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अपने पैशन और लगन से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी तक पहुंची महासमुंद की प्रज्ञा - CSIR CDRI

महासमुंद की प्रज्ञा चंद्राकर ने छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश का नाम ऊंचा किया है. उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से दुनिया के प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में अपनी जगह बनाई है. इससे उनके परिवार समेत पूरे जिले में खुशी का माहौल है.

pragya chandrakar of mahasamund got selected at harvard university
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हुआ प्रज्ञा का सलेक्शन
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Published : May 26, 2021, 10:02 AM IST

महासमुंद: मन में सच्ची लगन और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो सफलता कदम चूमती है. इसका जीता जागता उदाहरण है महासमुंद की रहने वाली डॉ. प्रज्ञा चंद्राकर. जिनका चयन अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हुआ है. यहां प्रज्ञा कोरोना वायरस और उसकी वैक्सीन पर काम करेंगी. बेटी की इस उपलब्धि पर परिवार सहित पूरे महासमुंद में खुशी का माहौल है. प्रज्ञा ने अपनी इस उपलब्धि से छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे भारत को गौरवान्वित किया है.

महासमुंद शहर के क्लबपारा में रहने वाले चंद्राकर परिवार की दो बहन और एक भाई में प्रज्ञा चंद्राकर सबसे बड़ी बेटी हैं. प्रज्ञा के पिता गजानंद चंद्राकर शिक्षक और मां मंजू चंद्राकर गृहिणी हैं. प्रज्ञा बचपन से ही मेधावी छात्र रही हैं. वो हर साल क्लास में फर्स्ट आती थीं. स्कूल में अच्छे परिणाम के लिए कई बार उन्हें सम्मानित भी किया गया है. उनकी प्रारंभिक शिक्षा महासमुंद के वेडनर मेमोरियल स्कूल से हुई है. उसके बाद उन्होंने 10वीं से 12वीं तक की पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय से पूरी की. प्रज्ञा ने स्नातक (ग्रेजुएशन) चंडीगढ़ विश्वविद्यालय और पोस्ट ग्रेजुएशन तमिलनाडु के अन्नामलाई विश्वविद्यालय से पूरा किया है.

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हुआ प्रज्ञा का सलेक्शन

प्रज्ञा ने की है पीएचडी

प्रज्ञा ने CSIR-JRF में 55वां रैंक हासिल किया है. उन्होंने लखनऊ के CSIR-CDRI से PHD की है. पीएचडी में पब्लिकेशन के आधार पर प्रज्ञा का सेलेक्शन हार्वर्ड विश्वविद्यालय के लिए हुआ है. वर्तमान में प्रज्ञा चंद्राकार अमेरिका के न्यूयॉर्क के अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन में पोस्ट डॉक्टर रिसर्च फेलो के पद पर कार्यरत हैं. वे यहां ट्यूबेरकुलोसिस (टीबी) और काला अजार पर रिसर्च कर रही हैं.

पैशन लेकर आया हार्वर्ड

डॉ. प्रज्ञा चंद्राकर का कहना है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में उनका चयन हो जाएगा. चयनित होने पर वे खुश हैं. उन्होंने कहा कि सफलता के लिए पैशन जरूरी होता है. इसके लिए उन्होंने काफी मेहनत की है. उन्होंने बताया कि उनका पैशन उन्हें हार्वर्ड ले लाया है. उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा लगता है हार्वर्ड में मुझे बेहतर करना है. वहां की सुविधाओं को अच्छे से उपयोग कर अच्छा रिसर्च करना चाहती हूं, ताकि जब यहां से मैं भारत लौटूं, तो एक अच्छी साइंटिस्ट बनकर लौटूं. अपने देश के लिए बेहतर कर सकूं, ये मेरी हमेशा कोशिश रहेगी.

pragya chandrakar of mahasamund got selected at harvard university
कोरोना वैक्सीन पर रिसर्च करतीं प्रज्ञा

