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आपके सांसद: ऐसा है चंदूलाल साहू के गोद लिए गांव का हाल

ईटीवी भारत की पड़ताल में जानिए कैसा है चंदूलाल साहू के गोद लिए गए गांव कोमाखान का हाल.

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Published : Mar 25, 2019, 5:21 PM IST

Updated : Mar 25, 2019, 9:28 PM IST

कोलाज

महासमुंद: आपने बड़ी उम्मीदों के साथ वोट देकर जिसे अपना प्रतिनिधि बनाकर 2014 में दिल्ली भेजा था, उसने काम कितना किया. गांव गोद लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसकी दशा सुधारने का जिम्मा जिसे दिया था, उसने कितना काम किया. ईटीवी भारत लगातार आपको, आपके सांसदों की रिपोर्ट दिखा रहा है.

ईटीवी भारत की टीम ने महासुंद सांसद चंदूलाल साहू के गोद लिए गांव कोमाखान दौरा किया और जानने की कोशिश किसांसद महोदय ने पिछले पांच साल में कितना काम किया है.गांव में कितना विकास हुआ और यहां रहने वाले लोग सांसद चंदूलाल साहू से कितने खुश हैं.

वीडियो

लोगों को काम पूरे होने का इंतजार
बागबाहरा ब्लॉक में शामिल करीब 28 सौ की आबादी का यह गांव महासमुंद जिला मुख्यालय से करीब 52 किलोमीटर दूर है. सांसद चंदूलाल साहू ने साल 2016 में कोमाखान को गोद लिया सांसद आदर्श ग्राम के कोमाखान का चयन होने पर यहां के ग्रामीणों को विकास की उम्मीद थी, सांसद महोदय कुछ की उम्मीदों पर तो खरे उतरे पर कुछ के लिए लोग आज भी इंतजार कर रहे हैं.

कई विकासकार्य अधूरे
उड़ीसा की सीमा से लगे करीब 40 पंचायतों का मुख्यालय माना जाता है जिसे लंबे समय से ब्लॉक मुख्यालय बनाने की मांग ग्रामीण कर रहे हैं. गांव में गांव में मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ कई विकासकार्य हुए हैं, तो वहीं कुछ काम अधूरे हैं.

पानी की है किल्लत
गांव में पहुंचने पर हमने पाया कि विकास तो हुआ है. गांव में मूलभूत सुविधाएं भी मौजूद थीं. लेकिन कई काम ऐसे थे जो या तो अधूरे पड़े थे या फिर उन्हें शुरू ही नहीं किया गया था. गांव में सबसे बड़ी समस्या पेयजल और सड़क की है. कुछ मोहल्लों के लोगों का कहना है कि सड़क खराब होने के साथ नल से पानी नहीं आता, जिसकी वजह से उन्हें खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता है.

स्कूल में नहीं है शिक्षक
गांव में स्कूल की अच्छी खासी बिल्डिंग तो मौजूद है, लेकिन उसमें प्राचार्य की कमी है, जिसकी वजह से नौनिहालों को सही मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा है. महिलाओं ने ग्राम पंचायत पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि, सरकार की ओर से फंड तो स्वीकृत करा दिया गया लेकिन ग्राम पंचायत में बैठे जनप्रतिनिधि घालमेल कर देते हैं और विकास की आस धरी की धरी तरह जाती है. गांव में स्वास्थ्य केंद्र तो है लेकिन वो महज एक डॉक्टर के भरोसे है. कई काम ऐसे हैं जो कागजों में तो स्वीकृत हैं लेकिन धरातल में उनका दूर-दूर तक कहीं नामो-निशान नहीं दिख रहा है.

हमने किया विकास: चंदूलाल साहू
इस मामले में जब हमने सांसद मोहदय से बात की तो उन्होंने अपनी उपलब्धि का जमकर बखान किया. चंदूलाल ने कहा कि, गांव को गोद लेने के बाद उन्होंने यहां विकास की गंगा बहा दी है.

कुछ काम हुए कुछ अधूरे
सांसद के अपने दावे हैं विरोधियों के अपने. गांव का दौरा करने पर हमने पाया कि यहां विकास तो हुआ है. मूलभूत सुविधाएं भी मुहैया कराई गई हैं. लेकिन बेरोजगारी पर लगाम लगाने के लिए कोई भी प्रयास नहीं किए गए, जिसकी वजह से गांव का युवा रोटी की जुगाड़ में दर-दर ठोकरें खाने को मजबूर हैं. कुल मिलाकर सांसद के गोद लेने के बाद जहां एक ओर गांव को मूलभूत और कुछ जरूरी सुविधाएं मिलीं तो वहीं पानी, सड़क और रोजगार के अवसर का इंतजार इस गांव को आज भी है.

