मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: भले ही एक नवंबर से प्रदेश सरकार ने छत्तीसगढ़ में धान तिहार की शुरुआत कर दी हो. लेकिन इन दिनों किसान अजीब कश्मकश में जी रहे हैं. यही कारण है कि वो धान खरीदी केन्द्र में धान बेचने नहीं पहुंचे हैं. एमसीबी जिला मुख्यालय से एक सौ दस किलोमीटर दूर वनांचल क्षेत्र ग्राम पंचायत जनकपुर के किसान भी धान काटने में ज्यादा रुचि नहीं ले रहे. इन किसानों को नए सरकार का इंतजार है.
किसानों को नई सरकार का इंतजार: दरअसल, हाल ही छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव संपन्न हुआ है. चुनाव से पहले दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों (बीजेपी और कांग्रेस) ने धान खरीदी को लेकर घोषणाएं की थी. ऐसे में छत्तीसगढ़ के किसान मतगणना का इंतजार कर रहे हैं. ये नई सरकार बनने के बाद ही धान खरीदी केन्द्र पहुंच धान की बिक्री करने की फिराक में हैं. ये किसान सरकार बनने के बाद ही धान की बिक्री करेंगे.
क्या कहते हैं किसान: ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान किसानों ने कहा कि वे नई सरकार के आने का इंतजार कर रहे हैं. बातचीत के दौरान किसान राकेश सोनी ने कहा, "अभी धान की फसल कम हुई है. बरसात के कारण 20 प्रतिशत से 25 प्रतिशत कमी है. हम तीन तारीख का इंतजार कर रहे हैं. नई सरकार किसकी बनती है? ये देखने के बाद ही हम कुछ तय करेंगे." वहीं, किसान गणेश प्रताप सिंह ने कहा कि, "अभी चुनावी माहौल था. इसलिए हम लोग धान नहीं काट पाए." इसके अलावा एक महिला किसान पार्वती ने कहा कि, "इस साल पानी नहीं गिरा तो धान नहीं है. अभी तो कटाई चल रही है. तीन दिसंबर के बाद धान बेचेंगे."
चुनाव के कारण हो रही देरी: इस बारे में जिला धान खरीदी केन्द्र के समिति प्रबंधक रोशन श्रीवास्तव ने बताया कि, "धान खरीदी केन्द्रों में सारी तैयारियां कर ली गई है. हम पूरी तरह से तैयार हैं. हालांकि किसान टोकन के लिए नहीं आ रहे हैं. समिति में इस ख्याल से खरीदी भी शुरू नहीं हुई है. कुछ किसानों कहते हैं कि हमारे यहां धान की कटाई नहीं हुई है. कुछ किसानों को चुनाव के कारण लेट होने की बात कह रहे हैं. हालांकि हमारी ओर से तैयारी पूरी है. "
कांग्रेस और बीजेपी का वादा: धान खरीदी को लेकर कांग्रेस ने 3,200 रुपये की दर से 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी का वादा किया है. वहीं, भाजपा ने 3,100 रुपये की दर से 21 क्विंटल धान खरीदी की घोषणा की है. इसके साथ ही बीजेपी ने दो साल का बोनस देने का भी वादा किया है. यही कारण है कि अब छत्तीसगढ़ के किसान नफा-नुकसान को देखते हुए नए सरकार का इंतजार कर रहे हैं.
ऐसे में साफ है कि किसानों को भी अब 3 दिसंबर का इंतजार है. इसके बाद ही अधिकतर किसान धान खरीदी केन्द्र में पहुंच कर धान की बिक्री करेंगे.