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मेंटर को दिया श्रेय

प्रज्ञा ने कहा कि उनके मम्मी-पापा ने उन्हें बहुत सपोर्ट किया. उनका विश्वास ही उन्हें यहां तक लेकर आया है. डॉ. प्रज्ञा ने इसका श्रेय मेंटर सुसानताकार को दिया. जिन्होंने साइंस क्या होता है बताया था. प्रज्ञा ने अपना रोल मॉडल मैरी क्यूरी को बताया. उन्होंने कहा कि जब उन्होंने रेडिएशन पर कार्य किया था और उन्हें दो बार नोबल मिला था, तब वो पहली महिला साइंटिस्ट थीं, जिन्होंने मुझे बहुत इंस्पायर किया. प्रज्ञा ने विद्यार्थियों को कहा कि स्कूल लाइफ में ही किसी चीज के लिए पैशन पैदा करना चाहिए. किसी चीज पर 100 प्रतिशत देते हैं, तो बाद में आपको भी उससे 100 प्रतिशत मिलेगा.

चयन होने की खुशी

प्रज्ञा के पिता बेटी के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में चयनित होने से बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि बेटी का हार्वर्ड में चयन हो जाएगा, ये तो सोचा नहीं था, लेकिन चयन हुआ है इसकी बेहद खुशी है. उन्होंने बताया कि प्रज्ञा शुरू से ही मेधावी रही है. जब प्रज्ञा 12वीं में थी, तभी से कुछ अलग करने की चाह इसमें थी.

साइंटिस्ट बनने का था सपना

प्रज्ञा को पढ़ाने वाले शिक्षक ने कहा कि प्रज्ञा शुरू से ही कुछ अलग करना चाहती थी. उसका सोचने का तरीका दूसरे स्टूडेंट्स से अलग था. उसको देखकर ऐसा लगता था कि इसमें कुछ खास बात है. पढ़ाई के दौरान ही प्रज्ञा ने कहा था कि उसे साइंटिस्ट बनाना है. प्रज्ञा अपने सपने को पूरा करने में सफल हुई.

प्रदेश के लिए गौरव की बात

पूरा देश इस समय कोरोना महामारी से जूझ रहा है. कोरोना ने पूरे विश्व में कोहराम मचा रखा है. इससे बचने के लिए एक ही चीज सबसे कारगर मानी जा रही है, वो है वैक्सीन. वैक्सीन से ही कोरोना जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है. ऐसे में महासमुंद की रहने वाली डॉक्टर प्रज्ञा चंद्राकर का चयन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हुआ है. जहां वे कोरोना वायरस और वैक्सीन बनाने पर काम करेंगी. ये प्रदेश और देश दोनों के लिए गौरव की बात है.

महासमुंद: मन में सच्ची लगन और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो सफलता कदम चूमती है. इसका जीता जागता उदाहरण है महासमुंद की रहने वाली डॉ. प्रज्ञा चंद्राकर. जिनका चयन अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हुआ है. यहां प्रज्ञा कोरोना वायरस और उसकी वैक्सीन पर काम करेंगी. बेटी की इस उपलब्धि पर परिवार सहित पूरे महासमुंद में खुशी का माहौल है. प्रज्ञा ने अपनी इस उपलब्धि से छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे भारत को गौरवान्वित किया है.

महासमुंद शहर के क्लबपारा में रहने वाले चंद्राकर परिवार की दो बहन और एक भाई में प्रज्ञा चंद्राकर सबसे बड़ी बेटी हैं. प्रज्ञा के पिता गजानंद चंद्राकर शिक्षक और मां मंजू चंद्राकर गृहिणी हैं. प्रज्ञा बचपन से ही मेधावी छात्र रही हैं. वो हर साल क्लास में फर्स्ट आती थीं. स्कूल में अच्छे परिणाम के लिए कई बार उन्हें सम्मानित भी किया गया है. उनकी प्रारंभिक शिक्षा महासमुंद के वेडनर मेमोरियल स्कूल से हुई है. उसके बाद उन्होंने 10वीं से 12वीं तक की पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय से पूरी की. प्रज्ञा ने स्नातक (ग्रेजुएशन) चंडीगढ़ विश्वविद्यालय और पोस्ट ग्रेजुएशन तमिलनाडु के अन्नामलाई विश्वविद्यालय से पूरा किया है.

