षित करने के लिए प्राथमिक शाला का संचालन होता है.लेकिन इसे बच्चों की बदनसीबी ही कहेंगे कि ये स्कूल एक निजी भवन में संचालित है.जहां बच्चों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.


खतरनाक स्कूल में कैसे हो पढ़ाई ? : मुख्तियार पारा में संचालित प्राथमिक विद्यालय में कक्षा एक से लेकर पांचवीं तक का क्लास संचालित है. जिसमें लगभग पैंतालीस छात्र छात्राएं पढ़ाई करते हैं.लेकिन स्कूल की हालत काफी खराब है. इस स्कूल में पढ़ने वाले छात्र ने बताया कि स्कूल की दीवारें और छत जर्जर हो चुके हैं.जिसकी वजह से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. इसलिए बच्चे किराए के स्कूल के बरामदे में पढ़ाई करते हैं.

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जनप्रतिनिधियों की उदासीनता आई सामने : मुख्तियार पारा की उप सरपंच मालती सिंह के मुताबिक चार साल से प्राथमिक शाला का भवन जर्जर और दयनीय स्थिति में है.जिसकी वजह से एक व्यक्ति के निजी भवन में स्कूल का संचालन किया जा रहा है.इसे लेकर जिले के अधिकारी से लेकर स्थानीय विधायक गुलाब कमरो को जानकारी दी गई.लेकिन प्राथमिक शाला के लिए नए भवन का निर्माण नहीं कराया जा सका है. लिहाजा बच्चे बरामदे में पढ़ रहे हैं.


स्कूल भवन की हालत है खस्ता : स्कूल के प्रभारी प्रधानपाठक नंदकुमार साय के मुताबिक स्कूल भवन की हालत इतनी खराब है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. इसलिए चार साल से एक निजी भवन के बरामदे में स्कूल का संचालन हो रहा है.

'' यहां पानी बिजली और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा का आभाव है. शासकीय भवन नहीं होनें की मजबूरी में हमें इस विद्यालय को संचालित करना पड़ रहा है.'' नंदकुमार साय, प्रभारी प्रधानपाठक

प्रधानपाठक नंदकुमार साय के मुताबिक नवीन भवन को लेकर कई बार उच्चाधिकारियों जनप्रतिनिधियों को आवेदन के माध्यम से मांग की गई. लेकिन आज तक शासन ने नए भवन को लेकर कोई कदम नहीं उठाया.

सरकार के दावों पर उठे सवाल : सरकार के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि गुलाब कमरों हर जगह विकास की दावे करते हैं.लेकिन उनके विधानसभा में ही प्राथमिक शाला का बुरा हाल है.बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा को लेकर किसी को भी चिंता नहीं है.उसी का परिणाम है कि आत्मानंद विद्यालय का दंब भरने वाली सरकार के पास इतने पैसे नहीं है कि एक छोटे से स्कूल का उन्नयन किया जा सके.

Last Updated : Oct 12, 2023, 10:41 PM IST
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