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SPECIAL: छात्रों के लिए लाउस्पीकर बना वरदान, बच्चों को बिना नेटवर्क मिल रहा ज्ञान

देश समेत छत्तीसगढ़ में भी कोविड-19 के कारण स्कूल कई महीनों से बंद पड़े हैं, जिससे छात्रों की पढ़ाई नहीं हो पा रही. ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार ने पढ़ई तुंहर दुआर स्कीम लॉन्च की, लेकिन ग्रामीण अंचलों में मोबाइल और नेटवर्क नहीं होने के कारण ये फेल साबित हुई है, लेकिन इसी बीच शिक्षकों ने बच्चों को लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाना शुरू कर दिया, जो उनके लिए वरदान साबित हो रही है.

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महासमुंद में लाउस्पीकर से हो रही पढ़ाई
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Published : Aug 14, 2020, 12:24 PM IST

महासमुंद: छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस के कारण स्कूल, कॉलेज लंबे समय से बंद पड़े हैं, जिससे छात्रों को पढ़ाई करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार ने इस परेशानी को देखते हुए ऑनलाइन क्लासेज़ 'पढ़ई तुंहर दुआर' योजना की शुरुआत की, लेकिन ग्रामीण अंचलों में ये योजना फ्लॉप साबित हुई है. 'पढ़ई तुंहर दुआर' योजना गांवों में बिना मोबाइल और नेटवर्क के हांफ रही है, जिससे बच्चों की पढ़ाई अधर में लटकी हुई थी. पढ़ाई से वंचित हो रहे छात्र-छात्राओं को देखकर शिक्षकों को लाउडस्पीकर से पढ़ाने का आइडिया आया. अब महासमुंद जिले के बागबाहरा ब्लॉक में बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लाउडस्पीकर से पढ़ रहे हैं. ये तरीका उनके लिए वरदान साबित हो रहा है.

लाउडस्पीकर के जरिए पढ़ाई

जिले में कुल 1 हजार 957 स्कूल संचालित है, जिसमें प्राथमिक शाला, हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल शामिल हैं. स्कूलों में लगभग 1 लाख 65 हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. करोना महामारी के कारण मार्च 2020 से सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया, जिससे बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. जिस पर संज्ञान लेते हुए राज्य शासन ने पढ़ई तुंहर दुआर स्कीम लॉन्च की, जिसके तहत शिक्षक बच्चों को ऑनलाइन, गली-मोहल्लों में बने रंगमंच, सामुदायिक भवन में जाकर पढ़ाई करा रहे हैं. बच्चों को मास्क पहनाकर, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाते हुए पढ़ाया जा रहा है. बच्चों को सैनिटाइजर और साबुन से हैंडवॉश भी कराया जा रहा है. वहीं जहां यह सुविधा नहीं है, वहां शिक्षक गांव के चौक-चौराहों पर लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ा रहे हैं.

Children studying in Mahasamund
महासमुंद में पढ़ाई करते बच्चे

85,000 छात्र-छात्राओं को मिल रहा पढ़ई तुंहर दुआर योजना का लाभ

महासमुंद जिले के 1 हजार 957 स्कूलों में से 1 हजार 901 स्कूलों में पढ़ई तुंहर दुआर योजना के तहत पढ़ाई हो रही है. लगभग 85,000 छात्र-छात्राएं इसका लाभ ले रहे हैं. कोमाखान शासकीय उच्चतर प्राथमिक शाला के शिक्षक विजय शर्मा ने बताया कि चार स्कूलों के कक्षा 1 से 8 तक के 220 छात्रों को 1 एंपलीफायर और 4 लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है. ग्राम पंचायत कोमाखान, लुकू पाली, घोएना बहार के छात्र शिक्षक के गांव आने पर अपने-अपने घरों के बाहर निकलकर बैठ जाते हैं. शिक्षक विजय शर्मा अनोखे अंदाज से बच्चों को पढ़ाते हैं. वहीं खरोरा प्राथमिक और मिडिल स्कूल के बच्चों ने बताया कि वह रंगमंच पर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. अभिभावकों ने बताया कि राज्य सरकार की पहल बहुत अच्छी है, इससे बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से चलती रहेगी.

Studying with social distancing
सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कर रहे पढ़ाई

सरकार की योजना को कारगर बता रहे लोग

मामले में संकुल समन्वयक एवं जिला शिक्षा अधिकारी भी इस स्कीम को बच्चों के लिए हितकर बता रहे हैं. गौरतलब है कि लॉकडाउन के तहत स्कूल बंद हो जाने के कारण शिक्षक और बच्चे दोनों पढ़ाई को लेकर परेशान थे. ऐसे में राज्य शासन की पढ़ई तुंहर दुआर स्कीम बच्चों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.