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हुआ प्रज्ञा का सलेक्शन

प्रज्ञा ने की है पीएचडी

प्रज्ञा ने CSIR-JRF में 55वां रैंक हासिल किया है. उन्होंने लखनऊ के CSIR-CDRI से PHD की है. पीएचडी में पब्लिकेशन के आधार पर प्रज्ञा का सेलेक्शन हार्वर्ड विश्वविद्यालय के लिए हुआ है. वर्तमान में प्रज्ञा चंद्राकार अमेरिका के न्यूयॉर्क के अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन में पोस्ट डॉक्टर रिसर्च फेलो के पद पर कार्यरत हैं. वे यहां ट्यूबेरकुलोसिस (टीबी) और काला अजार पर रिसर्च कर रही हैं.

पैशन लेकर आया हार्वर्ड

डॉ. प्रज्ञा चंद्राकर का कहना है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में उनका चयन हो जाएगा. चयनित होने पर वे खुश हैं. उन्होंने कहा कि सफलता के लिए पैशन जरूरी होता है. इसके लिए उन्होंने काफी मेहनत की है. उन्होंने बताया कि उनका पैशन उन्हें हार्वर्ड ले लाया है. उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा लगता है हार्वर्ड में मुझे बेहतर करना है. वहां की सुविधाओं को अच्छे से उपयोग कर अच्छा रिसर्च करना चाहती हूं, ताकि जब यहां से मैं भारत लौटूं, तो एक अच्छी साइंटिस्ट बनकर लौटूं. अपने देश के लिए बेहतर कर सकूं, ये मेरी हमेशा कोशिश रहेगी.

pragya chandrakar of mahasamund got selected at harvard university
कोरोना वैक्सीन पर रिसर्च करतीं प्रज्ञा

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मेंटर को दिया श्रेय

प्रज्ञा ने कहा कि उनके मम्मी-पापा ने उन्हें बहुत सपोर्ट किया. उनका विश्वास ही उन्हें यहां तक लेकर आया है. डॉ. प्रज्ञा ने इसका श्रेय मेंटर सुसानताकार को दिया. जिन्होंने साइंस क्या होता है बताया था. प्रज्ञा ने अपना रोल मॉडल मैरी क्यूरी को बताया. उन्होंने कहा कि जब उन्होंने रेडिएशन पर कार्य किया था और उन्हें दो बार नोबल मिला था, तब वो पहली महिला साइंटिस्ट थीं, जिन्होंने मुझे बहुत इंस्पायर किया. प्रज्ञा ने विद्यार्थियों को कहा कि स्कूल लाइफ में ही किसी चीज के लिए पैशन पैदा करना चाहिए. किसी चीज पर 100 प्रतिशत देते हैं, तो बाद में आपको भी उससे 100 प्रतिशत मिलेगा.

चयन होने की खुशी

प्रज्ञा के पिता बेटी के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में चयनित होने से बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि बेटी का हार्वर्ड में चयन हो जाएगा, ये तो सोचा नहीं था, लेकिन चयन हुआ है इसकी बेहद खुशी है. उन्होंने बताया कि प्रज्ञा शुरू से ही मेधावी रही है. जब प्रज्ञा 12वीं में थी, तभी से कुछ अलग करने की चाह इसमें थी.

साइंटिस्ट बनने का था सपना

प्रज्ञा को पढ़ाने वाले शिक्षक ने कहा कि प्रज्ञा शुरू से ही कुछ अलग करना चाहती थी. उसका सोचने का तरीका दूसरे स्टूडेंट्स से अलग था. उसको देखकर ऐसा लगता था कि इसमें कुछ खास बात है. पढ़ाई के दौरान ही प्रज्ञा ने कहा था कि उसे साइंटिस्ट बनाना है. प्रज्ञा अपने सपने को पूरा करने में सफल हुई.

प्रदेश के लिए गौरव की बात

पूरा देश इस समय कोरोना महामारी से जूझ रहा है. कोरोना ने पूरे विश्व में कोहराम मचा रखा है. इससे बचने के लिए एक ही चीज सबसे कारगर मानी जा रही है, वो है वैक्सीन. वैक्सीन से ही कोरोना जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है. ऐसे में महासमुंद की रहने वाली डॉक्टर प्रज्ञा चंद्राकर का चयन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हुआ है. जहां वे कोरोना वायरस और वैक्सीन बनाने पर काम करेंगी. ये प्रदेश और देश दोनों के लिए गौरव की बात है.

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