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SPECIAL: हैंडवॉश बनाकर आत्मनिर्भर हो रही हैं महिलाएं

महासमुंद में कल्याणी स्व-सहायता समूह की महिलाएं देसी सैनिटाइजर बनाकर न सिर्फ स्वच्छता का संदेश दे रही हैं बल्कि इससे उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है.

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कल्याणी स्वसहायता समूह की महिलाएं बना रही देसी सैनिटाइजर
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Published : Apr 29, 2020, 9:00 PM IST

महासमुंद: कोरोना महामारी से निपटने के लिए जहां एक तरफ शासन-प्रशासन लोगों को हरसंभव मदद मुहैया करा रहा है तो इसके साथ ही साथ ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को रोजगार भी दिला रहा है. महासमुंद जिले में स्व-सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित कर हैंडवॉश बनवाया जा रहा है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को रोजगार तो मिल ही रहा है साथ ही ग्रामीण जनता को सस्ते दाम पर हैंडवॉश भी उपलब्ध हो रहा है.

कल्याणी स्व-सहायता समूह की महिलाएं बना रही देसी सैनिटाइजर

ये भी हैं कोरोना वॉरियर्स

कोरोना वायरस और उसके बाद हुए लॉकडाउन के कारण जिले के ग्राम कछारडीह की स्व-सहायता समूह की महिलाओं के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया. जिसके बाद इन गरीब महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन ने इन्हें हैंडवॉश बनाने की सलाह दी, न सिर्फ सलाह बल्कि निदान सेवा परिषद से इन महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिलवाया गया. जिसके बाद इन महिलाओं ने नीम पत्ती, नींबू, ग्लिसरीन, कोकोनट ऑयल, एंटी बैक्टीरियल बेस, पानी और एसेंस मिलाकर इन्हें उबाला और छानकर हैंडवॉश तैयार किया.

सेहत के साथ कमाई भी

कल्याणी स्व-सहायता समूह की महिलाएं एक दिन में 100 लीटर हैंडवॉश बनाती हैं और उसे आस-पास के इलाकों में बेचती हैं. इसके साथ ही हैंडवॉश NGO के माध्यम से भी दूसरे ग्रामीण क्षेत्रों में बेचा जाता है. स्व-सहायता समूह की महिलाएं हैंडवॉश बनाने में 80 रुपए की लागत लगाती है और उसे 120 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बेचती है. समूह की महिलाएं एक दिन में 8 हजार की लागत से 100 लीटर हैंडवॉश तैयार करती हैं और बेचती हैं. इस तरह ये महिलाएं न सिर्फ कोरोना महामारी से लोगों को बचा रही हैं बल्कि लॉकडाउन के दौरान भी अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने में लगी हुई हैं.

महासमुंद: कोरोना महामारी से निपटने के लिए जहां एक तरफ शासन-प्रशासन लोगों को हरसंभव मदद मुहैया करा रहा है तो इसके साथ ही साथ ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को रोजगार भी दिला रहा है. महासमुंद जिले में स्व-सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित कर हैंडवॉश बनवाया जा रहा है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को रोजगार तो मिल ही रहा है साथ ही ग्रामीण जनता को सस्ते दाम पर हैंडवॉश भी उपलब्ध हो रहा है.

कल्याणी स्व-सहायता समूह की महिलाएं बना रही देसी सैनिटाइजर

ये भी हैं कोरोना वॉरियर्स

कोरोना वायरस और उसके बाद हुए लॉकडाउन के कारण जिले के ग्राम कछारडीह की स्व-सहायता समूह की महिलाओं के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया. जिसके बाद इन गरीब महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन ने इन्हें हैंडवॉश बनाने की सलाह दी, न सिर्फ सलाह बल्कि निदान सेवा परिषद से इन महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिलवाया गया. जिसके बाद इन महिलाओं ने नीम पत्ती, नींबू, ग्लिसरीन, कोकोनट ऑयल, एंटी बैक्टीरियल बेस, पानी और एसेंस मिलाकर इन्हें उबाला और छानकर हैंडवॉश तैयार किया.

सेहत के साथ कमाई भी

कल्याणी स्व-सहायता समूह की महिलाएं एक दिन में 100 लीटर हैंडवॉश बनाती हैं और उसे आस-पास के इलाकों में बेचती हैं. इसके साथ ही हैंडवॉश NGO के माध्यम से भी दूसरे ग्रामीण क्षेत्रों में बेचा जाता है. स्व-सहायता समूह की महिलाएं हैंडवॉश बनाने में 80 रुपए की लागत लगाती है और उसे 120 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बेचती है. समूह की महिलाएं एक दिन में 8 हजार की लागत से 100 लीटर हैंडवॉश तैयार करती हैं और बेचती हैं. इस तरह ये महिलाएं न सिर्फ कोरोना महामारी से लोगों को बचा रही हैं बल्कि लॉकडाउन के दौरान भी अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने में लगी हुई हैं.

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