महासमुंद: छत्तीसगढ़ में आए दिन कोरोना संक्रमण के नए-नए मामले सामने आ रहे हैं. जिसका प्रभाव लोगों के साथ अब व्यवसाय पर भी पड़ने लगा है. कोरोना वायरस के कारण बड़े अस्पताल जहां मरीजों से भरे पड़े हैं, वहीं छोटे क्लीनिक और नर्सिंग होम में लगभग ताला सा लग गया है, क्योंकि छोटे क्लिनिक और नर्सिंग होम्स में उतने सुरक्षा उपकरण नहीं है, जिससे कोरोना से लड़ा जा सके, इन सबके अलावा एक और व्यवसाय काफी प्रभावित हुआ है, जो है डेंटल क्लिनिक, दरअसल कोरोना वायरस का संक्रमण मुंह और नाक से ही फैलता है, ऐसे में डेंटल क्लिनक पर तो ताला ही लग गया है.
निजी प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर और छोटे नर्सिंग होम अब अपने इलाज के तरीके भी बदल रहे हैं. ऐसे हालातों में लोगों के कम-कम इलाज किए जा रहे हैं. सभी मरीजों के डाटा मेंटेंन किए जा रहे हैं. बता दें कि छोटे क्लिनिक और नर्सिंग होम में काम करने वाले कर्मियों के रोजगार पर भी प्रभाव पड़ रहा है. डॉक्टर समाजिक दूरी बनाकर या फिर फोन पर सलाह के जरिए भी इलाज कर रहे हैं.
ऐसे हैं आंकड़े
नर्सिंग होम | 23 |
पैथोलॉजी लैब | 56 |
एलोपैथिक क्लीनिक | 26 |
डेंटल क्लीनिक | 13 |
आयुष क्लीनिक | 41 |
महासमुंद में 23 नर्सिंग होम, 56 पैथोलॉजी लैब और करीब 13 डेंटल क्लिनिक के साथ 26 डॉक्टरों के निजी क्लीनिक हैं. जहां 50 से ज्यादा डॉक्टर प्रैक्टिस कर रहे हैं. इससे कई नर्स और दूसरे स्टाफ को भी रोजगार मिला है, लेकिन कोरोना काल में धंधा मंदा होने से सभी के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है.
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शहरों के छोटे-छोटे क्लिनिक और नर्सिंग होम्स से साथ गांव में स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने वाले बीएमएस डॉक्टरों के हाल भी बेहाल हैं. क्योंकि गांव के लोग भी जहां छोटी-मोटी मौसमी बीमारियों में डॉक्टर के पास जाते थे, अब कोरोना के डर से घरेलू उपचार कर रहे हैं. अनलॉक के बाद बाकी सेक्टर में धीरे-धीरे तो रौनकें लौटने लगी है, लेकिन शायद इन छोटे-छोटे क्लिनिकों और नर्सिंग्स होम्स में लोगों को आने में वक्त लगेगा. क्योंकि कोरोना के कहर ने लोगों के ऐसे डरा दिया है कि अब लोग अस्पताल जाने से भी घबरा रहे हैं.