एमसीबी: साल्ही गांव में पहाड़ और जंगलों से घिरा कर्मघोंघेश्वर धाम मंदिर लोक आस्था का केंद्र है. प्राकृतिक सुंदरता के बीच भक्तजन यहां भगवान भोलेनाथ के दर्शन पूजन के लिए दूर दूर से पहुंचते हैं. सावन के महीने में यहां भक्तों का तांता लगा है. आसपास के जिलों से लोग प्रकृति की खूबसूरती निहारने और अपने आराध्य बाबा भोलेनाथ को जल चढ़ाने के लिए पहुंच रहे हैं. लोगों की आस्था और दर्शन करने वालों की दिनों दिन बढ़ती संख्या को देखते हुए अब यहां श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं में भी इजाफा किया जा रहा है.
ऊंचे पहाड़ों से गिरकर झरने का रूप लेती है हसिया नदी: कर्मघोंघेश्वर धाम मंदिर जहां लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, वहीं यहां स्थापित भगवान शंकर की मूर्ति भी लोगों का ध्यान खींचती है. यहां स्थापित भागवान शंकर को कर्मघोंघेश्वर महादेव के नाम से आस्तावान पूजते हैं. सावन में भक्त दूर दूर से भगवान शिव के दर्शन करने यहां आते हैं. यह क्षेत्र चारों ओर से ऊंचे ऊंचे पहाड़ों और घने पेड़ों से घिरा हुआ है. हसिया नदी यहां ऊंचे पहाड़ों से गिरकर खूबसूरत झरने का रूप लेती है. इस झरने की सुंदरता निहारने के लिए भी लोग यहां खिंचे चले आते हैं.
अब मंदिर तक बन गई है सड़क: पहले मंदिर के लिए पहुंचना दुरूह था. रास्ते ऊबड़ खाबड़ थे और गाड़ियों को दूर ही रोकना पड़ता था. लेकिन अब सड़क बन जाने से गाड़ियां मंदिर तक पहुंच रहीं हैं. यह क्षेत्र भरतपुर विधानसभा में आता है. विधायक गुलाब कमरो की ओर से सड़क से लेकर अन्य सुविधा बढ़ाने का काम कराया जा रहा है.
कर्मघोंघेश्वर धाम की महिमा अपरंपार है. यह क्षेत्र चारों ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ है. पहले यहां आने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. लेकिन अब सड़क के साथ ही पुल और पुलियों का निर्माण होने से यहां दर्शन पूजन के लिए लोग आसानी से पहुंचने लगे हैं. -डॉ विनय शंकर सिंह, जनपद अध्यक्ष, मनेंद्रगढ़
मैं जब 6वीं पढ़ता था, तब से यहां भोलेनाथ की सेवा कर रहा हूं. जब से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी है, तब से यहां लगातार विकास कार्य किए जा रहे हैं. आज हम लोगों ने भगवान भोलेनाथ का दर्शन पूजन किया है. -गुलाब कमरो, विधायक, भरतपुर
कर्मघोंघेश्वर धाम मंदिर का निर्माण 1987 में हुआ था, लेकिन मुश्किल रास्तों की वजह के कम लोग ही यहां पहुंचते थे. इस दुर्गम स्थान पर सुविधाएं बढ़ने और सड़क बन जाने से यहां पहुंचना अब आसान हो गया है. यही वजह है कि सावन के महीने में यहां बाबा भोलेनाथ को जल चढ़ाने वालों का भी तांता लगा हुआ है.