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महासमुंद: नगरवासियों के स्वास्थ्य से खिलवाड़, 50 लाख की रोड स्वीपिंग मशीन हुई कबाड़

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Published : Aug 8, 2019, 12:26 PM IST

महासमुंद शहर धूल की मार झेल रहा है. वहीं नगर पालिका की 50 लाख की रोड स्वीपिंग मशीन कबाड़खाने में तब्दील हो गई है.

रोड स्वीपिंग मशीन कबाड़खाने में तब्दील

महासमुंद: शहर धूल के गुबार में तब्दील हो गया है. शहर के बीचो-बीच बड़ी गाड़ियों की आवाजाही ने चौक-चौराहों से लेकर गली-मोहल्लों को धूमिल कर दिया है. दूसरी ओर महासमुंद नगर पालिका की 50 लाख की रोड स्वीपिंग मशीन कबाड़ हो चुकी है, जिससे शहरवासियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

धूल के गुबार से शहरवासियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है

बता दें कि 2008 में राज्य सरकार ने महासमुंद नगर पालिका में 50 लाख की रोड स्वीपिंग मशीन खरीदी थी, जिसका उपयोग महज 4 महीने ही किया गया. इसके बाद मशीन का कोई उपयोग नहीं हुआ. दिन बीतते गए और 50 लाख की मशीन कबाड़ हो गई.

आंखों में जाती है धूल

शहरवासियों का कहना है कि 'महासमुंद शहर में इतनी ज्यादा धूल है कि चौक-चौराहों से भी नहीं गुजर सकते. यदि एक गाड़ी भी निकल जाए, तो हमें आंख पर हाथ रखना पड़ता है. आंखों में धूल जाने लगती हैं'.

'उखड़ने लगी थी सड़क'

महासमुंद नगर पालिका का मशीन के सवाल पर कहना है कि 'मशीन 50 लाख रुपए में सन 2008 में राज्य शासन ने खरीदकर नगरपालिका को दी थी, लेकिन मशीन का धूल साफ करने का ब्रश वाला हिस्सा ही खराब है, जिसके कारण रोड उखड़ने लगी थी. इस वजह से 4 महीने में ही मशीन बंद करना पड़ा.

पढ़ें : हाथियों के आतंक से परेशान ग्रामीणों ने गांव में की राशन दुकान खोलने की मांग

दिया ये हवाला

उन्होंने कहा कि 'मशीन में 1 घंटे में 12 लीटर डीजल लगता है और उसमें कोई खराबी या समस्या आए, तो दिल्ली में ही बनाया जा सकता है. नगर पालिका गाड़ी को मेंटेनेंस करने की हालत में नहीं हैं.

महासमुंद: शहर धूल के गुबार में तब्दील हो गया है. शहर के बीचो-बीच बड़ी गाड़ियों की आवाजाही ने चौक-चौराहों से लेकर गली-मोहल्लों को धूमिल कर दिया है. दूसरी ओर महासमुंद नगर पालिका की 50 लाख की रोड स्वीपिंग मशीन कबाड़ हो चुकी है, जिससे शहरवासियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

धूल के गुबार से शहरवासियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है

बता दें कि 2008 में राज्य सरकार ने महासमुंद नगर पालिका में 50 लाख की रोड स्वीपिंग मशीन खरीदी थी, जिसका उपयोग महज 4 महीने ही किया गया. इसके बाद मशीन का कोई उपयोग नहीं हुआ. दिन बीतते गए और 50 लाख की मशीन कबाड़ हो गई.

आंखों में जाती है धूल

शहरवासियों का कहना है कि 'महासमुंद शहर में इतनी ज्यादा धूल है कि चौक-चौराहों से भी नहीं गुजर सकते. यदि एक गाड़ी भी निकल जाए, तो हमें आंख पर हाथ रखना पड़ता है. आंखों में धूल जाने लगती हैं'.

'उखड़ने लगी थी सड़क'

महासमुंद नगर पालिका का मशीन के सवाल पर कहना है कि 'मशीन 50 लाख रुपए में सन 2008 में राज्य शासन ने खरीदकर नगरपालिका को दी थी, लेकिन मशीन का धूल साफ करने का ब्रश वाला हिस्सा ही खराब है, जिसके कारण रोड उखड़ने लगी थी. इस वजह से 4 महीने में ही मशीन बंद करना पड़ा.

