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15 साल बाद भी शहीद के नाम पर नहीं हुआ स्कूल का नामकरण - महासमुंद में शहीद के नाम पर स्कूल की मांग

महासमुंद में शहीद के नाम पर पतरापाली स्कूल के नामकरण की मांग लंबे समय से चल रही है, लेकिन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

Martyr memorial site
शहीद स्मारक स्थल
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Published : Jan 23, 2021, 2:02 PM IST

महासमुंद: 15 साल पहले नक्सली हमले में शहीद होने वाले ललित बुडेक के सम्मान की परवाह किसी को नहीं है. सरायपाली में लंबे समय से पतरापाली स्कूल का नामकरण कर उसे शहीद का नाम दिए जाने की मांग की जा रही है, लेकिन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

सरायपाली के आदिवासी समुदाय के एक युवक ललित बुडेक नक्सलियों से लोहा लेते समय जनवरी 2005 में शहीद हो गए थे. गांव का पहला शहीद होने के कराण लोगों ने उनके सम्मान में पतेरापाली स्कूल को शहीद ललित बुडेक के नाम पर करने की मांग की थी. शासन-प्रशासन की तरफ से सभी औपचारिकताएं भी पूरी कर ली गई हैं, बावजूद इसके प्राथमिक शाला पतेरापाली का नामकरण शहीद ललित बुडेक के नाम पर नहीं किया गया है.

स्मारक स्थल की हालत खराब

प्रशासन ने पतरापाली चौक पर शहीद ललित बुडेक का एक स्मारक तो बनाया है, लेकिन उसकी दुर्दशा हो रही है. स्मारक स्थल पर न तो स्वच्छता का ध्यान रखा गया है और न ही अन्य तरह की कोई व्यवस्था की गई है. स्मारक स्थल की रेलिंग महीनों से टूटी पड़ी है. उसकी मरम्मत के लिए किसी को भी फुर्सत नहीं है.

पढ़ें: सरकार वादा करके भूल गई, 3 साल से शहीद बेटे की अस्थियां लेकर भटक रही मां

'स्कूल का हो नामकरण, बने स्मारक'

शासन-प्रशासन के नियमों के मुताबिक, जिस गांव का जवान शहीद होता है, उस गांव के स्कूल का नाम शहीद के नाम पर रखा जाता है. साथ ही गांव में शहीद का एक स्मारक भी बनाया जाता है, लेकिन सिस्टर की अनदेखी के कारण अब तक गांव में शहीद के नाम पर स्कूल का नामकरण नहीं किया गया. बीते 15 साल से शहीद की मां अपने बेटे को सम्मान दिलाने के लिए सरकार और सिस्टम से मांग कर रही है, लेकिन इस बूढ़ी मां की पुकार कोई नहीं सुन रहा. गांव के लोगों का कहना है कि अगर पतेरापाली स्कूल का नामकरण ललित बुडेक के नाम पर कर दिया जाता, तो वो गांव के लोगों को भी गर्व महसूस होता.

महासमुंद: 15 साल पहले नक्सली हमले में शहीद होने वाले ललित बुडेक के सम्मान की परवाह किसी को नहीं है. सरायपाली में लंबे समय से पतरापाली स्कूल का नामकरण कर उसे शहीद का नाम दिए जाने की मांग की जा रही है, लेकिन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

सरायपाली के आदिवासी समुदाय के एक युवक ललित बुडेक नक्सलियों से लोहा लेते समय जनवरी 2005 में शहीद हो गए थे. गांव का पहला शहीद होने के कराण लोगों ने उनके सम्मान में पतेरापाली स्कूल को शहीद ललित बुडेक के नाम पर करने की मांग की थी. शासन-प्रशासन की तरफ से सभी औपचारिकताएं भी पूरी कर ली गई हैं, बावजूद इसके प्राथमिक शाला पतेरापाली का नामकरण शहीद ललित बुडेक के नाम पर नहीं किया गया है.

स्मारक स्थल की हालत खराब

प्रशासन ने पतरापाली चौक पर शहीद ललित बुडेक का एक स्मारक तो बनाया है, लेकिन उसकी दुर्दशा हो रही है. स्मारक स्थल पर न तो स्वच्छता का ध्यान रखा गया है और न ही अन्य तरह की कोई व्यवस्था की गई है. स्मारक स्थल की रेलिंग महीनों से टूटी पड़ी है. उसकी मरम्मत के लिए किसी को भी फुर्सत नहीं है.

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'स्कूल का हो नामकरण, बने स्मारक'

शासन-प्रशासन के नियमों के मुताबिक, जिस गांव का जवान शहीद होता है, उस गांव के स्कूल का नाम शहीद के नाम पर रखा जाता है. साथ ही गांव में शहीद का एक स्मारक भी बनाया जाता है, लेकिन सिस्टर की अनदेखी के कारण अब तक गांव में शहीद के नाम पर स्कूल का नामकरण नहीं किया गया. बीते 15 साल से शहीद की मां अपने बेटे को सम्मान दिलाने के लिए सरकार और सिस्टम से मांग कर रही है, लेकिन इस बूढ़ी मां की पुकार कोई नहीं सुन रहा. गांव के लोगों का कहना है कि अगर पतेरापाली स्कूल का नामकरण ललित बुडेक के नाम पर कर दिया जाता, तो वो गांव के लोगों को भी गर्व महसूस होता.

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