महासमुंद: जिले के बागबाहरा ब्लॉक के लोग 50 साल से एक पुल के लिए तरस रहे हैं. 1 हजार से ज्यादा आबादी वाला गांव सालों से एक पुल की मांग पर मांग करते आ रहा है, लेकिन आज तक आश्वासन के सिवा इन्हें कुछ नहीं मिला है.
महासमुंद जिले के छुईहा ग्राम पंचायत के आश्रित फिरगी गांव की जनसंख्या 1 हजार 62 है. आदिवासी बाहुल्य इस गांव की पंचायत 3 किलोमीटर दूर है. इस कच्चे रास्ते में एक मचका नाला पड़ता है. जहां हमेशा पानी भरा रहता है. इन्हीं रास्तों से ग्रामीण पंचायत, जनपद पंचायत और जिला मुख्यालय आते-जाते हैं. ब्लॉक मुख्यालय की दूरी यहां से 20 किलोमीटर पड़ती है, लेकिन बारिश के समय 6 महीने इस मचका नाले में पानी भरने से ग्रामीणों को घूमकर ब्लॉक मुख्यालय जाना पड़ता है. इसके लिए इन्हें 35 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है.
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ग्रामीण कर रहे परेशानियों का सामना
बारिश के समय स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भी ग्रामीणों को परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है. कहीं ग्रामीण नाले में गिर जाते हैं तो कहीं गाड़ी फंस जाने पर गांव से आदमी बुलाकर धक्के लगा कर गाड़ी बाहर निकालना पड़ता है. यहां के ग्रामीण पिछले 50 साल से मचका नाले पर पुलिया बनाने की मांग कर रहे हैं.
सरकार को भेजा गया है प्रस्ताव
ग्रामीणों को अबतक करीब 10 विधायक और 10 सांसद हर चुनाव में आश्वासन दे चुके हैं, लेकिन मचका नाले पर पुलिया किसी ने नहीं बनवाई. इस पूरे मामले में वर्तमान विधायक का कहना है कि उन्होंने मचका नाले पर पुल बनाने का प्रस्ताव बना कर भेज दिया है. मुख्यमंत्री से मांग की गई है. विधायक का कहना है कि इस बजट में पुल के निर्माण की स्वीकृत होने की संभावना है. पंचायत के प्रतिनिधि भी इस मामले को लेकर सब का दरवाजा खटखटा चुके हैं. आलम ये है कि वह अपनी पंचायत जाने के लिए भी कई बार नाले में गिर चुके हैं.