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महासमुंद नगर पालिका जल्द बनेगा नगर निगम, मिलेंगी ये सुविधाएं - रायपुर से टीम आई है जांच करने

महासमुंद नगर पालिका 8 सितंबर 1968 में बना था, तब कुल 15 वार्ड थे. साल 1984 में 21 वार्ड बने और लगातार बढ़ते रहे और आज 2019 में 30 वार्ड हैं.   नगर निगम में शहर या जिले को तब्दील होने के लिए रायपुर की 2 सदस्य टीम सर्वे के लिए महासमुंद पालिका आई थी और उन ग्राम पंचायतों का सर्वे किया है, जिसका नाम नगर निगम के प्रस्ताव के लिए भेजा गया था.

महासमुंद नगर पालिका जल्द बनेगा नगर निगम
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Published : May 16, 2019, 5:01 PM IST

महासमुंद : नगर पालिका अपने स्थापना के 50 साल पूरी कर चुकी है और अब नगर निगम बनने की ओर अग्रसर है. इसके लिए रायपुर की 2 सदस्य टीम सर्वे के लिए महासमुंद पालिका आई थी और उन ग्राम पंचायतों का सर्वे किया है, जिसका नाम नगर निगम के प्रस्ताव के लिए भेजा गया था.

महासमुंद नगर पालिका जल्द बनेगा नगर निगम

बता दें कि महासमुंद नगर पालिका 8 सितंबर 1968 में बना था, तब कुल 15 वार्ड थे. साल 1984 में 21 वार्ड बने और लगातार बढ़ते रहे और आज 2019 में 30 वार्ड हैं.
नगर निगम में शहर या जिले को तब्दील होने के लिए रायपुर की 2 सदस्य टीम सर्वे के लिए महासमुंद पालिका आई थी और उन ग्राम पंचायतों का सर्वे किया है, जिसका नाम नगर निगम के प्रस्ताव के लिए भेजा गया था.

रायपुर से टीम आई है जांच करने
रायपुर की टीम जांच कर अपनी रिपोर्ट जमा कर दी है. वहीं उन गांव के भौतिक सत्यापन के लिए दो सदस्यीय टीम के साथ सीएमओ नगर पालिका, तहसीलदार और राजस्वकर्मी ग्रामीण क्षेत्रों का सत्यापन करना कर रहे हैं. बाह्य क्षेत्र के सत्यापन में टीम ने गांव की आबादी, वहां की सुविधाओं के विषय में जानकारी ली है. ऐसे में यदि यह सभी गांव नगर निगम का हिस्सा बने, तो करीब 25 हजार आबादी निकाय क्षेत्र में बढ़ जाएगी.

नगर निगम होने से क्या सुविधा मिलेगी
⦁ नगर निगम के होने से विकास के बड़े प्रोजेक्ट शुरू हो सकेंगे. ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली, पानी और सड़क की स्थिति बेहतर हो सकेगी.
⦁ नगर सहित सभी ग्राम पंचायतों को सुविधा मिलने लगेगी.
⦁ नगरी निकाय से जुड़ जाने पर ग्राम पंचायतों के भूमि की कीमत बढ़ जाएगी.
⦁ अभी कुल 30 वार्डों की संख्या है, जिसे बढ़कर 40 तक हो सकता है.

मूलभूत सुविधाएं मिलें : स्थानीय
लोगों का कहना है कि नगर पालिका हो, चाहे नगर निगम हो मूलभूत सुविधाएं पहले उपलब्ध कराएं और फिर इस तरफ अग्रसर हो.

सभी ग्राम पंचायतों को मिलेगी सुविधा
नगर पालिका अध्यक्ष ने बताया कि अभी पालिका के बाहर कई गांव हैं, जहां पानी की समस्या है, वहां पानी आसानी से उपलब्ध नहीं होता है. जिले के वर्धमान नगर की यही समस्या है कि वहां पानी नहीं मिल पा रहा है. पालिका क्षेत्र में आने से वर्धमान नगर सहित सभी ग्राम पंचायतों को सुविधा मिलेगी.

महासमुंद : नगर पालिका अपने स्थापना के 50 साल पूरी कर चुकी है और अब नगर निगम बनने की ओर अग्रसर है. इसके लिए रायपुर की 2 सदस्य टीम सर्वे के लिए महासमुंद पालिका आई थी और उन ग्राम पंचायतों का सर्वे किया है, जिसका नाम नगर निगम के प्रस्ताव के लिए भेजा गया था.

महासमुंद नगर पालिका जल्द बनेगा नगर निगम

बता दें कि महासमुंद नगर पालिका 8 सितंबर 1968 में बना था, तब कुल 15 वार्ड थे. साल 1984 में 21 वार्ड बने और लगातार बढ़ते रहे और आज 2019 में 30 वार्ड हैं.
नगर निगम में शहर या जिले को तब्दील होने के लिए रायपुर की 2 सदस्य टीम सर्वे के लिए महासमुंद पालिका आई थी और उन ग्राम पंचायतों का सर्वे किया है, जिसका नाम नगर निगम के प्रस्ताव के लिए भेजा गया था.

रायपुर से टीम आई है जांच करने
रायपुर की टीम जांच कर अपनी रिपोर्ट जमा कर दी है. वहीं उन गांव के भौतिक सत्यापन के लिए दो सदस्यीय टीम के साथ सीएमओ नगर पालिका, तहसीलदार और राजस्वकर्मी ग्रामीण क्षेत्रों का सत्यापन करना कर रहे हैं. बाह्य क्षेत्र के सत्यापन में टीम ने गांव की आबादी, वहां की सुविधाओं के विषय में जानकारी ली है. ऐसे में यदि यह सभी गांव नगर निगम का हिस्सा बने, तो करीब 25 हजार आबादी निकाय क्षेत्र में बढ़ जाएगी.