Studying through loudspeaker due to network problem in rural areas of Mahasamund
बच्चे लाउडस्पीकर के माध्यम से कर रहे पढ़ाई

महासमुंद: छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस के कारण स्कूल, कॉलेज लंबे समय से बंद पड़े हैं, जिससे छात्रों को पढ़ाई करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार ने इस परेशानी को देखते हुए ऑनलाइन क्लासेज़ 'पढ़ई तुंहर दुआर' योजना की शुरुआत की, लेकिन ग्रामीण अंचलों में ये योजना फ्लॉप साबित हुई है. 'पढ़ई तुंहर दुआर' योजना गांवों में बिना मोबाइल और नेटवर्क के हांफ रही है, जिससे बच्चों की पढ़ाई अधर में लटकी हुई थी. पढ़ाई से वंचित हो रहे छात्र-छात्राओं को देखकर शिक्षकों को लाउडस्पीकर से पढ़ाने का आइडिया आया. अब महासमुंद जिले के बागबाहरा ब्लॉक में बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लाउडस्पीकर से पढ़ रहे हैं. ये तरीका उनके लिए वरदान साबित हो रहा है.

लाउडस्पीकर के जरिए पढ़ाई

जिले में कुल 1 हजार 957 स्कूल संचालित है, जिसमें प्राथमिक शाला, हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल शामिल हैं. स्कूलों में लगभग 1 लाख 65 हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. करोना महामारी के कारण मार्च 2020 से सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया, जिससे बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. जिस पर संज्ञान लेते हुए राज्य शासन ने पढ़ई तुंहर दुआर स्कीम लॉन्च की, जिसके तहत शिक्षक बच्चों को ऑनलाइन, गली-मोहल्लों में बने रंगमंच, सामुदायिक भवन में जाकर पढ़ाई करा रहे हैं. बच्चों को मास्क पहनाकर, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाते हुए पढ़ाया जा रहा है. बच्चों को सैनिटाइजर और साबुन से हैंडवॉश भी कराया जा रहा है. वहीं जहां यह सुविधा नहीं है, वहां शिक्षक गांव के चौक-चौराहों पर लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ा रहे हैं.

Children studying in Mahasamund
महासमुंद में पढ़ाई करते बच्चे

85,000 छात्र-छात्राओं को मिल रहा पढ़ई तुंहर दुआर योजना का लाभ

महासमुंद जिले के 1 हजार 957 स्कूलों में से 1 हजार 901 स्कूलों में पढ़ई तुंहर दुआर योजना के तहत पढ़ाई हो रही है. लगभग 85,000 छात्र-छात्राएं इसका लाभ ले रहे हैं. कोमाखान शासकीय उच्चतर प्राथमिक शाला के शिक्षक विजय शर्मा ने बताया कि चार स्कूलों के कक्षा 1 से 8 तक के 220 छात्रों को 1 एंपलीफायर और 4 लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है. ग्राम पंचायत कोमाखान, लुकू पाली, घोएना बहार के छात्र शिक्षक के गांव आने पर अपने-अपने घरों के बाहर निकलकर बैठ जाते हैं. शिक्षक विजय शर्मा अनोखे अंदाज से बच्चों को पढ़ाते हैं. वहीं खरोरा प्राथमिक और मिडिल स्कूल के बच्चों ने बताया कि वह रंगमंच पर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. अभिभावकों ने बताया कि राज्य सरकार की पहल बहुत अच्छी है, इससे बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से चलती रहेगी.

Studying with social distancing
सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कर रहे पढ़ाई

सरकार की योजना को कारगर बता रहे लोग

मामले में संकुल समन्वयक एवं जिला शिक्षा अधिकारी भी इस स्कीम को बच्चों के लिए हितकर बता रहे हैं. गौरतलब है कि लॉकडाउन के तहत स्कूल बंद हो जाने के कारण शिक्षक और बच्चे दोनों पढ़ाई को लेकर परेशान थे. ऐसे में राज्य शासन की पढ़ई तुंहर दुआर स्कीम बच्चों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.

Studying through loudspeaker due to network problem in rural areas of Mahasamund
बच्चे लाउडस्पीकर के माध्यम से कर रहे पढ़ाई
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