महासमुंद: कोरोना कॉल में खेल गतिविधियां बंद होने से खिलाड़ियों को पदक मिलने की आस भी अब टूटने लगी है. कई खिलाड़ियों को ओवर ऐज होने का डर भी सता रहा है. इस साल यदि खेल प्रतियोगियाएं नहीं होती हैं, तो 12वीं में पढ़ने वाले कई खिलाड़ियों का मेडल पाने का सपना टूट जाएगा.
मौजूदा हालात में पढ़ाई तुंहार द्वार के तहत स्कूली बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन तो हो ही रही है पर खेल गतिविधियां बिल्कुल बंद हैं. स्कूलों में कई छात्र ऐसे भी होते हैं जो पढ़ाई के साथ खेलों में भी बेहतर प्रदर्शन करते हैं. गौरतलब है कि पूरे देश में 22 मार्च के बाद से ही खेल गतिविधियों का आयोजन नहीं किया जा रहा है. लगातार लॉकडाउन व कंटेनमेंट जोन की वजह से कई खिलाड़ी अभ्यास भी नहीं कर पा रहे हैं.
ऐज वर्ग से बाहर होने की चिंता
शालेय खेल तीन वर्ग में होते हैं. इसमें अंडर-14, अंडर -17 और अंडर -19 वर्ग की स्पर्धा होती है. ऐसे में इस वर्ष खेल नहीं होने से कई खिलाड़ियों का वर्ग भी परिवर्तित हो जाएगा और कई खिलाड़ी पदक से भी वंचित हो जाएंगे. इस साल यदि खेल नहीं हो पाया तो पदक लेने की आस खिलाड़ियों में टूट जाएगी, क्योंकि कई बार राज्य स्तरीय स्पर्धा में हिस्सा ले चुके खिलाड़ियों को खेल के लिए मिलने वाले अंक भी नहीं मिल पाएंगे. 12वीं में खिलाड़ी नेशनल स्तर तक शालेय खेलों में जाते हैं, जिसका भविष्य में उन्हें फायदा मिलता है, लेकिन इस बार कोरोना के कारण प्रैक्टिस भी नहीं हो पा रही है.
कोरोना के कारण टूटे सपने
कोरोना महामारी का ये समय सभी के लिए एक बुरे काल के तौर पर बीत रहा है. कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो बचपन से ही पढ़ाई के साथ खेल रहे हैं और इसी में ही अपना भविष्य ढूंढ रहे हैं. ऐसे बच्चे ज्यादा दुखी हैं, क्योंकि कोरोना महामारी के चलते कोई भी खेल कार्यक्रम जैसे ब्लॉक स्तरीय, राज्य स्तरीय, नेशनल, इंटरनेशनल खेल पूरी तरह से बंद रहे और इस बार उन बच्चों का अहित हो गया जो इस बार स्टेट, नेशनल और इंटरनेशनल के लिए क्वॉलीफाई होने वाले थे.
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ETV भारत के माध्यम से सरकार से लगाई गुहार
ETV भारत से चर्चा में खिलाड़ियों ने अपना दर्द बयां किया. ETV भारत के माध्यम से खिलाड़ियों ने सरकार से उनके लिए भी महत्वपूर्ण फैसले लेने की अपील की. 12वीं में पढ़ने वाले हैंडबॉल खिलाड़ी जयचंद दास ने बताया कि उसकी बड़ी इच्छा थी कि वह राज्य के लिए पदक लेकर आए, लेकिन इस बार प्रैक्टिस भी नहीं हो सकी. जयचंद ने बताया कि खेल के कारण जो प्रमाण पत्र और पदक मिलना है वह भी इस बार नहीं मिल पाया. वहीं खेल के कारण अंक मिलने से पढ़ाई में काफी हेल्फ हो जाती थी, लेकिन इस बार उन अंकों से भी दूर हो गए.
मनीष चंद्राकर जो सीनियर खिलाड़ी हैं, उनका कहना है कि पिछले 2 साल से पंडित रविशंकर यूनिवर्सिटी नेशनल में चौथा स्थान प्राप्त कर रही थी, लेकिन इस बार उन्होंने पहला स्थान लाने की ठानी थी, लेकिन उनका ये सपना भी अधूरा ही रह गया. पिछले 4 सालों में 12वीं के टॉपर्स की बात की जाए तो खेल से संबंधित छात्र ही टॉप में रहते हैं, क्योंकि उनके खेल का अंक भी उस में जोड़ता है. वहीं अन्य खिलाड़ियों के भी अलग-अलग मत हैं
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महासमुंद जिले में सभी खेलों की बात की जाए तो यहां लगभग 600 राज्यस्तरीय खिलाड़ी हैं. नेशनल खिलाड़ी की संख्या 50 है जिनकी उम्मीदों में इस बार पानी फिर गया है.
खिलाड़ियों के हित में फैसला लेने का आश्वासन
ETV भारत की ओर से खिलाड़ियों के मामले को उठाने के बाद महासमुंद विधायक विनोद सेवन लाल चंद्राकर ने छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बात कर खिलाड़ियों के हित के लिए एक अच्छा निर्णय लेने का आश्वासन दिया.