नगर निगम होने से क्या सुविधा मिलेगी
⦁ नगर निगम के होने से विकास के बड़े प्रोजेक्ट शुरू हो सकेंगे. ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली, पानी और सड़क की स्थिति बेहतर हो सकेगी.
⦁ नगर सहित सभी ग्राम पंचायतों को सुविधा मिलने लगेगी.
⦁ नगरी निकाय से जुड़ जाने पर ग्राम पंचायतों के भूमि की कीमत बढ़ जाएगी.
⦁ अभी कुल 30 वार्डों की संख्या है, जिसे बढ़कर 40 तक हो सकता है.

मूलभूत सुविधाएं मिलें : स्थानीय
लोगों का कहना है कि नगर पालिका हो, चाहे नगर निगम हो मूलभूत सुविधाएं पहले उपलब्ध कराएं और फिर इस तरफ अग्रसर हो.

सभी ग्राम पंचायतों को मिलेगी सुविधा
नगर पालिका अध्यक्ष ने बताया कि अभी पालिका के बाहर कई गांव हैं, जहां पानी की समस्या है, वहां पानी आसानी से उपलब्ध नहीं होता है. जिले के वर्धमान नगर की यही समस्या है कि वहां पानी नहीं मिल पा रहा है. पालिका क्षेत्र में आने से वर्धमान नगर सहित सभी ग्राम पंचायतों को सुविधा मिलेगी.

Intro:एंकर - महासमुंद नगर पालिका अपने पूरे 50 वर्ष पूरे करने के बाद अब नगर निगम की ओर अग्रसर है महासमुंद नगर पालिका ने नगर निगम का प्रस्ताव बनाकर रायपुर मंत्रालय को भेज चुके है। आपको बता दें महासमुंद नगरपालिका 8 सितंबर 1968 में बनी थी तब कुल 15 वार्ड थे और वही 1984 में 21 वार्ड बने और लगातार वार्ड बढ़ते रहें और आज 2019 में 30 वार्ड हैं महासमुंद नगर पालिका नगर निगम बनने वाली है। कुछ समय पहले रायपुर की 2 सदस्य टीम इसके सर्वे के  महासमुंद पालिका आई और उन ग्राम पंचायतों का सर्वे किया जिसका नाम नगर निगम के प्रस्ताव के लिए भेजा गया था रायपुर की टीम जांच कर अपनी रिपोर्ट जमा कर दी है वहीं उन गांव के भौतिक सत्यापन के लिए दो सदस्यी टीम के साथ सीएमओ नगरपालिका, तहसीलदार व राजस्व कर्मियों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों का सत्यापन करना शुरू कर दिया है बाहय क्षेत्र के सत्यापन में टीम ने गांव की आबादी वहां की सुविधाओं के विषय में जानकारी ली है किन-किन गांव को नगर निगम बनाने के लिए मिलाना पड़ेगा उनकी रिपोर्ट पर ही यह तय होगा कि गांव पालिका से जुड़ेंगे अथवा नहीं जानिए प्रस्ताव में किन 6 गांव  का नाम भेजा गया है वह नाम कुछ इस प्रकार से हैं खैरा ,बेमचा मचेवा,परस कोल ,खरोरा, लभरा नगर पालिका की वर्तमान में आबादी 87 हजार से अधिक है यदि उक्त 6 ग्राम पंचायत पालिका से जुड़ जाते हैं तो पालिका की आबादी एक लाख से ऊपर हो जाएगी। ऐसे में यदि यह सभी गांव नगर निगम का हिस्सा बने तो करीब 25हजार आबादी निकाय क्षेत्र में बढ़ जाएगी नगर निगम होने से क्या मिलेगी सुविधा नगर निगम होने से विकास के बड़े प्रोजेक्ट स्थापित हो सकेंगे ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली पानी व सड़क की स्थिति बेहतर हो सकेगी नगर पालिका अध्यक्ष ने बताया कि अभी पालिका के बाहर कई गांव जहां पानी की समस्या वहां पानी आसानी से उपलब्ध नहीं होता वर्धमान नगर की यही समस्या है कि वहां पानी नहीं उपलब्ध हो पा रहा है पालिका क्षेत्र में आने वर्धमान  नगर सहित सभी ग्राम पंचायतों को सुविधा मिलने लगेगी भूमि की कीमत नगरी निकाय से जुड़ जाने पर ग्राम पंचायतों के भूमि की कीमत बढ़ जाएगी अभी कुल 30 वार्डों की संख्या है इनकी संख्या बढ़कर 40 तक हो जाएगी हम आपको बता दें कि जब इस संबंध में लोगों से हमने बात की तो उनका कहना है नगरपालिका हो चाहे नगर निगम हो मूलभूत सुविधाएं पहले उपलब्ध कराएं और फिर इस तरफ अग्रसर हो वही कुछ कम आना है की भू माफियाओं का का हाथ है।

बाइट 1 - भरत चन्द्राकर, महासमुंद नागरिक, पहचान हाफ नीला शर्ट

बाइट 2 - मनिष्कान्त साहू, महासमुंद नागरिक, पहचान हाफ टी शर्ट और सर में चश्मा लटका हुआ

बाइट 3 - पवन पटेल, अध्यक्ष नगर पालिका महासमुंद, पहचान फूल वाला नीला शर्ट और सफेद स्कार्फ


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