महासमुंद: मनरेगा मजदूर अपनी मजदूरी की बकाया राशि को लेकर आए दिन अधिकारियों के चक्कर लगाते रहते हैं. गांव-गांव में मजूदरी भुगतान को लेकर हर रोज कई शिकायतें मिलती रहती है, लेकिन इस बार मनरेगा में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है. ये खुलासा RTI के जरिए हुआ है जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि मनरेगा विभाग के अफसर वाहन किराए के नाम पर लाखों रुपए निकाल चुके हैं.
RTI से खुलासा
सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के अनुसार बीते सालभर में करीब सवा लाख रुपए वाहन किराए पर भुगतान किया जाना बताया जा रहा है. जिसमें महासमुंद, रायपुर जाने के अलावा वाहन को किराए में लेकर सरायपाली के मनरेगा कार्यालय से 5 किमी दूर स्थित गांव के दौरे के दर्जनों बिलों का अनियमित भुगतान किया गया है. हैरानी की बात ये है कि सरायपाली के 5 किलोमीटर दूरी वाले गांव का किराया सरायपाली से 20 किलोमीटर दूर स्थित गांव से ज्यादा है. मनरेगा कार्यालय में लगे अधिकांश बिल-व्हाउचर में फर्म का जीएसटी नंबर भी नहीं हैं.
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सरायपाली से महासमुंद नंवबर 2019 में 4 बार, दिसंबर 2019 में 2 बार तो फरवरी 2020 में 1 बार के दौरे में करीब 23 हजार, सरायपाली से रायपुर सितंबर 2019 में एक बार और दिसंबर 2019 में 3 बार के दौरे का करीब 16 हजार रुपए का भुगतान किया गया है. जिनमें महासमुंद दौरे में सात में दो बार टोल भुगतान का उल्लेख है. वह भी एक बार 290 तो दूसरी बार 240 रुपए का लगा है. जबकि रायपुर दौरे में एक बार भी टोल भुगतान का लेख बिल में नहीं है. इतना ही नहीं दिसंबर 2019 में समीक्षा बैठक में 3 हजार 5 सौ 40 और रायपुर से सरायपाली के लिए 3 हजार 8 सौ 94 रुपए के दो-दो अलग बिलों का भुगतान हुआ है.
मनरेगा विभाग की तरफ से निजी टूर ट्रेव्हल्स को एक साल में ही सवा लाख रुपए का भुगतान किया गया है.वर्तमान पीओ महेन्द्र यादव से जानकारी लेने पर उन्होंने कोटेशन के बारे में देखकर बताने की बात कही है. भुगतान की फाइलें जनपद कार्यालय के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के हस्ताक्षर कर भुगतान की स्वीकृति देते है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है निचले स्तर से लेकर ऊपर तक भ्रष्टाचार फैला हुआ है.