ETV Bharat / state

राष्ट्रगान से होती है यहां के लोगों की सुबह, बहुत 'स्मार्ट' हैं छत्तीसगढ़ के ये गांव

कहानी छत्तीसगढ़ के उस गांव की जो आदर्श गांव की कसौटी पर खरा उतरता है.

author img

By

Published : May 29, 2019, 12:07 AM IST

Updated : May 29, 2019, 4:33 PM IST

डिजाइन इमेज

महासमुंद: छत्तीसगढ़ के महासमुंद में मौजूद हैं आइडल वेलेज सपोस और गबौद्ध इन गांव में एक दो नहीं बल्कि कई खूबियों की भरमार है. एक तरह से कहें तो यह गांव मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के गांव महाराष्ट्र के रालेगण सिद्धि को भी चुनौती देता नजर आता है.

स्टोरी पैकेज


राष्ट्रगान से होती है सुबह की शुरुआत
इस गांव में रहने वाले लोगों के दिन की शुरुआत राष्ट्रगान से होती है. किसी शहर या गांव में घूमने के दौरान आप को जहां-तहां शराब के नशे में चूर, तम्बाकू की पिचकारी मारते और सिगरेट के धुएं का छल्ला उड़ाते लोग भले ही मिल जाएं लेकिन सपोस और गबौद्ध गांव में मजाल है कोई शख्स आपको नशा करते दिख जाए. इसके पीछे वजह यह है कि यहां नशे का सामान बेचने वालों पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाता है.


बेटी के जन्म लेने पर मिलता है खास तोहफा
गांव में घूमने के दौरान दो चीज कॉमन रहती है पहली गलियों पर कूड़ा और दूसरी छत के ऊपर बिजली की तारों का जत्था. लेकिन इस गांव में इन दोनों का नामों निशान नहीं है. पूरा गांव सीसीटीवी की जद में है. गांव के हर घर में शौचालय और डस्टबिन मिल जाएंगे. गांव में बेटी के जन्म लेने पर ग्राम पंचायत की ओर से उनके नाम से खाता खुलवाकर उसमें पांच हजार रुपये जमा कराए जाते हैं. गांव का पूरा काम डिजिटली होता है.


उपसरपंच ने किया कायाकल्प
ये सब गांव के उपसरपंच किशोर चंद बघेल की वजह से मुमकिन हो पाया. किशोर चंद बघेल ने 1995 से 2012 तक भारतीय सेना में सेवा दी और रिटायरमेंट के बाद सेवा का संकल्प लेकर वापस गांव पहुंचे. इसके बाद उन्होंने गांववालों की बैठक एकता और अनुशासन की बात रखी और 15 अगस्त से पहले पूरे में 20 लाउडस्पीकर लगाए गए. गांव के स्कूल को सूचना केंद्र बनाया गया और यहीं से हर रोज सुबह राष्ट्रगान की सूचना दी जाती है और इसके बाद सात बजकर चालीस मिनट पर पूरा गांव अपने घर के सामने खड़ा होकर राष्ट्रगान गाता है.


तारीफ करते नहीं थकते पर्यटक
नेहरू युवा केंद्र के तहत गांव में मुल्क के अलग-अलग सूबों से आए युवक युवतियां भी इस गांव की तारीफ करते नहीं थकते. यहां पंचायत में काम कराने पर न तो कोई कमीशन मांगता और न ही किसी को काम की स्वीकृत के लिए कमीशन देना पड़ता है. कुल मिलाकर हमारी पड़ताल में सपोस और गबौद्ध आदर्श ग्राम की कटौती में खरे उतरे हैं.

महासमुंद: छत्तीसगढ़ के महासमुंद में मौजूद हैं आइडल वेलेज सपोस और गबौद्ध इन गांव में एक दो नहीं बल्कि कई खूबियों की भरमार है. एक तरह से कहें तो यह गांव मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के गांव महाराष्ट्र के रालेगण सिद्धि को भी चुनौती देता नजर आता है.

स्टोरी पैकेज


राष्ट्रगान से होती है सुबह की शुरुआत
इस गांव में रहने वाले लोगों के दिन की शुरुआत राष्ट्रगान से होती है. किसी शहर या गांव में घूमने के दौरान आप को जहां-तहां शराब के नशे में चूर, तम्बाकू की पिचकारी मारते और सिगरेट के धुएं का छल्ला उड़ाते लोग भले ही मिल जाएं लेकिन सपोस और गबौद्ध गांव में मजाल है कोई शख्स आपको नशा करते दिख जाए. इसके पीछे वजह यह है कि यहां नशे का सामान बेचने वालों पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाता है.


बेटी के जन्म लेने पर मिलता है खास तोहफा
गांव में घूमने के दौरान दो चीज कॉमन रहती है पहली गलियों पर कूड़ा और दूसरी छत के ऊपर बिजली की तारों का जत्था. लेकिन इस गांव में इन दोनों का नामों निशान नहीं है. पूरा गांव सीसीटीवी की जद में है. गांव के हर घर में शौचालय और डस्टबिन मिल जाएंगे. गांव में बेटी के जन्म लेने पर ग्राम पंचायत की ओर से उनके नाम से खाता खुलवाकर उसमें पांच हजार रुपये जमा कराए जाते हैं. गांव का पूरा काम डिजिटली होता है.


उपसरपंच ने किया कायाकल्प
ये सब गांव के उपसरपंच किशोर चंद बघेल की वजह से मुमकिन हो पाया. किशोर चंद बघेल ने 1995 से 2012 तक भारतीय सेना में सेवा दी और रिटायरमेंट के बाद सेवा का संकल्प लेकर वापस गांव पहुंचे. इसके बाद उन्होंने गांववालों की बैठक एकता और अनुशासन की बात रखी और 15 अगस्त से पहले पूरे में 20 लाउडस्पीकर लगाए गए. गांव के स्कूल को सूचना केंद्र बनाया गया और यहीं से हर रोज सुबह राष्ट्रगान की सूचना दी जाती है और इसके बाद सात बजकर चालीस मिनट पर पूरा गांव अपने घर के सामने खड़ा होकर राष्ट्रगान गाता है.


तारीफ करते नहीं थकते पर्यटक
नेहरू युवा केंद्र के तहत गांव में मुल्क के अलग-अलग सूबों से आए युवक युवतियां भी इस गांव की तारीफ करते नहीं थकते. यहां पंचायत में काम कराने पर न तो कोई कमीशन मांगता और न ही किसी को काम की स्वीकृत के लिए कमीशन देना पड़ता है. कुल मिलाकर हमारी पड़ताल में सपोस और गबौद्ध आदर्श ग्राम की कटौती में खरे उतरे हैं.

Intro:


Body:19/05/2019_cg_mhd_kachde_se_bana_ghar_ke_sajawat_ka_saman


Conclusion:
Last Updated : May 29, 2019, 4:33 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.