महासमुंद: छत्तीसगढ़ के एतिहासिक पर्यटन और पुरातात्विक स्थलों में महासमुंद स्थित सिरपुर का सबसे सर्वोच्च स्थान है. पुरातात्विक नगरी सिरपुर में शिल्पकारी का अद्भुत नमूना देखने को मिलता है. राजधानी रायपुर से 63 किलोमीटर दूर, सिरपुर में खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध की प्रतिमा, जैन धर्म के प्रमाण के अलावा लक्ष्मण मंदिर, व्यापार केंद्र आदि के अवशेष मिले हैं.
सिरपुर छत्तीसगढ़ के महानदी के तट पर बसा एक पुरातात्विक स्थल है. सिरपुर का प्राचीन नाम श्रीपुरा था. यहां एक विशाल नगर हुआ करता था. ईंटों से बना हुआ प्राचीन लक्ष्मण मंदिर यहां के लोगों के लिए दर्शनीय स्थल बना हुआ है. ईंटों से बना हुआ भव्य लक्ष्मण मंदिर सोमवंशी राजा हर्ष गुप्त की विधवा रानी वसाटा देवी ने बनवाया था. जिसका स्वरूप महाबोधि गया बिहार जैसा दिखता है.
भारत में 3 ईंट के मंदिर
ये ईंटों से बना भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है. बता दें कि देश में सिर्फ 3 मंदिर हैं जो ईंट से बने हैं. जिसमें एक मंदिर गुजरात, एक उत्तर प्रदेश और तीसरा छत्तीसगढ़ के सिरपुर में स्थित है.
लक्ष्मण मंदिर
लगभग 7 फीट ऊंची पत्थर की जगती पर बना ये मंदिर बेहद खूबसूरत है. मंदिर के प्रवेश द्वार पर भगवान बुद्ध को दिखाया गया है. द्वार की शाखाओं पर भगवान विष्णु के प्रखर अवतार, कृष्ण लीला के दृश्य, मिथुन दृश्य और वैष्णव द्वारपालों को उंकेरा गया है. मंदिर के गर्भ गृह में शेषनाग की बैठी हुई प्रतिमा स्थापित है.
तिवर देव विहार
दक्षिण कौशल में अब तक के सबसे बड़े विहार के रूप में तिवर देव विहार है. जो कि 2002-03 में हुए खुदाई के दौरान मिला था. इसकी शिल्प कला अद्भुत है. यह विहार लगभग 902 वर्ग मीटर में फैला है. विहार के बीच में 16 अलंकृत प्रस्तर स्तंभों वाला मंडप है. इन स्तंभों पर ध्यान में लीन भगवान बुद्ध, मोर, चक्र, सिंह आदि का शिल्पांकन किया गया है. सिरपुर में सभी बौद्ध विहार ईंटों से बने हुए हैं. इस मंदिर में भगवान बुद्ध की स्पर्श मुद्रा में मूर्ति रखी है. मूर्ति में सिर नहीं था, सिर अलग से खुदाई में मिला था. मूर्ति में सांप का फन भगवान बुद्ध को छात्र प्रदान करता दिखता है. इसके साथ ही यहां तीन उत्तर मुखी विशाल बौद्ध विहार भी मिला है.
सुरंग टीला
सुरंग टीला को पंचायत शिव मंदिर कहते हैं. जो भारत का सबसे ऊंचा अधिष्ठान वाला मंदिर है. इसके लिए पर्यटकों को 142 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है. जानकारों ने बताया कि सुरंग टीला में 4 रंगों के शिवलिंग हैं. सफेद शिवलिंग जो ब्राह्मण स्थापित करता है. लाल रंग के शिवलिंग जो क्षत्रिय स्थापित करता है. पीले रंग का शिवलिंग जिसे वैष्णव स्थापित करते हैं और काला शिवलिंग जिसे खेतिहर मजदूर स्थापित करते हैं. इसके अलावा दक्षिण में गणेश जी की बड़ी मूर्ति भी मंदिर में मौजूद है.
व्यापार का केंद्र रहा सिरपुर
सिरपुर को एक समय में व्यापार का केंद्र कहा जाता था. महानदी के तट पर बसा ये बाजार लगभग एक किलोमीटर लंबा है. इसके बीचोंबीच एक त्रिकोणीय चौराहा है. ये सब ईंट पत्थर से बने हुए हैं. अवशेषों के आधार पर ये कहा जा सकता है कि इन चौराहों से संभवत उज्जैन और ओडिशा के लिए रास्ता था. इस बाजार में अनाज के बड़े-बड़े भंडार गृह हैं. जिसमें 2 साल तक का अनाज भरकर रखा जा सकता है. यहां भूमिगत धातुओं को गलाने की भट्टी भी है. यहां देश-विदेश के व्यापारी नदी के रास्ते से व्यापार करने के लिए आते थे.
बौद्ध अनुयायियों की आस्था का केंद्र
जानकारों ने बताया कि खुदाई के दौरान बौद्ध धर्म के सबसे ज्यादा अवशेष मिले हैं. यही कारण है कि बौद्ध अनुयायी भी ज्यादा संख्या में यहां आते हैं. बौद्ध अनुयायियों का कहना है कि सिरपुर विश्व की सबसे बड़ी विरासत है. यहां शिक्षा, स्वास्थ्य केंद्र के अलावा सम्राट अशोक के स्तूप भी मिलते हैं. जो बौद्ध अनुयायियों के लिए बहुत ही गर्व की बात है.