महासमुंद: आपने बड़ी उम्मीदों के साथ वोट देकर जिसे अपना प्रतिनिधि बनाकर 2014 में दिल्ली भेजा था, उसने काम कितना किया. गांव गोद लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसकी दशा सुधारने का जिम्मा जिसे दिया था, उसने कितना काम किया. ईटीवी भारत लगातार आपको, आपके सांसदों की रिपोर्ट दिखा रहा है.

ईटीवी भारत की टीम ने महासुंद सांसद चंदूलाल साहू के गोद लिए गांव कोमाखान दौरा किया और जानने की कोशिश किसांसद महोदय ने पिछले पांच साल में कितना काम किया है.गांव में कितना विकास हुआ और यहां रहने वाले लोग सांसद चंदूलाल साहू से कितने खुश हैं.

वीडियो

लोगों को काम पूरे होने का इंतजार
बागबाहरा ब्लॉक में शामिल करीब 28 सौ की आबादी का यह गांव महासमुंद जिला मुख्यालय से करीब 52 किलोमीटर दूर है. सांसद चंदूलाल साहू ने साल 2016 में कोमाखान को गोद लिया सांसद आदर्श ग्राम के कोमाखान का चयन होने पर यहां के ग्रामीणों को विकास की उम्मीद थी, सांसद महोदय कुछ की उम्मीदों पर तो खरे उतरे पर कुछ के लिए लोग आज भी इंतजार कर रहे हैं.

कई विकासकार्य अधूरे
उड़ीसा की सीमा से लगे करीब 40 पंचायतों का मुख्यालय माना जाता है जिसे लंबे समय से ब्लॉक मुख्यालय बनाने की मांग ग्रामीण कर रहे हैं. गांव में गांव में मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ कई विकासकार्य हुए हैं, तो वहीं कुछ काम अधूरे हैं.

पानी की है किल्लत
गांव में पहुंचने पर हमने पाया कि विकास तो हुआ है. गांव में मूलभूत सुविधाएं भी मौजूद थीं. लेकिन कई काम ऐसे थे जो या तो अधूरे पड़े थे या फिर उन्हें शुरू ही नहीं किया गया था. गांव में सबसे बड़ी समस्या पेयजल और सड़क की है. कुछ मोहल्लों के लोगों का कहना है कि सड़क खराब होने के साथ नल से पानी नहीं आता, जिसकी वजह से उन्हें खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता है.

स्कूल में नहीं है शिक्षक
गांव में स्कूल की अच्छी खासी बिल्डिंग तो मौजूद है, लेकिन उसमें प्राचार्य की कमी है, जिसकी वजह से नौनिहालों को सही मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा है. महिलाओं ने ग्राम पंचायत पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि, सरकार की ओर से फंड तो स्वीकृत करा दिया गया लेकिन ग्राम पंचायत में बैठे जनप्रतिनिधि घालमेल कर देते हैं और विकास की आस धरी की धरी तरह जाती है. गांव में स्वास्थ्य केंद्र तो है लेकिन वो महज एक डॉक्टर के भरोसे है. कई काम ऐसे हैं जो कागजों में तो स्वीकृत हैं लेकिन धरातल में उनका दूर-दूर तक कहीं नामो-निशान नहीं दिख रहा है.

हमने किया विकास: चंदूलाल साहू
इस मामले में जब हमने सांसद मोहदय से बात की तो उन्होंने अपनी उपलब्धि का जमकर बखान किया. चंदूलाल ने कहा कि, गांव को गोद लेने के बाद उन्होंने यहां विकास की गंगा बहा दी है.

कुछ काम हुए कुछ अधूरे
सांसद के अपने दावे हैं विरोधियों के अपने. गांव का दौरा करने पर हमने पाया कि यहां विकास तो हुआ है. मूलभूत सुविधाएं भी मुहैया कराई गई हैं. लेकिन बेरोजगारी पर लगाम लगाने के लिए कोई भी प्रयास नहीं किए गए, जिसकी वजह से गांव का युवा रोटी की जुगाड़ में दर-दर ठोकरें खाने को मजबूर हैं. कुल मिलाकर सांसद के गोद लेने के बाद जहां एक ओर गांव को मूलभूत और कुछ जरूरी सुविधाएं मिलीं तो वहीं पानी, सड़क और रोजगार के अवसर का इंतजार इस गांव को आज भी है.

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Last Updated : Mar 25, 2019, 9:28 PM IST
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