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दिया ये हवाला

उन्होंने कहा कि 'मशीन में 1 घंटे में 12 लीटर डीजल लगता है और उसमें कोई खराबी या समस्या आए, तो दिल्ली में ही बनाया जा सकता है. नगर पालिका गाड़ी को मेंटेनेंस करने की हालत में नहीं हैं.

Intro:एंकर- महासमुंद शहर धूल से पूरी तरह धूमिल हो चुका है शहर के चौक चौराहों से लेकर गली तक सिर्फ धूल ही धूल दिखती हैं शहर के बीचोंबीच बड़ी गाड़ियों का भी आना जाना है जिसके कारण धूल के गुब्बारे उड़ते हुए नजर आते हैं लोगों को आने-जाने में बड़ी दिक्कतें होती हैं।


Body:वीओ 1 - लोगों को जहां बीमारी का डर सता रहा है वही एक्सीडेंट का भी डर बना रहता है आपको बता दें कि 2008 में महासमुंद नगरपालिका में 50 लाख की रोड स्वीपिंग मशीन खरीदी गई राज्य सरकार द्वारा जिसका उपयोग महज 4 महीने ही किया गया उसके बाद उस मशीन का कोई उपयोग नहीं हुआ दिन बीते गए और 50 लाख की मशीन कबाड़ के रूप में तब्दील हो गई आज यदि हम उस मशीन की बात करें तो वह 50000 के लायक भी नहीं रही वहीं शहर के रहवासियों का कहना है कि महासमुंद शहर में इतनी ज्यादा धूल है कि आप मेन चौक चौराहों से भी नहीं गुजर सकते यदि एक गाड़ी भी फोर व्हीलर ही निकल जाए तो हमें आंख में हाथ रखना पड़ता है या हमारी आंखों में धूल जाने लगती हैं जब हमने महासमुंद नगर पालिका से इस मशीन के बारे में बात की तो उनका कहना है कि यह मशीन 50 लाख रुपए में सन 2008 में राज्य शासन द्वारा खरीदकर नगरपालिका को दी गई थी उस मशीन का धूल साफ करने वाला ब्रश वाला हिस्सा ही बड़ा खराब है जिसके कारण महासमुंद के रोड उखड़ने लगी थी इस कारण वह 4 महीने में ही इस मशीन को हमें खड़ा करना पड़ा साथ ही इस गाड़ी में 1 घंटे में 12 लीटर डीजल लगता है वाह इस मशीन में कोई खराबी या प्रॉब्लम आए तो दिल्ली से ही इस मशीन को बनाने व पार्ट्स मिलते हैं जिसके कारण यह गाड़ी आज कबाड़ के रूप में तब्दील हो गई महासमुंद नगर पालिका 50 लाख की इस गाड़ी को मेंटेन करने की हालत में नहीं है राज्य शासन ने जो मशीन 2008 में नगर पालिका को दी है।


Conclusion:वीओ 2 - महासमुंद के रोड के लायक नहीं है जब हमने इस धूल से होने वाली बीमारी और नुकसान के बारे में डॉक्टर से बात की तो उनका कहना है इस धूल के कारण बहुत सारी बीमारियों का शुरुआत होती है सबसे पहले दमा का डर बना रहता है इन्फेक्शन व आंखों में बहुत इफेक्ट पड़ता है गौरतलब है कि इस पूरे मामले में महासमुंद नगर पालिका की अहम भूमिका नजर आती है वह नगर के नगर वासियों के स्वास्थ्य के लिए भी लापरवाह है और साथ ही साथ 50 लाख की रोड सेविंग मशीन को भी कबाड़ में तब्दील करने का अहम भूमिका नजर आ रही है।


बाइट 1 - विपिन शर्मा नागरिक पहचान - क्रीम कलर का टी शर्ट

बाइट 2 - शैलेंद्र हिरवानी नागरिक पहचान - आसमानी कलर और सफेद कलर लाइनिंग वाला शर्ट

बाइट 3 - डॉ मंजीत सिंह, पहचान - सफेद शर्ट और चश्मा लगाया हुआ

बाइट 4 - विजय श्रीवास्तव, जल प्रभारी नगर पालिका महासमुंद, पहचान - क्रीम कलर का फुल शर्ट चश्मा लगा हुआ और कपड़े के सामने जेब में मोबाइल और पेन रखे हुआ।

हकीमुद्दीन नासिर ईटीवी भारत महासमुंद छत्तीसगढ़ मो. 9826555052
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