महासमुंद: वल्लरी, जिसका अर्थ होता है लता या मंजरी. 26 साल की इंजीनियर वल्लरी चंद्राकर ने भी अपनी प्रतिभा की लताओं से अपने परिवार को खूबसूरत उपवन दिया है. ट्रैक्टर चलाती, खेतों में काम करती, नाप-तौल करती और फिर बच्चों को पढ़ाती इस लड़की ने खेती के लिए नौकरी छोड़ दी और आज अपने साथ-साथ कई लोगों को रोजगार भी दे रही है.
वल्लरी महासमुंद के बागबाहरा ब्लॉक के सिर्री गांव की रहने वाली हैं. महासमुंद, रायपुर, भिलाई और राजनांदगांव जैसे शहरों में इनकी पढ़ाई हुई. 2012 में इंजीनियरिंग कम्प्लीट करने के बाद वल्लरी ने रायपुर के दुर्गा कॉलेज में कम्प्यूटर सांइस और गणित की सहायक प्राध्यापिका की नौकरी की. उस वक्त इन्हें साढ़े 13 हजार रुपए मिलते थे. 2016 में वल्लरी ने एमटेक की डिग्री ली लेकिन मन तो पिता को देख खेतों में लग गया.
लाखों रुपए कमा रही हैं वल्लरी
बस फिर क्या था वल्लरी अपने गांव सिर्री पहुंच गईं और आज 40 एकड़ के फार्म हाउस मे ड्रिप पद्धती से करेला , खीरा , बरबट्टी (बोरो ), मिर्ची, लौकी जैसी कई सब्जियों और फलों की खेती कर लाखों रूपये कमा रही हैं. वल्लरी ने 60 लाख रूपये का इनवेस्ट किया और आज 20 लाख रूपये सालाना कमा रही हैं. वे कम पानी में अच्छी खेती करने करके किसानों के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं. वे कहती हैं कि गांव में रहकर यहां के लोगों के लिए कुछ न किया जाए, तो फिर क्या जीना. वल्लरी कई छात्र-छात्राओं को निशुल्क कंप्यूटर शिक्षा दे रही हैं.
माता-पिता को अपनी बेटी पर गर्व
वल्लरी के पिता ऋषि चन्द्राकर रायपुर में सब इंजीनियर हैं. उनकी छोटी बहन पल्लवी चन्द्राकर एम.टेक की शिक्षा ग्रहण कर भिलाई इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर हैं. माता-पिता अपनी बेटी की उपलब्धि पर बेहद खुश हैं. वे कहते हैं कि आज उन्हें, उनकी बेटी के नाम से लोग जानते हैं.
वल्लरी शांति बाई नारी शक्ति सम्मान से भी नवाजी जा चुकी हैं.