मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : आंवला एक गुणकारी औषधि के तौर पर जाना जाता है.लेकिन इसके पेड़ की धार्मिक मान्यता भी है.ऐसी मान्यता है कि इस पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है.इसलिए अक्षय नवमी के दिन आंवला के पेड़ की पूजा की जाती है.आंवला नवमी का पर्व संतान प्राप्ति के साथ सुख और सौभाग्य के लिए किया जाता है.कई महिलाएं इस दिन उपवास रखकर आंवला की पेड़ की पूजा करती हैं.
क्या है धार्मिक मान्यता ? : धार्मिक मान्यता है कि अक्षय नवमी पर मां लक्ष्मी ने पृथ्वी लोक पर भगवान विष्णु और शिव की पूजा आंवले के रूप में की थी. इसी पेड़ के नीचे बैठकर भोजन ग्रहण किया था. ये भी कहा जाता है कि आंवले के पेड़ के नीचे श्रीहरि विष्णु के दामोदर स्वरूप की पूजा की जाती है.ऐसा भी माना जाता है कि कार्तिक मास के कृष्ण शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान विष्णु आंवला के पेड़ पर निवास करते हैं. इसलिए इस दिन महिलाएं आंवला वृक्ष की पूजा कर पुत्र रत्न प्राप्ति के साथ-साथ सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं.
108 परिक्रमा करके मांगी इच्छा : मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में भी महिलाओं ने अक्षय नवमी का पर्व मनाया. इसके बाद आंवला पेड़ के नीचे बैठकर पूजा-अर्चना की. महिलाओं ने आंवला के पेड़ में रोली बांधी और हल्दी,रोली और कच्चा दूध अर्पण किया. इसके बाद सिंदूर, चंदन से तिलक कर श्रृंगार का सामान चढ़ाया.इस अवसर पर महिलाएं सामूहिक पूजन, वृक्ष परिक्रमा समेत अन्य धार्मिक कार्यक्रम श्रद्धापूर्वक करती हैं. महिलाएं आंवला वृक्ष की 108 परिक्रमा लगाकर पूजा करती हैं.
पाप नाशक अक्षय नवमी की पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी के रूप में भी की जाती है. इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है. परिवार की सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं आंवला नवमी पर आंवला वृक्ष की परिक्रमा कर पूजा-अर्चना करती हैं. आंवला वृक्ष के नीचे पकवानों का भोग लगाया जाता है. इसके बाद उन्हीं पकवानों से व्रती महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं. आंवला नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है.